वाराणसी जिले को केन्द्र सरकार ने एक और सौगात दी है, जिसमें गंगा नदी पर 1200 करोड़ रुपये की लागत से सिग्नेचर ब्रिज शामिल है। आज इसको केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। पटना के बाद वाराणसी में बनने वाला सिग्नेचर ब्रिज में सिक्स लेन की सड़क होगी और ट्रेनों के लिए नीचे चार रेल ट्रैक भी बिछाए जाएंगे
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
सरदार महेन्द्र सिंह
डीडीयू नगर ‚चंदौली। वाराणसी। में गंगा पर 1200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले सिग्नेचर ब्रिज को केंद्र की मंजूरी मिल गई है। पटना के बाद वाराणसी में वनने वाला सिग्नेचर ब्रिज सिक्स लेन का होगा। ट्रेनों के लिए नीचे चार ट्रैक विछाए जाएंगे। इस ट्रैक पर 100 किलोमीटर से ज्यादा रफ्तार से ट्रेनें दौड़ेंगी।
सिक्स लेन सड़क वाराणसी से चंदौली, बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल तक की राह करेगी आसान
नए पुल की सिक्स लेन सड़क वाराणसी से चंदौली, बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल तक की राह आसान करेगी। सिग्नेचर ब्रिज जिस काशी स्टेशन से जुड़ेगा, उसके पुनर्विकास के लिए 300 करोड़ रुपये मंजूर हुए है। आईआईटी बीएचयू और रुड़की के साथ ही पुरातत्व विभाग की ओर से अनुमति मिल जाने से निर्माण शुरू करने की तैयारी है। इसको लेकर रेलवे और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ हाईलेवल बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
1887 में वने वनारस के मालवीय पुल (राजघाट) के समानान्तर और नए इंटर मॉडल काशी स्टेशन को केन्द्र में रखकर
सिग्नेचर ब्रिज बनारस में बनने वाले देश में अपने ढंग के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्लेटफार्म के तहत ‘परिवहन संगम’ का हिस्सा है। परिवहन संगम स्थल पर रोड, रेल, गंगा में फेरी सर्विस व रोप-वे से पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा उपलब्ध होगी।
सिग्नेचर ब्रिज 1887 में वने वनारस के मालवीय पुल (राजघाट) के समानान्तर और नए इंटर मॉडल काशी स्टेशन को केंद्र में रखकर बनेगा। दो फ्लोर वाले वर्तमान मालवीय पुल में दो रेलवे ट्रैक और चार लेन की सड़क है। इस पर से औसत 25 से 30 की गति से ही ट्रेनें गुजरती हैं। चार साल में बनकर तैयार होने वाला नया ब्रिज मौजूदा राजघाट ब्रिज से ठीक दो गुना होने से एक समय में ज्यादा वाहन फर्राटा भर सकेंगे तो एक समय में अप और डाउन लेन से चार ट्रेनें तीन गुना ज्यादा रफ्तार से आ-जा सकेंगी।
सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण से पूर्व पहले शहर में डायवर्जन किया जाएगा लागू
सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण से पूर्व पहले शहर में डायवर्जन लागू किया जाएगा। ट्रैफिक प्लानिंग व यूटिलिटी शिफ्टिंग प्लानिंग के लिए समितियों का गठन किया जाएगा। मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा ने यातायात विभाग को रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है, ताकि निर्माण के दौरान आमजन को किसी तरह की दिक्कत न होने पाए।
रोका जा सकता है राजघाट की तरफ से वाहनों का आवागमन
सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण के चलते राजघाट की तरफ से वाहनों का आवागमन रोका जा सकता है। ऐसे में वाराणसी से मुगलसराय जाने वाले वाहनों को बीएचयू, सामने घाट पुल से गुजारना होगा और उधर से आने वाले वाहनों को भी इसी रूट पर लाना होगा। इससे सामने घाट समेत बीएचयू लंका गेट पर भी यातायात काफी बढ़ जाएगा। ऐसे में ट्रैफिक कंट्रोल करना चुनौती होगी।
लम्बे समय तक रूट डायवर्जन को लेकर अधिकारियों में हो रहा मंथन
दरअसल, पुल निर्माण में लंबा समय लग सकता है। इतने लंबे समय तक रूट डायवर्जन को लागू कर सफल बनाना चुनौती है। ऐसे में अधिकारियों की टीम इस पर मंथन कर रही है। यातायात विभाग को सभी पहलुओं पर विचार कर अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। इसको लेकर अगले सप्ताह सभी विभागों के अधिकारी स्थलीय निरीक्षण भी कर सकते हैं। वहीं कैंट स्टेशन पर वाहनों के लिए पार्किंग स्थल बनाने पर भी विचार किया जा रहा है।
सिग्नेचर ब्रिज बनने के ये होंगे फायदे
वहीं इस सिग्नेचर ब्रिज के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने ट्वीट कर बताया कि, ‘काशी के बुनियादी ढांचे में बड़ी उन्नति होने जा रही है. गंगा नदी पर₹1200 करोड़ की लागत से सिग्नेचर ब्रिज को मंजूरी दे दी गई है. केंद्रीय अनुमोदन से यह 6-लेन पुल पश्चिमबंगाल से कनेक्टिविटी बढ़ाएगा, जिससे यात्रा और परिवहन सुगम होगा. इसके निर्माण से वाराणसी में महत्वपूर्ण आर्थिक और बुनियादी ढांचागत उन्नति होगी, जिससे इसके निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।