चंदौली जिले के चकिया तहसील क्षेत्र शहाबगंज कटवा के सनातन धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ परशुराम सिंह ने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से हिंदू नववर्ष मनाने कि परंपरा हमारे सनातन धर्म में निरंतर चली आ रही है। इसके विषय में ब्रह्म पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि भगवान विष्णु ने सृष्टि के निर्माण का कार्य ब्रह्म देव को सौंपा और चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली प्रतिपदा तिथि पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए इस तिथि से ही हिंदू में विशेष महत्व दिया जाता है और इसे नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।

इस शुभ दिन पर प्रख्यात गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, माह और वर्ष की गणना करके प्रथम भारतीय पंचांग बनाया था।


इस शुभ दिन पर प्रख्यात गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, माह और वर्ष की गणना करके प्रथम भारतीय पंचांग बनाया था। जहां अन्य देशों में नववर्ष मनाने का आधार किसी व्यक्ति, घटना या स्थान से जुड़ा होता है और विदेशी लोग अपने देश की सामाजिक और धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार इसे मनाते हैं, वहीं हमारा भारतीय नववर्ष ब्रह्मांड के शाश्वत तत्वों से जुड़ा हुआ है। ग्रहों की चाल पर आधारित हमारा नववर्ष सबसे विशिष्ट और वैज्ञानिक है।
वहीं देखा जाए तो पांच बार मनाया जाता है नया साल

हमारे देश में एक साल के अंदर पांच बार नववर्ष मनाया जाता है

दुनिया के अलग अलग भागों में अलग-अलग प्रकार से नववर्ष मनाया जाता है. ऐसे में सभी समुदाय अलग-अलग तिथि और माह में अपना नववर्ष मनाते है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के साथ ही एक ऐसा देश भी है जहां सभी धर्मों से लोग रहते हैं. यही कारण है कि हमारे देश में एक साल के अंदर पांच बार नववर्ष मनाया जाता है जिसमें ईसाई नववर्ष 1 जनवरी से: अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार दुनिया में नए साल की शुरुआत करते है। वहीं पारसी धर्म अपना नया साल नवरोज उत्सव के रूप में मनाते है. आमतौर पर इस उत्सव को 19 अगस्त को मनाया जाता है. 3000 साल पहले शाह जमशेदजी ने नवरोज मनाने की शुरुआत की थी।

नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होली के दूसरे दिन से नए साल की शुरुआत मानी जाती है


पंजाब में नए साल की शुरुआत बैसाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व हर साल अप्रैल महीने में आती है. सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होली के दूसरे दिन से नए साल की शुरुआत मानी जाती है.
जैन नववर्ष: भारत में रहने वाले जैन समुदाय का नववर्ष दीपावली के अगले दिन से, जैन नववर्ष दीपावली के अगले दिन से शुरू होता है. इसे वीर निर्वाण संवत के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन से जैन अपना नया साल मनाते हैं।
इस्लामी नव वर्ष: इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है।