- चंदौली कोतवाली क्षेत्र में 17, सैयदराजा थाना 30, चकिया कोतवाली में 41, बबुरी थाना में 22, शहाबगंज थाना में 22 इलिया में 3, नौगढ़ में 4 व चकरघटृा थाना क्षेत्र के 4 स्थानों पर ताजिया रखे गये हैं, जिनको आज दफनाया जाएगा।
- ड्रोन कैमरे से हालात पर रखा जाएगा नजर, 7 स्थान अतिसंवेदनशील के रूप में चिन्हित ।
- अजादारों ने शहीदाने कर्बला की याद में किया मातम और नौहाख्वानी ।
- दसवीं तारीख को निकालते हैं ताजिये का जुलूस ।
- कला का प्रदर्शन करते हुए कर्बला तक पहुंचाते हैं ताजिया ।
चंदौली में 366 स्थानों के चौक पर बैठाए गए ताजिए:मातम करके इमान हुसैन को किया याद, सुरक्षा व्यवस्था रही मुस्तैद सभी क्षेत्राधिकारी और थानाध्यक्ष अपने अपने क्षेत्रों में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए चक्रमण कर विशेष नजर रखे हुए हैं।
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चकिया‚चंदौली। ताजिया निकालने का है रिवाज 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने की 10 तारीख को ही पैगम्बर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन को शहीद किया गया था। उसी गम में मुहर्रम की 10 तारीख को ताजिए निकाले जाते हैं. इस दिन शिया समुदाय के लोग मातम करते हैं। मजलिस पढ़ते हैं, काले रंग के कपड़े पहनकर शोक मनाते हैं।
जानें ताजिया का इतिहास
ताजियादारी की शुरुआत भारत से हुई है। तत्कालीन बादशाह तैमूर लंग ने मुहर्रम के महीने में इमाम हुसैन के रोजे (दरगाह) की तरह से बनवाया और उसे ताजिया का नाम दिया गया दस मोहर्रम को इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शाहदत की याद में ताजियेदारी की जाती है।
मुहर्रम की 10 तारीख को रोज-ए-आशुरा कहा जाता है क्योंकि इस दिन पैगम्बर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. मुहर्रम महीने को गम या शोक के तौर पर मनाया जाता है।मुहर्रम के महीने को लेकर शिया और सुन्नी दोनों की मान्यताएं अलग हैं. शिया समुदाय के लोगों को मुहर्रम की 1 तारीख से लेकर 9 तारीख तक रोजा रखने की छूट होती है. शिया उलेमा के मुताबिक, मुहर्रम की 10 तारीख यानी रोज-ए-आशुरा के दिन रोजा रखना हराम होता है. जबकि सुन्नी समुदाय के लोग मुहर्रम…मुहर्रम की 9 और 10 तारीख को रोजा रखते हैं. हालांकि, इस दौरान रोजा रखना मुस्लिम लोगों पर फर्ज नहीं है. इसे सवाब के तौर पर रखा जाता है ।
क्यों नहीं देते मुहर्रम की बधाई
मुहर्रम के महीने की दसवीं तारीख को पैगंबर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन शहीद हुए थे. इस गम में हर साल अशुरा के दिन ताजिए निकाले जाते हैं जो कि शोक का प्रतीक होता है. इसी कारण इस महीने को शोक का महीना भी कहते हैं. इस दिन शिया समुदाय मातम मनाता है और सुन्नी समुदाय रोजा-नमाज करके अपना दुख मनाता है।
ताजिया निकालने का है रिवाज
वैसे तो मुहर्रम का पूरा महीना बेहद पाक और गम का महीना होता है. लेकिन मुहर्रम का 10वां दिन जिसे रोज-ए-आशुरा कहते हैं, सबसे खास होता है. 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने की 10 तारीख को ही पैगम्बर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन को शहीद किया गया था. उसी गम में मुहर्रम की 10 तारीख को ही पैगम्बर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन को शहीद किया गया था. उसी गम में मुहर्रम की 10 तारीख को ताजिए निकाले जाते हैं ।
जनपद में कहाँ –कहाँ कितनी संख्या में बैठाए गये है ताजिए
वैसे तो पूरे प्रदेश में मुहर्रम पर्व को लेकर पुलिस प्रशासन काफी सतर्क नजर आ रहा है। जिसमें से चंदौली जिले में मुहर्रम के लिए ताजिए मंलगवार की शाम इमाम चौकों पर ताजिये बैठाए गए। पूरी रात मातम किया गया। या हुसैन या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं। जिले के 366 स्थानों पर ताजिए बैठाए गए। अजादारों ने शहीदाने कर्बला की याद में मातम और नौहाख्वानी की। बुधवार को यौमे आशूरा पर इमाम चौकों पर बैठाए गए ताजिए कर्बला में दफ्न किए जाएंगे।
मुगलसराय से लेकर चकरघट्टा तक के ताजिए की संख्या
मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र में 75, अलीनगर थाना क्षेत्र में 28, सकलडीहा कोतवाली क्षेत्र में 29, बलुआ थाना क्षेत्र में 31, धानापुर थाना क्षेत्र में 29, धीना में 29 व कंदवा में 10 स्थानों से ताजिए का जुलूस निकलेगा। इन स्थानों पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थानीय पुलिस के साथ पीएसी की तैनाती की गई है। इसी तरह चंदौली कोतवाली क्षेत्र में 17, सैयदराजा थाना 30, चकिया कोतवाली में 41, बबुरी थाना में 22, शहाबगंज थाना में 22 इलिया में 3, नौगढ़ में 4 व चकरघटृा थाना क्षेत्र के 4 स्थानों पर ताजिया रखा गया है।