रामयश चौबे ‚खबरी ब्यूरो चंदौली।
जिला संयुक्त चिकित्सालय में मैनेजर के साथ संविदा कर्मियो की दबंगई चरम पर
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चकिया‚चंदौली। जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया में पर्ची कटवाने गए पत्रकार को बताया रहा है उसकी औकात और आउट साइडर अंकित पाठक ने नही सुनी उनकी बात, पत्रकार को प्रेस का नाम व अपना नाम बताने पर कहा कि हमें ऊपर से आदेश है कि बिना आइडी दिखाये पर्ची नही बनाना है।
मैनेजर की दबंगई‚आउट साइडर व संविदा कर्मियों द्वारा की जा रही बदसलूकी
कुछ महिलाओं का कहना है कि हम लोगो के साथ भी चेंज पैसे को लेकर अभद्रता किया जा रहा है। वता दे कि जिला संयुक्त चिकित्सालय अब ठेकेदारी के बदौलत चलाई जा रही है। यहाँ का मैनेजर दिलशाद अहमद जो आये दिन हास्पीटल से नदारत रहा करता है। और मोबाइल भी उसका नही मिल पाता । वही एक भुक्तभोगी अपने मरीज को दिखाने उसके तीमारदार इब्राहिम आबिस ने कहा कि पिछले तीन दिनों से न तो यहाँ पर बिजली की कोई ब्यवस्था है और न ही साफ सफाई की।
मरीज के साथ उसके तीमारदार हो रहे डिप्रेशन के शिकार
इस भयंकर गर्मी में जहाँ मरीज इलाज करवाने के लिए आते है यहाँ पर आकर और बीमार होते जा रहे है। इसके साथ ही उसके साथ के तीमारदार भी मरीज होने के साथ ही डिप्रेशन के शिकार हो रहे है।
प्रशासन का भय नदारत‚मेरी पहुॅच ऊपर तक है …………..कुछ नही कर सकते
अंकित पाठक अपने पिता को हास्पिटल का वरिष्ठ कर्मचारी का हवाला देकर कहता है कि मेरा पहुंच उपर तक है मै किसी से दबने वाला नही हूँ । जिसको जो करना है वो कर ले। इस तरह के ब्यवहार से प्रतित होता है कि जिला संयुक्त चिकित्सालय के कर्मचारियों को शासन– प्रशासन का जरा भी भय नही है। जहाँ सूबे के आलाकमान का यह कहना कि पत्रकार भीड का हिस्सा नही वही इस तरीके के ब्यवहार से लगता है कि यह बाते केवल कहने की है। जो अब्यवहारिक वर्ताव संविदा कर्मचारियों के द्वारा जनता के साथ किया जा रहा है जिससे लगता है कि बडे अधिकारियों का इन्हें सह मिल रहा है।
बेअसर है सरकारी दवाएं‚ मार्केट से लाओं
वही बताते चले कि जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया का हाल यह है कि सभी डाक्टर ओपीडी के टाइम पर मौजूद रही रहते है और अगर आ भी जाय तो अपने केबिन में न बैठकर मनमाने तरीके से हास्पीटल के ए सी रूम में बैठकर अपने में गलचउर करते रहते है। जिससे उनके बैठने की जगह पर मरीजों की लाइन लग जाती है। और जैसे ही टाइम समाप्त है वे किसी भी मरीज को देखने से इंकार कर देते है। हास्पीटल की बजाय बाहर की दवाइयों को प्राथमिकता देते है। जाहिर सी बात है कमीशन! यही नही हास्पीटल में प्रधानमंत्री जन औषधी केन्द्र की दवाइयों को कम काम करने वाला बताया जाता है। ऐसे में अगर यही हाल रहा तो सूबे के मुखिया का फरमान ताक पर रखा जा रहा है और शासन के लोग ही जनता की निगाह में शासन को पलीता लगाने से पिछे नही रह रहे है।