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(पहले अध्याय का पहला पन्ना)

बर्बाद-ए-ज़माना करने को, बस एक ही वक्ता काफ़ी था,

हर ओर वक्ता ही वक्ता हों, अंज़ाम-ए-ज़माना क्या होगा?

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

मिर्जापुर। इधर देखा वक्ता, उधर देखा वक्ता, प्राच्यां (पूरब) वक्ता, प्रतिच्यां (पश्चिम) वक्ता, उत्तरे-दक्षिणे वक्ता ही वक्ता। कहां छिपे बेचारे जो फंसे हैं श्रोता।
गुनहगार अपनी डायरी के पहले पन्ने की दास्तां सुनाने चल रहा है न कि कविता लिखकर आप-सब का भोला-भाला ‘कुमार’ या ‘विश्वास’ कवि बनना चाह रहा है। अलबत्ता किसी भाई को पसंद आ जाए तो दिल्ली-विल्ली से कोई तगड़ा पुरस्कार दिला देगा तो यह गुनहगार अपने पूरे खानदान की ओर से प्रतिज्ञा करता है कि खानदान के बूढ़े-बच्चे सभी एहसानमंद ही नहीं रहेंगे बल्कि पुरस्कार दिलाने में लगने वाले ख़र्चा-पानी की भी व्यवस्था कर तत्काल के साथ व्याज के एवज में निरन्तर करते रहेंगे।

वक्ता पुराण

गुनहगार की डायरी लंबी वैसे ही है जैसे माइक पाते वक्ता हिमालय से निकली और भाखड़ा नांगल बांध तक इठलाती गङ्गा की तरह भाषणों में इठलाता रहता है। नाबाद ओपेनर (सलामी बल्लेबाज) की तरह टेस्टमैच में पांचों दिन ठुक-ठुक ही सही, घण्टे दो घण्टे में एकाध बार दौड़ कर ‘रन’ नामक पुत्र को जन्म देता है। हर वक्ता देश को खुशहाल, खुद को अवतार दूसरों को महापातक ग्रह की तरह परिभाषित करने में लगा दिखता है।

सफेद दाढ़ी-मूंछ में छिपी नागिन चाल और ब्लैक डाई वाले काले नाग की तरह नेचुरल बाल प्रदर्शित करने वाले वक्ता

धैर्य की ज्यादा परीक्षा न लेते हुए सिर्फ़ इतना कि सफ़ेद दाढ़ी-मूंछ की सफेदी का सच और सिर पर ही बैठे काले झूठ का एक्स-रे रिपोर्ट दूसरे पन्ने पर है, जो कल खोला जाएगा…(जारी)

मिर्जापुर से ‘पंजीकृत गुनहगार’