सलिल पांडेय
- ‘मुझसे उनकी यारी कितनी वे खुद भी नहीं जानते
- दूध के जले को फिर पीना ही पड़ेगा खौलता हुआ सिंथेटिक दूध
‘मुझसे उनकी यारी कितनी, वे खुद ही नहीं जानते और मजेदार यह कि वो जी भी नहीं पाते मेरे बिना’। यह कुदरत का खेल जो हर पांच साल पर यार मेरा खेलते हुए आ ही जाता है द्वारे मेरे। तपाक से गले लगता है और कुदरत के खेल का खिलाड़ी बन ‘कुदरत’ फ़िल्म के गाने की पैरोडी सुनाने लग जाता है।
इलेक्शनी धूम-18 की शूटिंग प्रारम्भ नायक से लेकर प्राड्यूसर तक निकले मार्केटिंग के लिए
इलेक्शनी धूम-18 की शूटिंग शुरू हो गई है। नायक, महानायक, खलनायक, खलनायिका, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर सब मार्केटिंग के लिए निकल पड़े हैं। बॉक्स ऑफिस पर टिकट बुकिंग और बिक्री तो हो ही रही है।
ब्लैक में टिकट मिल जाए, इसको लेकर लगी लंबी-लंबी लाइन
तगड़े निर्माताओं का ब्लैक में भी टिकट मिल जाए, इसको लेकर लंबी-लंबी लाइन लगी हुई है। जिनके हाथ टिकट लग गया है, वे गली-गली, डगर-डगर गीत गाते और झूमते हुए देखे जा रहे हैं।
दूर से कोई भाग्य-चयनकर्ता दिखाई पड़ जा रहा है तो ताजा रटा-रटाया कुदरत फ़िल्म के गीत में थोड़ा रद्दोबदल करके मुहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार, लता मंगेशकर की आत्मा का आवाहन शुरु हो जा रहा है तथा कंठ से ‘कोई तुमसे और मिले, सुलगता है दिल, सीधे उसे जेल भेजे करता है दिल’ की शपथ लेते हुए आगे पटाने को तुमको कितना करते जतन’ का महामंत्र फूंक मारने लगते हैं।