WhatsApp Image 2023-08-12 at 12.29.27 PM
Iqra model school
WhatsApp-Image-2024-01-25-at-14.35.12-1
jpeg-optimizer_WhatsApp-Image-2024-04-07-at-13.55.52-1
srvs_11zon
Screenshot_7_11zon
WhatsApp Image 2024-06-29 at 12.
IMG-20231229-WA0088
WhatsApp Image 2024-07-26 at 15.20.47 (1)
previous arrow
next arrow

आखिर क्या है Digital Arrest

Digital Arrest में साइबर फ्रॉड करने वाला शख्स आपको अरेस्ट का डर दिखाता है. इसमें आपको घर में ही कैद करके रखते हैं. ऐसे में फ्रॉडस्टर वीडियो कॉल के दौरान अपना बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन की तरह बना लेते हैं, इसे देखकर विक्टिम डर जाता है और डर के वजह से उसकी बातों में आ जाते हैं ।

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। PGI में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर तैनात डॉ. रुचिका टंडन (Dr Ruchika Tandon) को साइबर ठगों ने Digital Arrest कर 2 करोड़ 81 लाख की ठगी कर ली। 6 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रहने के दौरान महिला डॉक्टर को इस पता ही नहीं चला कि उनके साथ हो क्या रहा है। जबतक महिला डॉक्टर को अपने साथ हुई ठगी का अंदाजा हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

आधा दर्जन गिरफ्तार गिरोह को आपरेट करने वाली महिला की तलाश जारी

जानिए क्या है ठगी का नया तरीका और महिला के साथ क्या हुआ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की डॉ. रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर 2.81 करोड़ ठगने के मामले में एसटीएफ ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकडे गए 30 लाख रुपये को अलग-अलग बैंक खातों में फ्रीज कराया जा चुका है। ठगी के गिरोह को एक महिला ऑपरेट करती है। उसकी तलाश जारी है।

WhatsApp Image 2023-08-12 at 12.29.27 PM
Iqra model school
WhatsApp-Image-2024-01-25-at-14.35.12-1
jpeg-optimizer_WhatsApp-Image-2024-04-07-at-13.55.52-1
srvs_11zon
Screenshot_7_11zon
WhatsApp Image 2024-06-29 at 12.
IMG-20231229-WA0088
WhatsApp Image 2024-07-26 at 15.20.47 (1)
previous arrow
next arrow

साइबर अरेस्ट के नये तरीके के बारे में जानिए साइबर एक्सपर्ट से

साइबर एक्सपर्ट मुकेश चौधरी बताते हैं कि साइबर अरेस्ट एक नया तरीका है जिसके जरिए अपराधी लोगों को बंधक बना लेते हैं। खुद को पुलिस, सीबीआई, कस्टम या अन्य किसी एजेंसी का बड़ा अधिकारी बताकर धमकी देते हैं कि उनके खिलाफ कोई गंभीर प्रकरण दर्ज है। साइबर क्राइम करने वाले लोगों के बारे में पहले ही पूरी जानकारी जुटा लेते हैं और फिर गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं। काफी देर तक वे लोगों को ऑनलाइन बंधक बनाकर अपने काबू में रखते हैं। डर के मारे व्यक्ति वही करता है जो साइबर क्रिमनल उसे निर्देश देते हैं। यही डिजिटल अरेस्ट कहलाता है, जिसमें अपने घर में होने के बावजूद भी व्यक्ति मानसिक और डिजिटल रूप में किसी अन्य के काबू में होता है।

जनपद चंदौली मे अच्छी शिक्षा और अनुशासन के लिए कौन सी CBSE बोर्ड स्कूल जानी जाती है ?

जनपद चंदौली मे अच्छी शिक्षा और अनुशासन के लिए कौन सी CBSE बोर्ड स्कूल जानी जाती है ?*

Suggestions and recommendations

Any suggestions for us?

