लोक तंत्र में कौन बड़ा है ? यह प्रश्न 1975 की तरह 2024 के मई महीने तक यूं ही खड़ा मुंह चिढ़ा रहा है कि लोक बड़ा की तंत्र बड़ा ?
मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी/ भोला नाथ मिश्र
चार विधान सभा ,पौन लोकसभा (एक विधान सभा चकिया ) वाले जिले में 2014 , 2019 में बीजेपी और उसके सहयोगियों के पास सभी ब्लॉक प्रमुख , विधान सभा लोकसभा , जिला पंचायत अध्यक्ष नगर पालिका परिषद , नगर पंचायत , विधान परिषद आदि पदो पर 22 लाख जनता ने विश्वास करते हुए सपने देखे थे । इंजीनियरिंग कालेज बना , मेडिकल कालेज , पालीटेक्निक कालेज बना , 50 राजकीय हाई स्कूल बने लेकिन इससे सोनभद्र के लोग कितने लाभान्वित हुए है , यह विश्लेषण का विषय है ।आयुष्मान कार्ड से कितने गरीबों को चिकित्सा सुविधा मिल रही है यह भी विश्लेषण का विषय है ।
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
सोनभद्र। 1935 में ब्रिटिश काल से लेकर 2024 में आजादी के अमृत काल तक के चुनावी इतिहास के पृष्ठों को पलटा जाय तो एक बात साफ हो जाती है कि सोनभद्र क्षेत्र में 1974 तक कल कारखानों की स्थापना का दौर था ।
आजादी के 77 साल बाद भी जनपद के 10 ब्लाकों की अलग– अलग मौलिक समस्याएं
1977 से 2024 तक ऐसा कुछ नही किया गया जिससे राम लाल , श्यामलाल नौकरी कर सकें । 18 वीं लोकसभा के लिए अंतिम चरण में मतदान एक जून को होना है । लेकिन राबर्ट्सगंज सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र से अभी तक राजनीतिक उदासीनता के कारण इंडी या एनडीए गठबंधन से प्रत्यासियों की घोषणा नही की जा सकी है । आजादी के 77 साल बादभी जनपद के 10 ब्लाकों की अलग अलग मौलिक समस्याएं है।
समाधान के लिए नही किये गये अपेक्षित प्रयास हर दम रहा व्यवस्था का अभाव
जिनके समाधान के लिए अपेक्षित प्रयास नही हुए । फ्लोराइड रहित शुद्ध पेयजल बभनी , चोपन ब्लॉक के लोगों को सुलभ नहीं है । वन्य जीव , जल जीव , वन्य उपजों का विपणन आदि की जटिलताएं सुधरी नहीं । चेरुई , मारकुंडी , भाठ क्षेत्र और विजयगढ़ दुर्ग घाटी , महामंगलेश्व , अमिला धाम , मच्छेंद्रनाथ आदि पर्यटन क्षेत्रों में आने जाने रहने ठहरने आदि की व्यवस्था का अभाव है ।
बिजली देने वाले झेल रहे 1446 राजस्व गाँव विजली का दंश
बिजली उत्पादन का गहवारा होने के बावजूद भी जनपद की 629 ग्राम पंचायतों के 1446 राजस्व गांवों में बिजली कटौती का दंश झेल रहे हैं । हर घर नल , नल से जल योजना अभी तक गांवों में सफल नहीं हो पाई है ।
Corruption at its peak-चार विधायक , एक लोकसभा , एक राज्य सभा सदस्य
प्रशासनिक भ्रष्टाचार चरम पर है । चार विधायक , एक लोकसभा , एक राज्य सभा सदस्य होने के बावजूद भी आम गिरिवासी , वनवासी , आदिवासी दवाई , पढ़ाई , सिंचाई आदि की समस्या से जूझ रहे है।
आइए देखते है पिछले घटनाक्रम
बेरोजगारी , महंगाई , सामाजिक न्याय को लेकर आदिवासी समाज अभी भी पथ निरेख रहा है । केशव देव मालवीय इस क्षेत्र से 1935 में ब्रिटिश भारत में राजस्व मंत्री थे तभी भेलाही बंधी बनी थी । 1960 में अपर भेलाही योजना जमीन पर उतरी ।धनधरौल बांध से राबर्ट्सगंज नगर क्षेत्र में पेयजल की योजना पर कार्य हुआ ।
- 12 जुलाई , 1954 को चुर्क में राजकीय सीमेंट फैक्ट्री की स्थापना हुई तो यहां के सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला ।
- 1961 में एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील गोविंद बल्लभ पंत सागर रिहंद डैम बना तो 300 मेंगावट जल विद्युत उत्पादित होने लगी ।
- 1970 के दशक में डाला सीमेंट फैक्ट्री , ओबरा ताप विद्युत गृह , 99 मेंगावाट जल विद्युत , अनपरा तापीय परियोजना ,शक्ति नगर विद्युत ताप गृह समेत खड़िया , बिना , ककरी आदि कोल फिल्ड का विकास हुआ जिससे लोगो को रोजी रोजगार की सुविधा बहाल हुई ।
- सिंचाई के लिए 34 बंधिओं का निर्माण हुआ ।
- 1980 के दशक में कल कारखानों के बेचने का दौर शुरू हुआ । डाला , चूर्क , चुनार के कारखाने निजी क्षेत्रों में बेंच दिए गए । जिसके कारण हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए ।
- डाला कांड हुआ जिसमे आंदोलन कारी शहीद हुए ।
सफल योजनाएं
उज्ज्वला योजना , हर घर
शौचालय , प्रधानमंत्री आवास , किसान सम्मान निधि , खाद्यान्न योजना , संपर्क मार्ग निर्माण आदि से लोग लाभान्वित हुए है । स्वच्छ भारत अभियान सफल है ।
आखिर मतदाताओं की क्या है मांग ?
मतदाताओं की मांग है की निर्धन हो या हो धनवान सबकी शिक्षा हो एक समान । चिकित्सा , पेयजल , सिंचाई , रोजी रोजगार की व्यवस्था हो । प्रदूषण पर रोक लगे । पर्यटन की दृष्टि से सुविधाएं विकसित की जाय । भ्रष्टाचार समाप्त
हो । बिजली कटौती से जनपद को मुक्त किया जाय ।