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अररिया में बकरा नदी पर बना पुल उद्घाटन से पहले ही ढहा, 12 करोड़ की लागत से हुआ था तैयार Bakra River Bridge Collapsed: बिहार के अररिया में 12 करोड़ की लागत से तौयार हुआ पुल उद्घाटन से पहले ही ध्वस्त हो गया है. ये पुल अररिया जिले के सिकटी में बकरा नदी पर बनाया गया था

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

पटना। एजेंसिया।बिहार में एक बार फिर उद्घाटन से पहले पुल ध्वस्त हो गया. इस बार अररिया जिले के सिकटी में बकरा नदी पर बना पुल धराशायी हुआ है. इससे पहले भागलपुर के सुल्तानगंज में गंगा नदी पर बन रहा पुल गिराकर ध्वस्त हो गया था. गंगा नदी पर बन रहा पुल एक बार नहीं, बल्कि दो-दो बार बनने से पहले ही गिर चुका है.

पुल हादसे के बाद लोगों ने आरोप लगाया कि पुल के निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल किया गया था इसलिए पुल उद्घाटन से पहले ध्वस्त हो गया। 

अररिया : बिहार में पुलों के गिरने का ट्रेंड चल रहा है. खास तौर पर बकरा नदी पर पुल लगभग हर साल गिरता है. कभी नदी के रास्ता बदलने से एप्रोच रोड टूट जाता है तो कभी पुल. इस बार करोड़ों की लागत से बना पुल धड़ाम हो गया है.

अररिया में गिरा पुल : गौरतलब है कि नेपाल में मूसलाधार बारिश होने के कारण सिकटी प्रखंड होकर गुजरने वाली बकरा नदी में अचानक उफान आ गया है. इसी उफान के कारण यह पुल बह गया. दरअसल बकरा नदी पर पांच वर्ष पहले भी एक पुल बनाया गया था. पुल के पूरा होते ही बकरा नदी ने धारा बद ली थी. उसके बाद इस नए पुल का निर्माण कराया जा रहा था।

नेपाल में आई बारिश का पहला रुझान : नेपाल में हुई बारिश के कारण अचानक आए नदी में तेज बहाव ने पुल को अपने साथ बहा लिया. पुल का कार्य पूरा हो गया होता तो इससे सिकटी और कुर्साकांटा प्रखंड जुड़ जाता. यह दुखद बात है कि सरकार ने इस पुल पर 12 करोड़ रुपए खर्च किए थे लेकिन सब पानी में चला गया।

5 साल में दूसरी बार नदी ने बदला रास्ता : इस बहाव में परडिया घाट पर बने पुल का तीन पाया भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये. इसके ऊपर बना गार्डर भी नदी में समा गया है. इस बात को लेकर स्थानीय लोगों में काफी रोष है. इतना घटिया निर्माण किए जाने से इस पुल की यह दशा हुई है।

उद्घाटन से पहले ध्वस्त हुआ पुल : बता दें कि इस पुल का उद्घाटन होने वाला था. लेकिन उद्घाटन से पहले ही करोड़ों की लागत से बनने वाला पुल ध्वस्त हो गया. बिहार में एक के बाद एक पुल गिर रहे हैं. कोई आंधी से तो कोई बिना आंधी और पानी के. ये हाल तब है जब प्रदेश में बारिश नहीं हुई।

पुल की गुणवत्ता पर सवाल : पुल कैसे गिरा, क्या गुणवत्ता में कोई कमी की वजह से ये हादसा हुआ ये कह पाना मुश्किल है. फिलहाल इस बार भी पुल गिरने पर जांच का मुलम्मा चढ़ाया जाएगा. देखना है कि संबंधित जिम्मेदार पुल के गिरने की क्या वजह बताते हैं।

12 करोड़ का पुल पानी में बहा : सिकटी विधानसभा के विधायक विजय कुमार मंडल ने बताया कि ”पुल का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा कराया जा रहा था. हम लोगों को उम्मीद थी के पुल बढ़िया और मजबूत बनेगा. लेकिन अभी बारिश की शुरुआत में ही पुल का बह जाना विभाग के संवेदक की लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोलता है. इस कार्य में लगे संवेदक पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और साथ ही ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए”

वाकई में गजब की नदी है भाई ! पुल बनाओ इधर, बहने लगती है उधर

अररिया की बकरा नदी गजब है! इंजीनियर भी इसके धार की रफ्तार को वश में नहीं कर पा रहे हैं. यू कहें कि बकरा नदी बिहार के इंजनियरों की ‘औकात’ से बाहर हो चुकी है. ऐसा लग रहा है कि नदी इंजीनियरों को सबक सिखा रही है. वो इधर पुल बना रहे होते हैं और नदी उधर से बहने लगती है. ऐसा एक बार नहीं बल्कि तीसरी बार होने जा रहा है।

इंजीनियर्स को चकमा दे रही नदी : पुल के दोनों हिस्से अब सूखे में खड़े हैं. हर कोई बिहार के इंजीनियर की इंजीनियरिंग की दाद दे रहा है. इधर बकरा नदी है कि इंजीनियरों की ‘औकात’ से बाहर हो चुकी है. गांव वाले बता रहे हैं कि बकरा नदी एक बार फिर अपना रास्ता बदल रही है. बार-बार मार्ग बदले जाने की वजह से 31 करोड़ की लागत से तैयार खड़ा पुल अब किसी काम का नहीं रहा. लोगों के अरमान फिर एक बार नदी की धारा में गुम हो गए हैं. अगर ये पुल निर्माण पूरा हो जाता तो इस रास्ते के कुर्साकांटा और सिकटी प्रखंड से लेकर नेपाल सीमा तक के लाखों लोगों को इसका फायदा मिलता.

नदी का मार्ग बदलने से कई घरों की जल समाधि : स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि बकरा नदी के धारा बदलने से सिर्फ पुल का ही नहीं बल्कि कई घरों को भी नुकसान पहुंचा है. इसकी धारा में कई घर विलीन हो गए. एक पूरी की पूरी बस्ती ही बकरा नदी के बदले रास्ते में आ गई. लोगों को काफी दिक्कते उठानी पड़ रही है. सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है.

सिकटी विधायक विजय मंडल के अनुसार जिले के ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा यह पुल तैयार किया गया था. जमीन पर ही पिलर गाड़कर तैयार किया गया था. एप्रोच रोड भी नहीं बना था. करीब 12 करोड़ की लागत वाली करीब 100 मीटर का यह पुल था. इसका उद्घाटन नहीं हुआ था, पूरी तरह से कंप्लीट भी नहीं था।

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