सलील पांडेय
- स्वप्न दिखाना और फिर उसे बेरहमी से तोड़ देना भी घटते मतदान का कारण।
- जीवन जीने के लिए लड़ने वाले प्रत्याशियों के प्रति चिढ़ दिखाई पड़ रही है ।
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
★ग्रीष्म ऋतु में सूर्यदेव की तनी भृकुटि का असर 7वें चरण के चुनाव पर भी अवश्य पड़ेगा।
★47-48 सेल्सियस डिग्री तापमान से मतदान झुलसता दिख सकता है।
★पीछे के 6 चरणों के कई क्षेत्रों में 50% मतदान से नीचे होने का अनुमान इस चरण में भी लगाया जा रहा है।
★पहली बार मतदान करने वाले युवा वोटरों में जरूर उत्साह दिखाई पड़ेगा लेकिन 50 वर्ष की उम्र या उससे अधिक वालों में उत्साह कम दिख रहा है।
★50 वर्ष की उम्र से ऊपर के लोग अपनी जिंदगी की समस्याओं से ही लड़ने में लगे हैं लिहाजा सांसद बनकर ठाठ-बाट से ।
★दौराने-चुनाव प्रचार ‘विकास, विकास’ की रट से ‘विकास’ शब्द से वोटरों को ऊबन हो रही है।
★वोटर बार-बार यही देख रहा कि वायदा विकास का वोटरों से किया जाता है और ‘विकास का अवतरण’ जीते हुए प्रत्याशी के आंगन में होता है, लिहाज़ा उसका आंगन महल के रूप में तब्दील होने लगता है।
★तत्काल लग्जरी वाहन सिर्फ जीता हुआ प्रत्याशी ही नहीं बल्कि उसके परिवार के एक-एक सदस्य के पास हो जाता है।
★जीता हुआ प्रत्याशी तत्काल जमीन खरीदने, फैक्ट्री लगाने तथा प्लाटिंग में लग जाता है।
★चुनाव के दौरान झुका-झुका रहने वाला जीत के बाद अकड़ के साथ रहने लगता है।
★वह दिन को रात कह दे तो फिर सब को रात ही बोलना पड़ेगा।
★किसी ने कहा दिया कि ‘रात नहीं दिन है’ तो वह जानी-दुश्मन हो जाता है जीते प्रत्याशी की नजरों में।
★क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाली निधि के उपयोग में सौदेबाजी भी होने की बातें सामने आने लगती है।
★निधि केवल ठीकेदार टाइप के लोगों को ही मिल पाती है।
★निधि के तहत हुए कामों की आयु बहुत कम होती है।
★हालांकि यह सिर्फ जीते हुए प्रत्याशी की ही बात नहीं, जिसे मौका मिलता है, प्रायः वही करता है।
★लेकिन जिसे मौका नहीं मिलता वह अंदर-ही-अंदर कुढ़ता रहता है।
★ऐसे लोग की अंतरात्मा में ‘आने दो अगला चुनाव, सबक सिखाएंगे’ की गूंज उठने लगती है।
★इस तरह जीत कर व्यवस्था में गोता लगाने वालों के प्रति वितृष्णा का भाव स्वाभाविक है।
★यह भी कारण है कि मतदान चढ़ नहीं रहा है।