- किसलय उमर में उखड़ गया वटवृक्ष जैसी संभावनाओं का पेड़।
- एडिशनल कमिश्नर डॉ विश्राम के मुंह से निकल पड़ा, ‘प्रभु ! शुभं के ऐसा अशुभ-निर्णय क्यों ?
सलिल पांडेय
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
मिर्जापुर। किसलय-उमर में साहित्य के वट-वृक्ष रूप लेते युवा साहित्यकार शुभम श्रीवास्तव पर अशुभ माने जाने वाले यमदूतों की कुछ ऐसी काली-नज़र पड़ी कि सुनहरे जीवन की विभिन्न शाखाएं और कोमल पत्ते ही नहीं बल्कि उन्नत भविष्य की संभावनाओं का जड़ सहित पेड़ ही धराशायी हो गया। उम्र अभी कुल 30 की रही होगी लेकिन आघात क्रूर काल ने बज्र के समान कर दिया और बुधवार एक मई का दिन शुभं के लिए आखिरी दिन साबित हो गया।
पहाड़ी ब्लॉक के बेलवन गांव के निवासी शुभं श्रीवास्तव सरकारी सेवा में लेखपाल के पद पर भले तैनात रहे हों लेकिन साहित्य क्षेत्र में शुभं की स्थिति ‘अद्वितीय लेखन- पाल’ जैसी थी। गद्य लिखना हो या काव्य, सबमें शुभं अव्वल से नीचे कभी नहीं रहे। तकरीबन 10 वर्षों की अवधि में शुभं को प्रथम दृष्टया व्यक्तित्व में किशोरावस्था के चलते नवांकुर साहित्यकार समझने वालों को एक दो मुलाकातों में ऐसा लगने लगता कि मूल्यांकन में भूल हो गई और साहित्य की भट्ठी में तपकर तथा झुलस कर थके-हारे लोगों को यह एहसास होने लगता कि शुभं के चिंतन में हिमालय जैसी ऊंचाई है और समंदर जैसी गहराई भी।
शुभं साहित्यजगत का अभिमन्यु
पीलिया (हेपिटाइटिस-बी) बीमारी में चट-पट दुनियां छोड़ चले शुभं के निधन पर दार्शनिक चिंतन, लेखन एवं भोजपुरी-काव्य जगत के झंडाबरदार कवि तथा जिले के कण-कण से आत्मीयता रखने वाले एडिशनल कमिश्नर डॉ विश्राम के मुंह से ‘हे प्रभु, जिस तरह का अशुभ महाभारत में अभिमन्यु के साथ हुआ था और कालजयी अभिमन्यु छोटी उमर में स्वर्गारोहण पर निकल गया था वही स्थिति साहित्य जगत के अभिमन्यु-सरीखे शुभं की क्यों कर दी? अभी तो शुभं को साहित्य की लंबी यात्रा करनी थी।’ तीन नवगीत-संग्रह पर प्रदेश और देश की विभिन्न सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा शुभं अलंकृत तथा सम्मानित भी हुए थे।
नवगीतकार शुभम श्रीवास्तव ओम का एक मई को सुबह वाराणसी के अपेक्स हॉस्पिटल में तोड़ दी जीवन की लड़ी
जनपद के प्रसिद्द नवगीतकार शुभम श्रीवास्तव ओम का एक मई को सुबह वाराणसी के अपेक्स हॉस्पिटल में निधन हो गया। वह बीमार थे और 29 अप्रैल को अपेक्स में भर्ती हुए थे। उनका अंतिम संस्कार जनपद के चौबेघाट स्थित गंगातट पर किया गया।
30 की उम्र में तीन पुस्तकें प्रकाशित ‚ मिल चुका है हिंदी संस्थान द्वारा हरिबंश राय बच्चन युवा गीतकार पुरस्कार-2017
30 वर्ष की अपनी छोटी सी उम्र में ही शुभम ने नवगीत विधा में विशेष कार्य कर सभी को प्रभावित किया था। उनकी नवगीत की तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं- 1.गीत लड़ेंगे अंधियारों से 2. शोक गीतों के समय में 3. फिर उठेगा शोर एक दिन। कई महत्वपूर्ण नवगीत की पुस्तकों का शुभम ने संपादन किया है जिसमें 1- हम असहमत हैं समय से, 2- मैं चंदन हूँ, 3- हर सन्नाटा बोलेगा 4- शब्दों की शक्लों में 5- जो सूरज हमने ढूंढा है जैसी चर्चित नवगीत की पुस्तकें शामिल हैं।
वह मिर्ज़ापुर में राजस्व निरीक्षक के पद पर कार्यरत थे। उनकी नवगीत की पुस्तक को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा हरिबंश राय बच्चन युवा गीतकार पुरस्कार-2017 से सम्मानित किया जा चुका है।
आखिरकार अपने को रोक नही पाये और निकल गया अनायास मुख से….
शासकीय सेवा से जुड़े स्व शुभं को श्रद्धांजलि देते हुए भावुक हुए डॉक्टर विश्राम के मुंह से निकल पड़ा, ‘सर्वगुण संपन्न लोगों के साथ इस तरह की स्थिति असह्य हो जाती है।