खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चंदौली। जहाँ पर डाक्टरों को भगवान का रूप में देखा जाता है जो जिन्दगी देने का काम करते है जो अपने कार्यो से पदच्यूत हो तो उनक लिए क्या किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही नजारा चंदौली के कमलापति त्रिपाठी जिला चिकित्सालय परिसर में बने मातृ शिशु विंग में देखने को मिला। जहा पर एक मासूम की इलाज के अभाव में जान चली गई। परिजनों का आरोप है कि पेट दर्द की शिकायत के बाद उसे जिला चिकित्सालय रेफर किया गया था। जहां पर इमरजेंशी में कोई डाक्टर मौजूद नही रहा और रात्रि एक बजे जब तक डाक्टर आते मासूम की जान चली गई। इस घटना के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया। परिजनों की शिकायत पर सीएमओ ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है।
रात 12 बजे भी पर्ची कटवाने में लगा एक घंटे‚तड़पता रहा मासूम
धानापुर थाना क्षेत्र के बभनियाव निवासी रमाकांत श्रीवास्तव के बेटे इंद्रजीत (05) की शनिवार की रात में तबीयत खराब हो गई। उसे बभनियांव सीएचसी ले गए जहां से उसे चिकित्सकों ने जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया । रात के 12 बजे के बाद उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां पर्ची कटवाने में एक घंटे का समय लग गया और बच्चा दर्द से तड़पता रहा।
दर्द से कराह रहे मासूम के परिजनों को डाक्टर की बजाय मिल रहा था उसके आने का आश्वासन
बच्चे के पिता रमाकांत ने बताया कि बेटा दर्द से कराह रहा था और वार्ड ब्वॉय बस यही कहता रहा कि बस डॉक्टर आते ही होंगे। ऐसे करते- करते एक घंटे बीत गए और तब तक बेटा खामोश हो गया। डॉक्टर आए पर तब तक बेटे की जान जा चुकी थी। चिकित्सक की अनुपस्थित थे, 2 घंटे तक इंतजार करने के बाद कोई चिकित्सक उसके बेटे का इलाज करने नहीं पहुंचा।
दर्द से तड़प-तड़पकर मासूम ने तोड़ा दम
इकलौते बेटे की मौत से परिवार में कोहराम मचा है। आरोप है कि बच्चे का समय से सही इलाज नहीं हो सका, जिससे इंद्रजीत की मौत हो गई। इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. यूके राय ने बताया कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी के लिए चिकित्सकों की तैनाती कि गई है। चिकित्सकों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं है। जांच के बाद ऐसे चिकित्सकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई कि जाएगी।