अदालत भी किसी आस्था स्थल से कम नहीं है। इस स्थल की मर्यादा की रक्षा करना सबका दायित्व होता है। इसमें कमी हुई तो देश की अस्मिता पर आघात लग सकता है।

WhatsApp Image 2024-03-20 at 13.26.47
WhatsApp Image 2024-03-20 at 13.26.47
jpeg-optimizer_WhatsApp Image 2024-04-04 at 13.22.11
jpeg-optimizer_WhatsApp Image 2024-04-04 at 13.22.11
PlayPause
previous arrow
next arrow

सलील पांडेय

  • दृढ़ निर्णयों की शृंखला में शामिल हुए सुप्रीम न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

मिर्जापुर । चुनावी बांड के ‘छुपाने’ से ‘छपाने’ तक के मुहाने ले आने के चलते भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा का वही इतिहास बना दिया जो वर्ष 1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जगमोहन ने कायम किया था।

संवैधानिक संस्थाओं की महत्ता बढ़ाने वालों में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन का भी नाम शामिल

संवैधानिक संस्थाओं की महत्ता बढ़ाने वालों में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन का भी नाम शामिल है।
चुनावी बांड में गोपनीयता के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। इस मुद्दे पर पूरे देश की नज़र टिकी थी कि फैसला कैसा आएगा ? लेकिन मध्य फरवरी में सुप्रीम कोर्ट में इसे निरस्त ही नहीं किया बल्कि रहस्यात्मक पहलुओं को उजागर करने का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया।

WhatsApp Image 2023-08-12 at 12.29.27 PM
Iqra model school
WhatsApp-Image-2024-01-25-at-14.35.12-1
WhatsApp-Image-2024-02-25-at-08.22.10
WhatsApp-Image-2024-03-15-at-19.40.39
WhatsApp-Image-2024-03-15-at-19.40.40
jpeg-optimizer_WhatsApp-Image-2024-04-07-at-13.55.52-1
srvs_11zon
Screenshot_7_11zon
WhatsApp Image 2024-06-29 at 12.
IMG-20231229-WA0088
previous arrow
next arrow

सुप्रीम कोर्ट अपने निर्णय पर अंगद के पांव जैसा अड़ा’दृढ़ता की शृंखला की श्रेणी’ में शामिल

प्रथम दृष्टया स्टेट बैंक द्वारा 30 जून तक इसे ठंडे बस्ते डालने की कोशिश सफल नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट अपने निर्णय पर अंगद के पांव जैसा अड़ा रहा। ‘डाल-डाल और पात-पात’ का सिलसिला भी चला। कुछ जानकारियों को सार्वजनिक करना और कुछ को नकाब में ही रहने देने की स्थितियां बनाने का बहाना ढूढा गया लेकिन ‘दृढ़ता की शृंखला की श्रेणी’ में शामिल हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने ‘लुका-छिपी’ का खेल नहीं स्वीकार है। श्री चन्द्रचूड़ की यह टिप्पणी कि ‘एक बार जब अदालत फैसला सुना देती है, तो यह राष्ट्र की संपत्ति बन जाती है’ अत्यंत सार्थक टिप्पणी है। इस कथन को भारतीय संस्कृति ही नहीं विश्व की किसी भी संस्कृति के दर्पण में देखा जाए तो बात खरी है। लोकहित के लिए जब भी किसी ने कोई कदम उठाया तो सम्बंधित राष्ट्रों ने उसे स्वीकार किया और उसे उदाहरणीय कहा।

khabaripost.com
sagun lan
sardar-ji-misthan-bhandaar-266×300-2
bhola 2
add
WhatsApp-Image-2024-03-20-at-07.35.55
jpeg-optimizer_bhargavi
WhatsApp-Image-2024-06-22-at-14.49.57
previous arrow
next arrow