खुद को सी बी आई अधिकारी बताकर किया फ्राड

डॉ. रुचिका टंडन के पास एक अगस्त को एक कॉल आई थी। खुद को सीबीआई अधिकारी बताया था। शिकायत मिलने की बात कह पांच दिनों तक उनको डिजिटल अरेस्ट रखा था। इस दौरान उनसे 2.81 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए थे। 10 अगस्त को साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। एसटीएफ ने मामले में फैज उर्फ आदिल, दीपक शर्मा, आयुष यादव, मोहम्मद उसामा, मनीष कुमार को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से 8 मोबाइल फोन, 8 बैंक पासबुक और एचडीएफसी बैंक के बैंक किट (पासबुक, एटीएम कार्ड व चेक बुक ) बरामद की गई है।

पूछताछ में पता चला कि सोशल मीडिया के जरिए ग्रुप से जुडे

पूछताछ में सामने आया कि ये सभी सोशल मीडिया के जरिये एक ग्रुप से जुड़े हैं। इसी ग्रुप में ये उस महिला के संपर्क में आए, जिसने इनको बैंक खाते उपलब्ध कराने को कहा। उसी बैंक खातों में गिरोह ठगी की रकम ट्रांसफर करता। उसको क्रिप्टो में कन्वर्ट कर महिला को भेजा जाता था। इसका कमीशन उनको मिलता था। ये महिला दूसरे प्रदेश की है। पुलिस और एसटीएफ के पास महिला का नाम, पता आदि की जानकारी है, लेकिन अभी सार्वजनिक नहीं किया है। उसकी तलाश की जा रही है।

एप के जरिये कन्वर्ट करते थे करेंसी
इंस्पेक्टर बृजेश यादव ने बताया कि आरोपी बायनेंस एप की मदद से करेंसी को कन्वर्ट करते थे। तय कमीशन को काटकर बाकी रकम महिला द्वारा दिए गए बैंक खातों में ऑनलाइन भेज देते थे। कई आरोपी कुर्सी रोड पर स्थित एक निजी विवि के छात्र रहे हैं। वहीं पर मिलने के बाद गिरोह बनाकर ठगी का खेल शुरू किया।

तुरंत खाली कर देते हैं खाते
आरोपियों के खातों में जैसे ही रकम पहुंचती है, वैसे ही क्रिप्टो में कन्वर्ट कर ट्रांसफर कर देते हैं। समय रहते पुलिस ने 30 लाख रुपये फ्रीज करा दिए। बाकी ठगी की रकम को रिकवर करना बेहद मुश्किल है।

ठगी का नेटवर्क बड़ा है
सभी आरोपी महिला के इशारे पर काम करते थे। महिला से कौन-कौन लोग जुड़े हैं, इसका पता नहीं चल सका है। अंदेशा है कि पूरा नेटवर्क सोशल मीडिया के जरिये चल रहा है। हर किसी का कमीशन तय है। जिनकी गिरफ्तारी हुई है उनके खातों में लेनदेन हुआ है। बैंक डिटेल के आधार पर वह गिरफ्त में आ गए। ठगी के मुख्य किरदारों तक अब तक पुलिस नहीं पहुंच सकी है।

फेक आईडी के खातों का इस्तेमाल
आरोपी गरीब मजबूर लोगों को लालच देकर उनके दस्तावेजों पर बैंक खाते खुलवाते थे। ठगी की रकम उन खातों में ट्रांसफर करवाते थे। ऐसा इसलिए करते ताकि वे पकड़ में न आएं। लेकिन, पुलिस व एसटीएफ ने खातों की ट्रेल को ट्रेस करते करते उन तक पहुंच गई। आरोपी जिन मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करते थे, वे प्रीएक्टिवेटेड सिम होते थे। मतलब वह भी फेक आईडी पर लिए गए होते थे।

पकडे गये साइबर अपराधियों की टीम

  • फैज उर्फ आदिल, किरन इन्क्लेव कुर्सी रोड लखनऊ
  • – दीपक शर्मा, वेल्हरकला संतकबीरनगर
  • – आयुष यादव, चुनार मिर्जापुर
  • – फैजी बेग, भाखामऊ कुर्सी रोड
  • – मो. उसामा, गंगा विहार चिनहट लखनऊ
  • – मनीष कुमार, विनीतखंड गोमतीनगर
khabaripost.com
sardar-ji-misthan-bhandaar-266×300-2
bhola 2
add
WhatsApp-Image-2024-03-20-at-07.35.55
jpeg-optimizer_bhargavi
previous arrow
next arrow