खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। सुल्तानपुर की हॉट सीट पर मेनका गांधी की क्या फंस गई ? बीजेपी नेता और गांधी परिवार की छोटी बहू मेनका गांधी सुल्तानपुर से दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं..
मेनका ने लगाया हैट्रिक के लिए एडी चोटी का जोर
भारतीय जनता पार्टी ने पीलीभीत से वरुण को टिकट नहीं दिया लेकिन उनकी मां मेनका गांधी को एक बार फिर से मौका दिया है..मेनका गांधी भी सुल्तानपुर से बीजेपी हैट्रिक लगाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हैं। यही सियासत है। यहां हार-जीत में प्रत्याशी के अनुभव और कद की बहुत अहमियत होती है।
क्या है सियासी समीकरण ‚पार्टियां कैसे –कैसे चल रही दाँव
किंतु जातीय गणित उससे भी ज्यादा मायने रखता है। शायद इसीलिए देश की सबसे अनुभवी सांसद मेनका गांधी के सामने बसपा ने अपने एक अनजान चेहरे को मैदान में उतार दिया है तो सपा ने भी कुछ ऐसा ही दांव खेला है। इससे इस सीट पर चुनाव बेहद रोचक हो गया है।
मेनका गांधी लोकसभा की सबसे अनुभवी सांसद‚विपक्षियों ने उतारे नौसिखिएं
सुल्तानपुर सीट से मौजूदा भाजपा सांसद मेनका गांधी लोकसभा की सबसे अनुभवी सांसद हैं। इसी वजह से उन्हें नई लोकसभा के उद्घाटन सत्र में विशेष सम्मान देते हुए पांच मिनट का वक्तव्य देने का अलग से समय दिया गया था। ऐसे अनुभवी सांसद के मुकाबले सपा और बसपा ने कोई बड़ा चेहरा नहीं उतारा है। समाजवादी पार्टी ने तो एक बार बसपा सरकार में मंत्री रह चुके रामभुआल निषाद पर दांव लगाया है। किंतु बसपा ने तो ऐसे शख्स को मैदान में उतार दिया है। जिसने लोकसभा तो दूर विधानसभा तक का चुनाव नहीं लड़ा है। बसपा प्रत्याशी उदराज वर्मा बेहद युवा हैं और उन्होंने अब तक केवल जिला पंचायत सदस्य का ही चुनाव लड़ा है।
अनुभव के लिहाज से मुकाबला हल्का‚वही जातीय समीकरण रोचक
अनुभव के लिहाज से यह मुकाबला हल्का भले लग रहा हो, किंतु जातीय समीकरण देखें तो मुकाबला रोचक होगा। बसपा ने जहां एक लाख से अधिक मतदाता संख्या वाले कुर्मी समाज को टारगेट किया है और उसके बाद वह करीब साढ़े तीन लाख दलित मतों के सहारे मुसलमानों को जोड़कर चुनाव जीतने की जुगत में है। वहीं समाजवार्दी पार्टी भी दो लाख से अधिक निषाद मतों के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग, यादव मत और मुस्लिम मतों के सहारे जीत का तानाबाना बुन रही है।
1984 में पहला चुनाव लड़ने वालीं मेनका आठ बार रही लोकसभा की सदस्य
67 वर्षीय मेनका गांधी ग्रेजुएट हैं और जर्मन भाषा की भी जानकार हैं। 1984 में पहला चुनाव लड़ने वालीं मेनका गांधी आठ बार लोकसभा की सदस्य रह चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने पीलीभीत, आंवला, सुल्तानपुर सीटों का प्रतिनिधित्व किया है। साथ ही वे केंद्र सरकार में तीन बार केंद्रीय राज्य मंत्री और एक बार कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुकी हैं। मौजूदा समय में वे देश की सबसे अनुभवी लोकसभा सदस्य हैं।
सपा प्रत्याशी रामभुआल निषाद : प्रदेश में मंत्री रहे, सांसद नहीं बने
63 वर्ष के सपा प्रत्याशी रामभुआल निषाद ग्रेजुएट हैं। गोरखपुर की कौड़ीराम(अब गोरखपुर ग्रामीण) विधानसभा सीट से दाे बार विधायक रहे हैं। एक बार वे बसपा सरकार में मत्स्य पालन विभाग के मंत्री रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े। जिसमें 4.15 लाख वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। अब सपा ने उन्हें सुल्तानपुर में मौका दिया है।
उदराज वर्मा : पहली बार जिपं सदस्य बने
33 वर्षीय उदराज निषाद ग्रेजुएट हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत वर्ष 2015 में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़कर की थी, जिसमें उन्हें पराजय मिली थी। हालांकि इसके बाद वर्ष 2020 में वार्ड संख्या 20 से उन्हें जिला पंचायत सदस्य चुन लिया गया। पेशे से रियल एस्टेट कारोबारी उदराज वर्मा पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे है।