आजादी मिली तो गहरी नींद में थे देश के आधे से अधिक लोग
वाराणसी। 15 अगस्त, यानी देश की आजादी का पर्व। एक ऐसा दिन जब भारत मां को अंग्रेजों की बेड़ियों से छुटकारा मिला। 15 अगस्त 1947 की रात 12 बजे Freedom at midnight जब भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने देश के आजादी की घोषणा की तो देश की आधे से अधिक जनता गहरी नींद में सो रही थी। वे नहीं जानते थे कि सुबह सूर्य की पहली किरण के साथ जब उनकी आंख खुलेगी तो देश में एक नया सबेरा होगा और देशवासी खुले आंखों से भी बड़े सपनों को बुन सकेंगे। बहरहाल आज आजादी के 76 साल पूरे होने वाले हैं। इन 75-76 सालों में देश ने कई बड़े सपने देखे और उसे पूरे भी किये, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि देश में 15 अगस्त 1947 को रात बजे ही आजादी घोषणा क्यों की गई? आखिर क्या था इसके पीछे का कारण?
आजादी के लिए 15 अगस्त 1947 को ही क्यों चुना गया
1945 कि ब्रिटिश चुनाव में लेबर पार्टी के जीत के बाद भारत को स्वतंत्र करने के लिए भारतीय नेताओं की बात लार्ड वेवेल से शुरू हो गयी थी। 1947 में लार्ड माउंटवेटन को भारत का आखरी वायसराय चुना गया। जिन पर व्यवस्थित तरीके से भारत को आजादी दिलाने का कार्यभार था। शुरूआती योजना के अनुसार भारत को जून, 1948 में आजादी मिलने का प्रावधान था। माउंटवेटन से इसी के बारे में भारतीय नेताओं की बातचीत भी चल रही थी। इस बीच जिन्ना के अलग देश की मांग से भारत के कई क्षेत्रों में साम्प्रदायिक झगड़े शुरू हो गए थे। हालात और न बिगड़े इसके लिए लार्ड माउंटवेटन ने 1948 की बजाए 1947 को ही आजादी देने का फैसला लिया। आपको बता दें कि भारत के आखिरी वायसराय लार्ड माउंटवेटन 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानते थे, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के समय 15 अगस्त, 1945 को जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था और उस समय वे अलाइड फोर्सेज के कमांडर थे, इसलिए उन्होंने 15 अगस्त को देश की आजादी के लिए चुना।
तो इसलिए रात 12 बजे की गई आजादी की घोषणा
अंग्रेजों ने आधिकारिक तौर पर भारत को स्वतंत्र करने की घोषणा कर दी। कई वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय नेता ऐसे थे, जो दृढ़ता से धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष में विश्वास करते थे। उन्होंने पाया कि 15 अगस्त, को शाम 7.30 बजे से चतुर्दशी और अमावस्या एक साथ प्रवेश कर रही है। ज्योतिष की दृष्टि से यह अशुभ माना जाता है। नेताओं को पता चला कि 14 और 17 अगस्त की तारीख शुभ है, तो वे 14 को ही स्वतंत्रता दिवस की कार्यवाही करना चाहते थे, लेकिन जब उनको पता चला कि 14 को वाइसराय लॉर्ड माउंटवेटन पाकिस्तान में स्थानांतरण के लिए कराची जाएंगे और देर से भारत लौटेंगे। इसलिए उन्होंने रात में ही स्वतंत्रता दिवस मनाने का फैसला लिया। इसके अलावा, ब्रिटिश सरकार ने पहले ही संसद में घोषणा की थी कि भारत को स्वतंत्रता 15 को दी जाएगी।
इन विकट परिस्थितियों के बीच प्रतिष्ठित इतिहासकार और मलयाली विद्वान केएम पन्निकर को भारतीय रीति-रिवाजों और ज्योतिष का ज्ञान था, उन्होंने राष्ट्रीय नेताओं को एक समाधान दिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक विधानसभा 14 की रात को 11 बजे से शुरू करके मध्यरात्रि 15 अगस्त के 12 बजे तक कर सकते हैं, क्योंकि अंग्रेजों के हिसाब से दिन में 12 बजे शुरू होता है, लेकिन हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से सूर्योदय पर। रात्रि 12 बजे नया दिन शुरू हो जाएगा और भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिल जाएगी। 14 की रात को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने औपचारिक रूप से भारत को अंग्रेजों से ली जाने वाली शक्तियों के हस्तांतरण की घोषणा की। 15 अगस्त 1947 को, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस प्रकार 15 अगस्त रात 12 बजे भारत को आजादी मिली थी।