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अवधेश दूबे की रिपोर्ट

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चकिया‚चंदौली। जलासयों में पानी सूख जाने के कारण व वनों का कटान पूरी तरह से होते रहने के कारण नीलगायों ने आबादी की तरफ रूख कर दिया है। जिससे किसानों की फसले बर्वाद हो रही है। जिसपर वन विभाग का कोई भी ध्यान नही है।पानी की तलाश में दर-दर भटक रहे जानवरों का काफी बुरा हाल हो चुका है। गुरूवार की अलसुबह ही चकिया तहसील मुख्यालय से सटे दूबेपुर गाँव में पानी की तलाश में दौड़ते दौड़ते एक नील गाय लस्त पस्त हो के अभिषेक पांडे के द्वार पर जा गिरी जिससे कुछ कुत्ते अचानक उस पर टूट पड़े । वन विभाग को इसकी सूचना दी गई जिससे चकिया रेंज से वन विभाग टीम में सचिदानंद, शंकर , प्रेम आदि लोग मौजूद रहे जो मौके पर पहुचकर इलाज के लिए चकिया रेंज कैंपस में ले गई।

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क्षेत्र में बढा नीलगायों का आतंक‚ किसान हुए परेशान‚वन विभाग नही दे रहा ध्यान

क्षेत्र में इन दिनों नीलगायों का आतंक बढ़ गया है। वह किसानों की खेत में लहलहाती फसल बर्बाद कर रहे है। रात की अंधेरा हो या फिर दिन का उजाला हो इससे इन नीलगायों को कोई परहेज नहीं है। खेत में झुंड के झुंड पहुंच कर खेत में लगी फसल को भारी नुकसान पहुंचा रही हैं। इनके आतंक से किसान कई फसलों को लगाना छोड़ दिए हैं। चना एवं अरहर की खेती दिनों दिन इस इलाके में कम होती जा रही है। किसानों का कहना है कि जैसे ही इन फसलों का फूल तैयार होता है वह नीलगायों का निवाला बन जाता है।

खाने से ज्यादा इनके पैरों से फसल की बर्बादी होती है।

किसान रात -रात भर जाग कर अपने फसलों की करते है रखवाली

वही कई किसानों जिसमें धर्मवीर सिंह व कई अन्य ने बताया कि फसल को बचाना है तो किसानों को अपने खेतों में जाल लगाकर या रतजगा कर फसल को बचाने की मजबूरी हो गई है। तभी फसल बच पाएगी अन्यथा किसानों के घर तक फसल पहुंच पाना मुश्किल काम हो गया है। वन्य प्राणी होने की वजह से इन नीलगायों को कोई मार भी नहीं सकता है। ऐसे में आखिर किसान करे तो क्या करे। समस्या किसी एक गांव के किसानों की नहीं बल्कि, हर जगह एक समान स्थिति है।ऐसी ही घटनाएं पंचवनिया गाँव में देखने को मिली जब धर्मवीर सिंह की खेत में नीलगायों ने धमा चौकडी मचा रखी थी और इनसे दुर्घटना की भी भारी आशंका बनी रहा करती है। कभी कभी तो ये इतनी लम्बी छलांग लगा देती है जिससे वाहन सवार दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है।

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