अनिल द्विवेदी

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चकिया‚चंदौली। नौडीहा गांव में प्रयागराज से पधारे माधवाचार्य (महेश देव पान्डेय)जी महाराज ने सप्त दिवसीय संगीतमय भागवत कथा में बताया कि परमात्मा ने इस सृष्टि का निर्माण व मानव तन सृष्टि के हर जीव से प्रेम करने के लिए किया है।धरा पर जितने भी जीव है सभी में ईश्वर का वास है। व्यक्ति को व्यक्ति से प्रेम करना चाहिए। मनुष्य के जीवन का भी यही मुख्य लक्ष्य होना चाहिए।

WhatsApp Image 2023-08-12 at 12.29.27 PM
Iqra model school
WhatsApp-Image-2024-01-25-at-14.35.12-1
jpeg-optimizer_WhatsApp-Image-2024-04-07-at-13.55.52-1
srvs_11zon
Screenshot_7_11zon
WhatsApp Image 2024-06-29 at 12.
IMG-20231229-WA0088
WhatsApp Image 2024-07-26 at 15.20.47 (1)
previous arrow
next arrow

प्रकृति ने जो प्राकृतिक स्त्रोत दिए हैं उनका सदुपयोग कर हम जीवन को बना सकते है सफल

उन्होंने कहा कि परमात्मा ने हमें जो प्राकृतिक स्त्रोत दिए हैं उनका सदुपयोग कर हम जीवन को सरल-सफल बना सकते हैं।
सनातन संस्कृति में जानवरों का भी बहुत महत्व है. इस धर्म में हर जानवर को मुख्य माना जाता है. यह जानवर किसी ना किसी देवी-देवता की सवारी भी होते हैं।
हम चींटियों को हर समय नजरअंदाज करते हैं, उन्हें पैरों तले कुचल देते हैं. चींटी बहुत ही मेहनती और एकता से रहने वाली जीव है. सामूहिक प्राणी होने के कारण चींटी सभी काम बांटकर करती है।

khabaripost.com
sardar-ji-misthan-bhandaar-266×300-2
bhola 2
add
WhatsApp-Image-2024-03-20-at-07.35.55
jpeg-optimizer_bhargavi
1002375393
Screenshot_24
previous arrow
next arrow

सच्ची लगन और तड़प के साथ भगवान का ध्यान करने से मिलती है प्रभु की दया और कृपा

जब हम सच्ची लगन और तड़प के साथ भगवान का ध्यान-योग में बैठते हैं, तब हमें प्रभु की दया और कृपा अवश्य मिलती है ताकि हम अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच सकें। प्रभु के प्रति प्रेम दर्शाने का दूसरा तरीका है निष्काम सेवा है। सारी सृष्टि प्रभु की संतान है। जब हम बिना स्वार्थ से दूसरों की सेवा करते हैं, तो हम प्रभु की सेवा करते हैं। और ईश्वर का निस्वार्थ भाव प्रेम होता है। ईश्वर का प्रेम न केवल अपने भक्तों के प्रति होता है, बल्कि वह सभी प्राणियों के प्रति होता है। वह सभी को समान रूप से प्यार करता है और सभी की रक्षा करता है। ईश्वर का प्रेम भाव निस्वार्थ होता है क्योंकि उसे कुछ नहीं चाहिए, उसे किसी भी प्रकार का मेवा मिष्ठान नहीं चाहिए।

भगवान विष्णु ने एक बार धरती को बचाने के लिए लिया था मत्स्य अवतार

हमारे धर्म ग्रंथों में भी बताया गया है कि धरती पर जन्म लिए चाहे पेड़ पौधे भी क्यों न हो हर एक जीव जंतु हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। ज्योतिष शास्त्र में भी जीव जंतुओं के माध्यम से मनुष्यों की अनेक समस्याओं का समाधान करने के उपाय बताए गए है। ज्योतिष शास्त्र में मछलियों को दाना डालने से कई फायदे बताए गए हैं जिन्हें आजमाने से व्यक्ति जीवन की कई परेशानियों का हल पा सकता है।

WhatsApp Image 2024-10-30 at 20.06.19
WhatsApp Image 2024-10-30 at 20.06.19
WhatsApp Image 2024-10-30 at 19.59.31(1)
WhatsApp Image 2024-10-30 at 19.59.31(1)
WhatsApp Image 2024-10-30 at 19.59.31
WhatsApp Image 2024-10-30 at 19.59.31
WhatsApp Image 2024-10-30 at 19.59.30(1)
WhatsApp Image 2024-10-30 at 19.59.30(1)
WhatsApp Image 2024-10-30 at 19.59.30
WhatsApp Image 2024-10-30 at 19.59.30
Screenshot_6
Screenshot_6
WhatsApp Image 2024-11-01 at 19.54.08(1)
WhatsApp Image 2024-11-01 at 19.54.08(1)
WhatsApp Image 2024-11-01 at 19.54.08
WhatsApp Image 2024-11-01 at 19.54.08
PlayPause
previous arrow
next arrow


पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान विष्णु ने एक बार धरती को बचाने के लिए मत्स्य अवतार लिया था। इसलिए मछलियों को बेहद ही शुभ माना जाता है। मछलियों को रोजाना सुबह दाने डालना बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए मछलियों को शनि ग्रह से जोड़कर भी देखा जाता है। शनि ग्रह के अशुभ होने पर मछलियों को दाना खिलाना अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से घर में सकारात्मकता का संचार होता है और नकारात्मकता दूर होती है। मछलियों को चारा खिलाने से छाया ग्रह राहु और केतु का प्रभाव भी व्यक्ति के जीवन पर कम होने लगता है।