सलील पांडेय
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
रंग-1
किसी राजनेता की टिप्पणी कि ‘राजनीति वेश्या हो गई है’ पर वेश्याओं की प्रतिक्रिया, ‘राजनीतिज्ञ हमसे अपनी तुलना न करें, हम उनसे बेहतर हैं, यदि किसी ग्राहक से पैसा लेते हैं तो उसके बदले में अदायगी भी करते हैं जबकि राजनीतिज्ञ कब दिल बदलते हैं, कब दल बदलते हैं, इसका थाह लगा पाना सँभव नहीं। अतः राजनीतिज्ञ कमेंट के लिए माफी मांगें।’
रंग-2
‘हलो फायर बिग्रेड, मैं राजनीतिक दल फलाँ से बोल रहा हूं, यहां बवाल हो गया है, दफ्तर में आग लग गई है, तत्काल यहां आइए और आग बुझाइए।’
◆कुछ ही देर बाद
‘हलो, वहां मत भेजिए, मैंने दल बदल दिया है, जब फोन करेंगे तब भेजिएगा।’
◆जब तक फायरकर्मी तैयार होते तब तक फिर फोन की घण्टी बजी
‘हलो, यहां भेजिए’। इस पर फायरकर्मी ने कहा कि ‘गाड़ी में पानी भर कर जब चलने की स्थिति में होंगे तब हम खुद ही पूछ लेंगे कि आप किस दल में चले गए। वहीं सीधे आ जाएंगे।’
आखिर हो क्या रहा है मिर्जापुर व सोनभद्र में ?
मिर्जापुर और सोनभद्र में यही हो रहा है। मिर्जापुर में सपा की साइकिल की मेन सीट पर राजेन्द्र एस बिंद सवार थे। अचानक हवा का झोंका भदोही में ऐसा चला कि भाजपा के सांसद रमेश बिंद के हाथ से ‘कमल’ उड़ गया और वे खुद भी उड़ते हुए पुराने घर मिर्जापुर में आकर ‘साइकिल’ के मेन सीट पर सवार होते नज़र आ रहे।
तीन परिवर्तन तो लाजमी है
साइकिल है। इसमें कम से कम तीन परिवर्तन तो हो सकते हैं। एक मेन सीट है, एक पीछे कैरियर सीट है तो आगे हैंडिल के बीच में लगी पाइप पर भी एक सवारी बैठ सकती है। मेन सीट पर जिसके पांवों में ‘हाथी’ जैसी शक्ति दिखेगी, उसे ही तो बैठाया जाएगा। सो, राजेन्द्र एस बिंद को ‘राजेन्द्र नो बिन्द’ कर पीछे कैरियर पर बैठाया ही जा सकता है।
सोनभद्र में इस बार कप नीचे और प्लेट ऊपर
सामान्यतया प्लेट के ऊपर कप रखा जाता है। इस तरह प्लेट आधार होता है और कप को धारण करता है। ‘चायवाले’ के जमाने में कप-प्लेट कैसे रखा जाएगा, इस पर कोई टीका-टिप्पणी नहीं की जा सकती । इस बार कप आधार और प्लेट उस पर आश्रित हो गया है। कुछ को अजीबोगरीब लगा यह तरीका लेकिन हर मामले में काज़ी की नहीं चलती है।चलती है तो ऊपर वाले मालिक की ही है।