WhatsApp Image 2023-08-12 at 12.29.27 PM
Iqra model school
WhatsApp-Image-2024-01-25-at-14.35.12-1
WhatsApp-Image-2024-02-25-at-08.22.10
WhatsApp-Image-2024-03-15-at-19.40.39
WhatsApp-Image-2024-03-15-at-19.40.40
jpeg-optimizer_WhatsApp-Image-2024-04-07-at-13.55.52-1
srvs_11zon
Screenshot_7_11zon
WhatsApp Image 2024-06-29 at 12.
IMG-20231229-WA0088
previous arrow
next arrow
  • गायत्री जप प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
  • गौतम बुद्ध के कर्म के सिद्धान्त अपनाने पर बल

सलिल पांडेय

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

मिर्जापुर। अध्यात्म, साहित्य एवं संस्कृति के संस्था त्रिवेणी के अध्यक्ष रवींद्र कुमार पांडेय ने बुद्ध जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि ईसा से 563 वर्ष पूर्व अखण्ड भारत के नेपाल के राजकुल में जन्मे गौतम बुद्ध ने लोक-कल्याण के लिए न सिर्फ राजमहल बल्कि पत्नी एवं सन्तान तक को त्याग दिया। ऐसा नहीं कि वे निष्ठुर थे । उनकी सोच बहुत विराट थी। सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध होने के बाद वे अपनी पत्नी यशोधरा तथा पुत्र राहुल को भी उस उन्नत स्थिति तक ले जाने के लिए आए जिस उन्नत अवस्था के लिए उन्होंने कठिन तपस्या की। पहले तो पत्नी नाराज जरूर हुई लेकिन जब उनके अंतर्मन को झांका तो वहां उसेमानवता का सागर दिखाई पड़ने लगा था।

गौतम बुद्ध बलपूर्वक नहीं ‚हृदय परिवर्तन के जरिए मनुष्य के रूपांतरण के रहे पक्षधर

नगर के गैबीघाट स्थित हनुमान मन्दिर में बुद्ध जयंती के अवसर पर नई पीढ़ी को गायत्री मंत्र प्रशिक्षण के लिए आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अथिति श्री पांडेय ने कहा कि गौतम बुद्ध बलपूर्वक नहीं बल्कि हृदय परिवर्तन के जरिए मनुष्य के रूपांतरण के पक्षधर रहे हैं। इस अवसर पर अधिवक्ता रमाकांत त्रिपाठी एडवोकेट ने कहा कि जो काम देवर्षि नारद ने रत्नाकर डाकू का किया और उसके अंतर्जगत में स्नेह-प्रेम की वीणा की ध्वनि पैदा की एवं ऋषि वाल्मीकि बना दिया उसी तरह का काम गौतम बुद्ध ने अंगुलिमाल का किया। हिंसक प्रवृत्तियों को छोड़कर स्वेच्छा अंगुलिमाल बौद्ध भिक्षु बन गया।
श्री पाण्डेय ने कहा कि गौतम बुद्ध के जन्म-तिथि पर गौर करें तो वैशाख महीनेकी पूर्णिमा तिथि को उनका जन्म हुआ । वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को चद्रमा विशाखा नक्षत्र में स्थित रहता है। विशाखा का अर्थ विशिष्ट शाखाओं का विस्तार भी है। जब चिंतन की शाखाओं का विस्तार विशिष्टता के साथ होता है तभी उसे श्रेष्ठ माना जाता है।

इस अवसर पर मन्दिर के पुजारी रामानुज महाराज ने नई पीढ़ी को गायत्री मंत्र जपने की सरलतम विधि से अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन सलिल पांडेय ने किया।

khabaripost.com
sagun lan
sardar-ji-misthan-bhandaar-266×300-2
bhola 2
add
WhatsApp-Image-2024-03-20-at-07.35.55
jpeg-optimizer_bhargavi
WhatsApp-Image-2024-06-22-at-14.49.57
previous arrow
next arrow