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सरदार महेन्द्र सिंह

इलाज में लापरवाही बरतने के मामले में न्यायालय ने माना निर्दोष‚चिकित्सकों में हर्ष

खबरी पाेस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

डीडीयू नगर‚चंदौली। नगर क्षेत्र के जे.जे क्लीनिक एंड नर्सिंग होम में एक युवती के इलाज में लापरवाही के मामले में राज्य उपभोक्ता फोरम ने नर्सिंग होम के चिकित्सक की लापरवाही मानते हुये आर्थिक दंड लगाया था। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने जे.जे. नर्सिंग होम के पक्ष में निस्तारित कर दिया है। जिससे नगर के चिकित्सकों में हर्ष व्याप्त हो गया।

पत्रकार वार्ता में डा राजीव ने बताया कुछ यू रहा घटनाक्रम

नगर के एक लॉन में आयोजित पत्र प्रतिनिधियों से वार्ता के दौरान जे जे क्लीनिक एंड नर्सिंग होम के निदेशक डॉ राजीव ने बताया कि रिचा सिंह ने 11 अक्टूबर-2001 को भर्ती होकर इलाज कराया था। उसके बाद उन्होंने बीएचयू व के.ई. एम मुम्बई में इलाज करवाया। जहां उनके एक पैर में गैंग्रीन हो जाने के कारण उनका पैर काटना पड़ा था। ऋचा सिंह ने राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतिरोध आयोग लखनऊ में बाद दायर कर दिया। आरोप लगाया कि उच्च गुणवत्ता वाले बुखार के इलाज के दौरान उनके बाएं पैर में बैंडेज को कस कर बांधा गया था। जिसके कारण उनके पैर में गैंग्रीन हो गया था। जिसका इलाज बीएचयू व मुंबई में कराया गया। जहां इलाज के दौरान गैंग्रीन का प्रसार रोकने के लिए बाएं पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ा। चिकित्सकों ने बाएं पैर में केत्रीम पैर लगाया।

राज्य आयोग ने शिकायत को दी मंजूरी‚बावजूद इसके राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम ने दिया क्लिन चिट

राज्य आयोग ने नर्सिंग होम के खिलाफ शिकायत को आंशिक रूप से मंजूरी देते हुए 20 लाख रुपये 6% ब्याज के साथ देने का आदेश दे दिया। तत्पश्चात उक्त संस्थान के निदेशक डॉ राजीव ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपील संख्या 2135/2018 दायर की। आयोग ने पूरे मामले को काफी गंभीरता से लिया। दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने व पूर्व में ऐसे कई मामलों का उच्चतम न्यायालय व हाइकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अपीलकर्ता एक पात्र सलाहकार चिकित्सक और कार्डियोलॉजिस्ट है। कोई भी बुद्धिमान पेशेवर चिकित्सक ऐसी इच्छा शक्ति से काम नहीं करेगा। जिससे मरीज को हानि पहुंचे। जिससे उसका चिकित्सक पेशा खराब होने का खतरा रहता है। आयोग ने अपने फैसले में राज्य आयोग को गलत ठहराया। कहा कि पीड़िता की शिकायत घटना होने के साढ़े छः वर्ष बाद दाखिल की गई थी।जिस समय ऋचा सिंह किशोरी थी।राष्ट्रीय आयोग ने राज्य आयोग के आदेश को खारिज कर दिया।

कार्यक्रम के दौरान इनकी रही मौजूदगी

इस दौरान आईएमए के अध्यक्ष डॉ डी पी सिंह,डॉ सी सोम,डॉ गौतम तिवारी,डॉ राजेश अगरैया, डॉ ज्योत्सना आनंद,डॉ सुमन सिंह,डॉ राजेन्द्र श्रीवास्तव,डॉ विष्णु आनंद,डॉ अशोक सिंह,डॉ एस के आर्य,डॉ सी एस झाँ,डॉ राहुल सिंह,डॉ जी ए खान,डॉ हर्षित सिंह, डॉ रवि गुप्ता आदि लोग उपस्थित रहे।

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