काउंसिलिंग में पता चला कि बच्चे गुजरात मदरसा में पढ़ने जा रहे बावजूद इसके कोई भी प्रमाण नही मिले
अमरेन्द्र सिंह
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
डीडीयू नगर‚ चंदौली। कामाख्या से गांधीधाम जा रही गांधीधाम एक्सप्रेस ट्रेन में बृहस्पतिवार को बाल श्रम के लिए बच्चों को ले जाने की सूचना पर चाइल्ड लाइन, आरपीएफ, जीआरपी की संयुक्त टीम ने पीडीडीयू जंक्शन पर 51 बच्चों को उतार लिया। काउंसिलिंग में पता चला कि बच्चे गुजरात मदरसा में पढ़ने जा रहे थे। हालांकि बच्चों के पास इसका कोई भी कागजात नहीं मिला। इस पर सभी बच्चों को चाइल्ड लाइन के हवाले किया गया। यहां बच्चों के परिजनों को सूचना दी गई है। उनके पहुंचने पर बच्चों को परिवार वालों केे हवाले कर दिया जाएगा।
नाबालिग बच्चों को बाल श्रम के लिए ले जाये जाने के बुनियाद पर कार्यवाही
चाइल्ड लाइन हेल्प डेस्क को सूचना मिली कि गांधीधाम एक्सप्रेस ट्रेन से नाबालिग बच्चों को बाल श्रम के लिए ले जाया जा रहा है। इस सूचना चाइल्ड लाइन, रेलवे सुरक्षा बल, राजकीय रेलवे पुलिस की संयुक्त टीम प्लेटफार्म संख्या तीन पर पहुंच गई। दिन में लगभग साढ़े 11 बजे टीम पहुंच गई। ट्रेन के आते ही कोच संख्या एस -6 में पहुंच कर 51 बच्चों काे नीचे उतारा।
जिला प्रोबेशन अधिकारी सहित बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष भी मौके पर
सूचना पाकर जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष अशोक कुमार श्रीवास्तव, सदस्य धर्मेन्द्र कुमार सिंह, डॉ. किरन त्रिपाठी, ताहिर हुसैन, हरेराम पांडेय एवं संरक्षण अधिकारी आदि पहुंच गए। बच्चों की काउंसिलिंग में पता चला कि बच्चे मदरसे में तालिम हासिल करने के लिए जा रहे है। रेस्क्यू के दौरान बच्चे अपने पढाई से संबंधित कोई दस्तावेज भी प्रस्तुत नही कर सके। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि बच्चों के अभिभावक, माता-पिता और संबंधित मदरसो को सूचना दी गई है। बच्चों कि अभिभावकों के आने पर बच्चों को उनके हवाले कर दिया जाएगा।
बच्चों के चक्कर में नौ यात्रियों को भी उतारा
रेलवे सुरक्षा बल, राजकीय रेलवे पुलिस और चाइल्ड लाइन की संयुक्त टीम गांधीधाम एक्सप्रेस से बच्चों को रेस्क्यू करने के चक्कर में नौ अन्य यात्रियों को भी जबरन ट्रेन से नीचे उतार दिया। बाद में पता चला कि गलत लोगों को उतारा गया है। इस बीच ट्रेन यहां से खुलकर यार्ड में खड़ी हो गई। इसके बाद आरपीएफ और जीआरपी ने नीचे उतारे गए यात्रियों को आउटर पर ले जाकर ट्रेन में सवार कराया। इसके बाद राहत की सांस ली।