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पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार को  सपा से टिकट मिलने से  दिलचस्प हुआ मुकाबला!

  • वर्ष 2014 में मोदी लहर में राबर्ट्सगंज सीट से बने थे सांसद
  • इंडिया गठबंधन का प्रत्याशी बने तो दुद्धी विस पर पड़ेगा प्रभाव
  • अनुसूचित जनजाति वोटों पर है मजबूत पकड़
  • जातीय आंकड़ों के सहारे जीत तलाशने में जुटे उम्मीदवार

राबटर्सगंज भाजपा के लिए बन सकती है मुसीबत

यूपी की सबसे आखिरी सीट राबटर्सगंज पर सत्तापक्ष और प्रमुख विपक्षी दल की तरफ से टिकट को लेकर बना सस्पेंश आखिरकार रविवार को समाप्त हो ही गया। जब समाजवादी पार्टी ने छोटे लाल खरावार को इंडिया गठबंधन का प्रत्याशी बनाया। समाजवादी पार्टी ने इन्हे अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।

भारी मुसीबत पैदा कर सकते है उसके ये बागी

भाजपा के लिए भारी मुसीबत पैदा कर सकते है उसके ये बागी । जहा पर पार्टिया आए दिन नया समीकरण बनाने में लगी है।यूपी की सबसे आखिरी सीट राबटर्सगंज पर सत्तापक्ष और प्रमुख विपक्षी दल की तरफ से टिकट को लेकर बना सस्पेंश पर आए दिन नया समीकरण बन विगड रहा था। भाजपा के पूर्व सांसद ने लंबे जद्दोजहद के बाद आखिरकार समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। सांसद के सपा में जाने से लोकसभा राबर्ट्सगंज का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। एनडीए गडबंधन के तहत राबर्ट्सगंज सीट अपना दल एस के खाते में चली गयी है।उसके बाद सबकी निगाहे समाजवादी पार्टी के नेतृत्व पर लगी हुई है।एनडीए गडबंधन के तहत राबर्ट्सगंज सीट अपना दल एस के खाते में चली गयी है।जहा से रिंकी कोल हो अपना दल ने अपना प्रत्याशी बनाया था।

  • इस बार भाजपा के लिए मुसीबत बन सकते है छोटे लाल खरवार कारण कि दुद्धी विधानसभा में खरवार वोटर निर्णायक भूमिका में है।
  • वही टिकट मिलनें के बाद छोटे लाल खरवार ने कहा कि अगर पार्टी ने मुझ पर भरोसा जताया तो उन्हें सार्थक परिणाम देने के लिए पूरा दमखम लगाने का काम करूंगा।

छोटे लाल खरवार को टिकट मिलते ही बदला माहौल

चंदौली जिले की चकिया विधानसभा के मूल निवासी और रॉबर्ट्सगंज लोकसभा के पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार भारतीय जनता पार्टी की के लिए टेंशन बढ़ाने वाले हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता हासिल करके सीट पर दावेदारी ठोक दी है। माना जा रहा है कि अपना दल के टिकट पर कोल बिरादरी का उम्मीदवार मैदान में आने के बाद दूसरे दल खरवार या किसी अन्य जाति पर भरोसा करेंगे। समाजवादी पार्टी व इंडिया गठबंधन कोल बिरादरी के अलावा किसी और को अपना उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी सौंप सकता है। इसलिए छोटेलाल खरवार अपने कुछ समर्थकों के साथ टिकट की रेस में बने हुए हैं।

आखिरकार छोटेलाल की तलाश हुई पूरी

 आपको बता दें कि छोटेलाल खरवार का नाम उसे समय चर्चा में आया था, जब उनको भारतीय जनता पार्टी ने टिकट देकर 2014 में लोकसभा सांसद बनने का मौका दिया था। वह बिना किसी खास जोर के चुनाव जीत कर संसद में पहुंच गए, लेकिन 2019 के चुनाव में यह सीट अपना दल के गठबंधन में चली गई तो उनको दोबारा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला। साथ ही वह 2022 के विधानसभा चुनाव में भी टिकट मांगते रहे लेकिन भाजपा ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी।  तब से वह अपने लिए नई जगह तलाश रहे थे।

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