आचार्य प्रिंसधर मिश्र ‚काशी

WhatsApp Image 2023-08-12 at 12.29.27 PM
Iqra model school
WhatsApp-Image-2024-01-25-at-14.35.12-1
jpeg-optimizer_WhatsApp-Image-2024-04-07-at-13.55.52-1
srvs_11zon
Screenshot_7_11zon
IMG-20231229-WA0088
WhatsApp Image 2024-07-26 at 15.20.47 (1)
previous arrow
next arrow

भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से सारी ग्रह बाधाओं और समस्याओं का नाश होता है. सावन में रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना काफी उत्तम होता है. इसके अलावा घर में पार्थिव रुद्राभिषेक पर भी अभिषेक कर सकते हैं.

श्रावण मास रुद्राभिषेक का महत्व

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

वाराणसी। श्रावण के महीने को शिव आराधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है. क्योंकि ये महीना देवाधिदेव महादेव को बहुत प्रिय है। श्रावण का महीना ऐसा महिना है, जिसमें छः ऋतुओं का समावेश होता है. और शिवधाम पर इसका महत्व सबसे ज्यादा होता है। कहा जाता है कि शिव को प्रसन्न करने का सर्वोच्च उपाय रुद्राभिषेक ही है. साक्षात देवी और देवता भी शिव कृपा के लिए शिव-शक्ति के ज्योति स्वरूप का रुद्राभिषेक ही करते हैं।

शिव से ही सब है तथा सब में शिव का वास

भारतीय संस्कृति में वेदों का इतना महत्व है तथा इनके ही श्लोकों, सूक्तों से पूजा, यज्ञ, अभिषेक आदि किया जाता है। शिव से ही सब है तथा सब में शिव का वास है, शिव, महादेव, हरि, विष्णु, ब्रह्मा, रुद्र, नीलकंठ आदि सब ब्रह्म के पर्यायवाची हैं। रुद्र अर्थात् ‘रुत्’ और रुत् अर्थात् जो दु:खों को नष्ट करे, वही रुद्र है, रुतं–दु:खं, द्रावयति–नाशयति इति रुद्र:। रुद्रहृदयोपनिषद् में लिखा है–

सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।

यह श्लोक बताता है कि रूद्र ही ब्रह्मा, विष्णु है सभी देवता रुद्रांश है और सबकुछ रुद्र से ही जन्मा है। इससे यह सिद्ध है कि रुद्र ही ब्रह्म है, वह स्वयम्भू है।

रुद्राभिषेक

रुद्राभिषेक में शिवलिंग की विधिवत् पूजा की जाती है| शिव जी को पूजा में रुद्राभिषेक सर्वाधिक प्रिय है।
रुद्र के पूजन से सब देवताओं की पूजा स्वत:सम्पन्न हो जाती है।
रुद्रहृदयोपनिषद्में लिखा है-

सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।

प्राचीनकाल से ही रुद्र की उपासना शुक्लयजुर्वेदीयरुद्राष्टाध्यायी के द्वारा होती आ रही है। इसके साथ रुद्राभिषेक का विधान युगों से वांछाकल्पतरुबना हुआ है। साम्बसदाशिव रुद्राभिषेक से शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसीलिए कहा भी गया है-शिव: रुद्राभिषेकप्रिय:। शिव जी को पूजा में रुद्राभिषेक सर्वाधिक प्रिय है।

शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के निमित्त अनेक द्रव्यों का निर्देश किया गया

  • जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
  • असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदकसे रुद्राभिषेक करें
  • भवन-वाहन प्राप्त करने की इच्छा से दही से रुद्राभिषेक करें।
  • लक्ष्मी-प्राप्ति का उद्देश्य होने पर गन्ने के रस से अभिषेक करें।
  • व्यापार में उतरोत्तर वृद्धि तथा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए – गन्ने का रस से रुद्राभिषेक करें।
  • धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से रुद्राभिषेक करें।
  • तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • पुत्र की इच्छा करनेवाला दूध के द्वारा रुद्राभिषेक करे।
  • वन्ध्या, काकवन्ध्या (मात्र एक संतान उत्पन्न करनेवाली) अथवा मृतवत्सा (जिसकी संतानें पैदा होते ही मर जायं) गोदुग्ध से अभिषेक करे।
  • ज्वर की शांति हेतु शीतल जल से रुद्राभिषेक करें।
  • सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
  • बच्चों के जन्मोत्सव एवं उनके यसस्वी भविष्य के लिए -दुग्ध एवं तीर्थजल से प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेकसे हो जाती है।
  • शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
  • सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
  • धन की वृद्धि एवं ऋण मुक्ति तथा जन्मपत्रिका में मंगल दोष सम्बन्धी निवारणार्थ –शहद से
  • शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
  • पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
  • गोदुग्ध से निर्मित शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यताप्राप्त होती है।
  • पुत्रार्थी शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।
  • इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंगका विधिवत् अभिषेक करने पर अभीष्ट निश्चय ही पूर्ण होता है।

