सत्ता पक्ष व विपक्ष नेताओ में जमकर हुइ हुई तू तू मैं मैं

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चंदौली। दिशा की बैठक में भिड़े सत्तापक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधि। कलेक्ट्रेट सभागार में शनिवार को आयोजित दिशा की बैठक में सत्तापक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधि आपस में भिड़ गए। सपा सांसद वीरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में बैठक जैसे ही शुरू हुई, रॉबर्ट्सगंज सांसद छोटेलाल खरवार ने लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा दिया। उन्होंने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया। यह बात बगल में बैठे सैयदराजा विधायक सुशील सिंह को नागवार गुजरी। इसी बात पर सांसद और विधायक आपस में उलझ गए।

सांसद छोटेलाल ने कहा कि आदिवासी सांसद को उच्च जाति के विधायक व प्रमुख ने किया अनादर

रॉबर्ट्सगंज सांसद छोटेलाल खरवार ने लोक निर्माण विभाग में चकिया में हुए आफलाइन टेंडर में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा दिया। उन्होंने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया। यह बात बगल में बैठे सैयदराजा विधायक सुशील सिंह व चकिया विधायक कैलाश खरवार को नागवार गुजरी। इसी बात पर सांसद और विधायक आपस में उलझ गए। दोनों के बीच तेज आवाज में बहस होने लगी। इससे माहौल गरम हो गया। वहां मौजूद बीजेपी समर्थित ब्लाक प्रमुख भी विधायक के समर्थन में आ गए। सांसद वीरेंद्र सिंह ने किसी तरह बीच बचाव कर दोनों को शांत कराया।सांसद ने कहा कि उच्च जाति के विधायक व प्रमुख ने आदिवासी सांसद का किया अनादर ।

मुगलसराय विधायक ने लगाया चौडीकरण मुद्दे को हवा देने आ आरोप

इसके बाद मुगलसराय से बीजेपी विधायक रमेश जायसवाल ने सपा विधायक प्रभु नारायण यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपनी सीमा से बाहर जाकर मुगलसराय में सड़क चौड़ीकरण के मुद्दे को हवा दे रहे हैं। वहीं बिना किसी प्रमाण के भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं।

बैठाें कहते ही मामला इतना गरमाया कि ………………….

इस पर सपा विधायक ने विधायक रमेश जायसवाल की तरफ इशारा करते हुए कहा, बैठो। इस पर बीजेपी विधायक भड़क गए और सपा विधायक को मर्यादा में रहकर बात करने की नसीहत दी। बात इतनी बढ़ गई कि दोनों ने एक दूसरे को अभद्र और गुंडा तक कह डाला। इस तू तू मैं मैं में सैयदराजा विधायक सुशील सिंह भी शामिल हो गए। इसके बाद माहौल और गरम हो गया और सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधि विधायक से माफी मांगने की मांग करने लगे और बैठक छोड़कर बाहर चले गए। थोड़ी देर बाद विधायक वापस आ गए और मीटिंग स्थगित करने की मांग करने लगे।अंत तक माहौल शांत नहीं हुआ तो आनन फानन में बैठक की कार्रवाई पूरी की गई। बाद में भी सत्तापक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधि एक दूसरे पर तानाशाही, गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे।

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