- गांव की 80% जमीन जलाशय के अंदर।
- चकबंदी प्रक्रिया निरस्त कराने की लगा चुके हैं गुहार।
आशु पंडित की रिपोर्ट
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चकिया, चंदौली । राजस्व की जननी कहे जाने वाले चकबंदी विभाग के मनमाने कार्यप्रणाली से आजीज आए गरलां गांव के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को पत्र भेज कर इच्छा मृत्यु की मांग की है। ग्रामीणों का आरोप है कि चकबंदी प्रक्रिया निरस्त कराने के लिए अपर आयुक्त वाराणसी मंडल वाराणसी, चकबंदी आयुक्त लखनऊ और जिलाधिकारी चंदौली को पत्र दिया गया, लेकिन अभी तक एसओसी चकबंदी द्वारा मौके पर जाकर न तो कोई जांच नहीं की गयी ना ही चकबंदी प्रक्रिया को निरस्त करने की पहल की गई।
यह है सन् 2004 के तहसील प्रशासन की रिपोर्ट
बीते वर्ष 1910 से 1911 तत्कालीन महाराजा काशी नरेश द्वारा लतीफशाह डैम का निर्माण कार्य कराया जा रहा था। डैम के कैचमेंट में स्थित जलाशय के क्षेत्र का विस्तार करते हुए गरला गांव को लिया गया। बाद में जलाशय के क्षेत्र से बाहर गरला गांव को बसाया गया। वर्ष 2004 में तहसील प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार गरला गांव की 195.989 हेक्टेयर भूमि में से 39.540 हेक्टेयर भूमि ही जलाशय क्षेत्र से बाहर है। शेष 156.449 हेक्टेयर भूमि जलाशय के कैचमेंट में है।
पूर्व में ही चकबंदी आयुक्त द्वारा प्रक्रिया को निरस्त करने का दिया जा चुका है आदेश
जलाशय के बाहर स्थित भूमि में वर्तमान में गरला गांव की मेन बस्ती, 4 विद्यालय, अहरौरा इलिया मार्ग, नहर,सड़क के अलावा अन्य कई आवासीय मकान बने हुए हैं।वर्ष 2013 में चकबंदी प्रक्रिया में गांव चिन्हित किया गया था। इसके बाद ग्रामीणों ने चकबंदी आयुक्त को चकबंदी प्रक्रिया निरस्त करने का पत्र दिया था। जिस पर मामले की जांच कर कर चकबंदी आयुक्त द्वारा प्रक्रिया को निरस्त करने का आदेश दिया गया था।
जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी चकबंदी अधिकारी नहीं पहुंचे मौके पर
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार मामले का आइजीआरएस और अपर आयुक्त वाराणसी मंडल वाराणसी,चकबंदी आयुक्त लखनऊ और जिलाधिकारी चंदौली को पत्र दिया गया। लेकिन अभी तक समस्या का निदान नहीं निकल पाया। बीते 4 नवंबर को संपूर्ण समाधान दिवस में ग्रामीणों ने भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन (अराजनैतिक) के मंडल अध्यक्ष दीनानाथ श्रीवास्तव के नेतृत्व में जिलाधिकारी से मुलाकात कर चकबंदी प्रक्रिया को निरस्त करने से संबंधित पत्रक दिया था, जिस पर जिलाधिकारी ने (एसओसी) जिला बंदोबस्त अधिकारी को 15 दिन के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के साथ ही वार्ता करने के निर्देश दिए थे। लेकिन जिला बंदोबस्त अधिकारी द्वारा मौके का अभी तक स्थलीय निरीक्षण नहीं किया गया।
इन -इन ग्रामीणों ने मांगी जिलाधिकारी से इच्छा मृत्यु
ग्रामीणों में धीरज श्रीवास्तव, प्रेम शंकरलाल, प्रदीप, अनिल श्रीवास्तव, अशोक पांडेय, सीताराम तिवारी, दीपक श्रीवास्तव सहित कई ग्रामीणों ने कहा कि चकबंदी प्रक्रिया निरस्त नहीं हुई तो जिलाधिकारी हम सभी को इच्छा मृत्यु देने का आदेश करें।