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जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है

चकिया‚चंदौली। पं ओंकारनाथ तिवारी की स्मृति में उनके प्रथम पुण्य तिथि पर दिनांक 29 जून से 05 जुलाई तक सात दिवसीय श्री मद् भागवत कथा का आयोजन नियमताबाद सरने मोड पर पेट्रोल पम्प के सामने प्रत्येक दिन सायं 06 बजे से रात्रि 09 बजे तक अर्न्तराष्ट्रीय कथा वाचक आचार्य श्री शान्तनु जी महाराज के मुखारविन्दु से सुनने को मिलेगा।

डा गीता शुक्ला क्षेत्र की प्रमुख समाज सेविका के रूप में

बता दे कि चकिया की मदर टेरेसा कही जाने वाली प्रमुख समाज सेविका डा० गीता शुक्ला व उनके सुपुत्र शरद तिवारी व बन्धु वान्धवों की तरफ से सात दिवसीय कथा का आयोजन किया गया है। जिसमें शनिवार को सायंकाल नियामताबाद मंदिर से यात्रा निकल कर कथा स्थल पर समाप्त होगी। तत्पश्चात कथा का श्रवण दिव्य प्रेम सेवा के प्रख्यात कथावाचक आचार्य शान्तनु जी महाराज द्वारा किया जायेगा।

पूरे सात दिन बहेगी भक्ति की ज्ञान गंगा‚जल्दी समय से पहुॅचे कही छूट न जाये

विगत वर्ष डा गीता शुक्ला के पतिदेव पं ओंकारनाथ तिवारी का स्वर्गवास हो गया था उनके प्रथम पूण्य तिथि पर श्री मद् भागवत कथा का आयोजन उनके परिजनों के तरफ से किया जा रहा है। पूरे सात दिन सायंकाल 06 बजे से रात्रि 09 बजे तक भक्ति का अमृत बरसेगा। आप इस रसपान से छूट न जाये और समय से अपना स्थान ग्रहण कर लेवे। वही बता दे कि डॉ गीता शुक्ला का लगाव भक्ति व कथा श्रवण के साथ ही सामाजिक कार्यो में प्रमुख रूप से रहा करता है।

कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है

कहा जाता है कि जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।

भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते

आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है। इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है। कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।

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