रुद्राभिषेक से लाभ –

  • शिव-भक्तों को यजुर्वेदविहितविधान से रुद्राभिषेक करना चाहिए।”
  • रुद्राभिषेक से समस्त कार्य सिद्ध होते हैं।
  • अंसभवभी संभव हो जाता है।प्रतिकूल ग्रहस्थिति अथवा अशुभ ग्रहदशा से उत्पन्न होने वाले अरिष्ट का शमन होता है।
  • भगवान शिव चंद्रमा को अपने सिर पर धारण करते हैं ।
  • चंद्रमा ज्योतिष मे मन का कारक है ।
  • किसी भी प्रकार के मानसिक समस्या को दूर करने मे रुद्रभिषेक सहायक सिद्ध होता है।
  • चंद्रमा को जब क्षय रोग हुआ था तो सप्तऋषि ने रुद्रभिषेक किया था ।
  • चंद्रमा के पीड़ित होने से क्षय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • यह ज्योतिषीय नियम है की कुंडली मे अगर चंद्रमा पाप गृह से पीड़ित हो तो क्षय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • अगर कोई इस प्रकार की बीमारी से पीड़ित है तो रुद्राभिषेक करवाना लाभप्रद होता है।
  • गंभीर किस्म के बीमारियों को दूर करने हेतु एवं उनके होने से बचने हेतु रुद्रभिषेक करवाना लाभप्रद होता है।
  • रुद्राभिषेक सद्बुद्धि सद्विचार और सत्कर्म की ओर पृवृत्ति होती है |
  • रुद्राभिषेक से मानव की आत्मशक्ति, ज्ञानशक्ति और मंत्रशक्ति जागृत होती है।
  • रुद्राभिषेक से मानव जीवन सात्त्विक और मंगलमय बनता है।
  • रुद्राभिषेक से अंतःकरण की अपवित्रता एवं कुसंस्कारो के निवारण के उपरांत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन पुरुषार्थचतुस्त्य की प्राप्ति होती है।
  • रुद्राभिषेक से असाध्य कार्य भी साध्य हो जाते हैं, सर्वदा सर्वत्र विजय प्राप्त होती है, अमंगलों का नाश होता है, सत्रु मित्रवत हो जाता है।
  • रुद्राभिषेक से मानव आरोग्य, विद्या , कीर्ति, पराक्रम, धन-धन्य, पुत्र-पौत्रादि अनेकविध ऐश्वर्यों को सहज ही प्राप्त कर लेता है।
  • जो परिवार समर्थ हैं उन्हें श्रावण मास में विद्धवान ब्राह्मणों द्वारा अपने घर मे रुद्राभिषेक अवश्य कराना चाहिए।

रुद्राभिषेक, नोट करें सामग्री और विधि

ऐसा कहा जाता है कि शिव पूजन के लिए श्रावण मास बहुत ही पुण्यदायी माना जाता है जो भक्त शिव जी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं उन्हें सावन सोमवार का व्रत अवश्य करना चाहिए। साथ ही रुद्राभिषेक भी करना चाहिए।हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन (Sawan 2024) का समापन 19 अगस्त, 2024 दिन सोमवार को होगा, तो चलिए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं

  • रुद्राभिषेक की सामग्री
  • दही, घी, चीनी पाउडर, गंगाजल, शहद और पवित्र जल, कपास की बत्ती, बेल पत्र, चंदन का पेस्ट, धूप, अक्षत, और फूल, मिठाई, सफेद कपड़ा, ऋतु फल, आसन आदि।
  • शुध्द जल – शिवलिंग पर सबसे पहले जल अर्पित करें।
  • दूध – फिर दूध अर्पित करें।
  • दही – इसके बाद शिवलिंग पर दही चढ़ाएं।
  • चीनी पाउडर – चीनी मिश्रण अर्पित करें।
  • घी – शिवलिग पर थोड़ा सा घी चढ़ाएं।
  • शहद – शहद अर्पित करें।
  • जल – फिर से शुद्ध जल से शिवलिंग को साफ करें।
  • चंदन का लेप – शिवलिंग पर पीले चंदन या सफेद चंदन का लेप लगाएं।
  • बेलपत्र – 1,3,5,7,9, 11, 21, 51 या 108 बेल पत्र अर्पित करें।
  • फूल-माला – भगवान शिव को सफेद फूलों की माला अर्पित करें।
  • अक्षत – इसके बाद अक्षत चढ़ाएं।
  • दीपक – देसी घी का दीपक जलाएं।
  • धूप – नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए धूप जलाएं।
  • मंत्रों का जाप – शिव जी के पंचाक्षरी मंत्रों का 108 बार जाप करें।
  • आरती – अंत में आरती से पूजा को समाप्त करें और पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें।
  • दान-पुण्य – गरीबों को भोजन खिलाएं और क्षमता अनुसार पैसों का दान करें।
khabaripost.com
sardar-ji-misthan-bhandaar-266×300-2
bhola 2
add
WhatsApp-Image-2024-03-20-at-07.35.55
jpeg-optimizer_bhargavi
previous arrow
next arrow