UP Budget 2024: बजट में सरकार तीन से चार नए औद्योगिक गलियारा बनाने का भारी भरकम बजट दे सकती है. बजट में धार्मिक स्थलों के विकास को लेकर भी ध्यान रखा जाएगा. बजट पेश होने से पहले सोमवार को योगी सरकार की कैबिनेट बैठक होनी है
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। पांच फरवरी को सुबह 11 बजे वित्त मंत्री सुरेश खन्ना बजट पेश करेंगे। इस बजट में सरकार कई नई घोषणाएं कर सकती है। चुनावी साल होने के चलते ऐसे अनुमान लगाए जा रहे हैं कि इस बजट में प्रदेश की जनता को तोहफे देने की कोशिश होगी। बजट के बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होगी। 6 और 7 फरवरी को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा होगी। आठ फरवरी को वित्तीय वर्ष 2024-25 के आय-व्ययक पर साधारण चर्चा होगी। 10 और 12 फरवरी को आय-व्ययक पर चर्चा के साथ अनुदान की मांगों पर विचार होगा। बजट प्रस्ताव पर मतदान होगा। 12 फरवरी को दोपहर 3 बजे उत्तर प्रदेश विनियोग विधेयक 2024 को सदन में पुनःस्थापन कर उसे पारित किया जाएगा।
चुनाव से पहले पेश हो रहे इस बजट में सरकार हर वर्ग को साधने की करेगी कोशिश
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कल यानी सोमवार को विधानसभा में साल 2024-25 का बजट पेश करने जा रही है. यह अब तक का सबसे बड़ा बजट होगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार सरकार करीब 7.70 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश कर सकती है. लोकसभा चुनाव से पहले पेश हो रहे इस बजट में सरकार हर वर्ग को साधने की कोशिश करेगी.
धार्मिक स्थलों के विकास पर जोर
इसके अलावा बजट में सरकार तीन से चार नए औद्योगिक गलियारा बनाने का भारी भरकम बजट दे सकती है. बजट में धार्मिक स्थलों के विकास को लेकर भी ध्यान रखा जाएगा. बजट पेश होने से पहले सोमवार को योगी सरकार की कैबिनेट बैठक होनी है. इसमें बजट के मसौदे को मंजूरी दी जाएगी.
आय और व्यय में संतुलन बनाने की होगी कोशिश
प्रदेश के इस बजट में आय और खर्च का संतुलन और बेहतर बनाने का प्रयास किया जाएगा। आगामी वित्त वर्ष में राज्य का स्वयं का कर राजस्व 10.8 फीसदी रहने का अनुमान है तो करेत्तर राजस्व 0.9 फीसदी रहेगा। बचत पर जोर देते हुए राजस्व बचत वर्तमान वित्त वर्ष की तुलना में आगामी वित्त वर्ष में ज्यादा होगा। इसे 2.8 फीसदी से बढ़ाकर 3 फीसदी करने का अनुमान है। वहीं राजकोषीय घाटे में कमी का लक्ष्य रखा गया है। इसे 3.24 फीसदी पर लाने का जोर रहेगा।
राजस्व बचत में किया जायेगा फोकस
उधारी और अन्य दायित्व पर होने वाले खर्च में भी नियंत्रण किया जाएगा। आय का 31 फीसदी हिस्सा इस पर खर्च किया जा सकता है जो वर्तमान वित्त वर्ष की तुलना में करीब एक फीसदी कम होगा। वेतन, पेंशन, ब्याज खर्च में भी कटौती होगी। वर्तमान वित्त वर्ष 52.3 फीसदी की तुलना में आगामी वित्त वर्ष में 51.3 फीसदी रहेगा। राजकोषीय घाटा जरूर 10 फीसदी बढ़ेगा। राजस्व बचत में फोकस किया गया है। जो वर्तमान के 12 फीसदी की तुलना में 12.9 फीसदी हो सकता है।