आयोजन इंटरनेशनल हिस्ट्री ‚बाबर के जन्मभूमि की नदी कश्क-ए-दरिया समेत कई मुस्लिम देशों की नदियों का जल भी हुआ शामिल

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खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

अयोघ्या।

अयोध्या में राम मंदिर का 156 देशों के जल से अभिषेक किया गया। इसमें अमेरिका के 14 मंदिरों और 12 नदियों का जल भी शामिल है। 13 देशों के राजदूत, 40 देशों के अप्रवासी भारतीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंचे हैं।इसमें तजाकिस्तान के ताज मोहम्मद भी हैं। उन्होंने बाबर की जन्मभूमि की नदी कश्क-ए-दरिया समेत कई मुस्लिम देशों की नदियों का जल भेजा है। मणिराम छावनी के सभागार में कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शुरू हुआ। सबसे पहले हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। वहीं, RSS के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश ने नया नारा “भारत जय जगत” दिया।

श्री राम का जलाभिषेक रहा ऐतिहासिक दुनिया के 156 देशों का जल कलश लाया गया अयोध्या

 ”जलाभिषेक के लिए 156 देशों का जल कलश अयोध्या लाया गया। इसमें उज्बेकिस्तान के ताशकंद में चिरचिक नदी, तजाकिस्तान की वख्श नदी, यूक्रेन की डेनिस्टर, रूस की वोल्गा, मॉरिशस की गंगा तालाब और हिंद महासागर का जल भी है।”मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि 5 अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया था। तब 1000 स्थानों से जल व रज गर्भगृह को समर्पित हुआ। आज जिन्होंने जल भेजा है, उन्हें ट्रस्ट के संतों की तरफ से सम्मान। यह आयोजन इंटरनेशनल हिस्ट्री है।

अयोध्या। दिल्ली स्टडी ग्रुप अध्यक्ष व पूर्व विधायक डॉ. विजय जौली के नेतृत्व में दुनिया के सात महाद्वीपों के 155 देशों के पवित्र जल से आज राम मंदिर जलाभिषेक कार्यक्रम अयोध्या जी में संपन्न हुआ।

अमेरिका के 14 मंदिरों और 12 नदियों का जल भी शामिल

इसमें अमेरिका के 14 मंदिरों और 12 नदियों का जल भी शामिल हैं। 8 देशों के राजदूत, 40 देशों के अप्रवासी भारतीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंचे हैं। जय श्रीराम के नारों के बीच, अनेक देशों के राजदूत व राजनयिक भी इस भव्य कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

इसमें तजाकिस्तान के ताज मोहम्मद भी हैं। उन्होंने बाबर की जन्मभूमि की नदी कश्क-ए-दरिया समेत कई मुस्लिम देशों की नदियों का जल भेजा है। जौली ने बताया, ”जलाभिषेक के लिए 155 देशों का जल कलश अयोध्या ला गया। इसमें उज्बेकिस्तान के ताशकंद में चिरचिक नदी, तजाकिस्तान की वख्श नदी, यूक्रेन की डेनिस्टर, रूस की वोल्गा, मॉरिशस की गंगा तालाब और हिंद महासागर का जल भी है।”

विभिन्न देशों के जलों को इकट्ठा करने में लग गये 31 महीने

मणिराम छावनी के सभागार में कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शुरू हुआ। सबसे पहले हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। वहीं, RSS के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश ने नया नारा “भारत जय जगत” दिया।

फीजी, मंगोलिया, डेनमार्क, भूटान, रोमानियां, हैती, ग्रीस, कोमोरोस, कबेवर्डे, मोन्टीनीग्रो, टुवालू, अल्बानियां और तिब्बत आदि देशों के राजनयिकों ने मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम के इस ऐतिहासिक जलाभिषेक कार्यक्रम में भाग लिया। भूटान, सूरीनाम, फीजी, श्रीलंका व कंबोडिया के वर्तमान राष्ट्राध्यक्षों ने इस अवसर पर अपने शुभकामना संदेश डॉ. जौली को भेजे ।विजय जौली ने बताया, “हमारे जलाभिषेक कार्यक्रम के लिए इतने देशों का जल जुटाने के लिए 31 महीने का समय लगा। स्टॉकहोम से आशीष ब्रम्हभट्‌ट ने कोरोना काल के बाद सबसे पहली विस्तारा की ​फ्लाइट ​से जल भेजा। हमने यूक्रेन और रूस के साथ चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी जल मंगाया है।”उन्होंने बताया, “जलाभिषेक कार्यक्रम श्रीराम की अथक भक्ति का परिणाम हैं। श्रीराम विश्वव्यापी हैं। उनके मंदिर को पूरे विश्व का समर्थन है। हमारा प्रयास पूरे विश्व को आतंक और युद्ध से मुक्त कर श्रीराम की भक्ति और प्रेम से जीतने का संदेश देना है। इसमें हिंदू, मुस्लिम, जैन, पारसी और बुद्ध आदि विश्व के कई धर्मों के लोगों का सहयोग है।”

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कार्यक्रम में शरीक होने के लिए चालीस देशों से 200 का समूह

उन्होंने कहा, “इस आयोजन में शामिल होने के लिए फिजी से राजेंद्र प्रसाद, आस्ट्रेलिया से परशुराम, मकाऊ से अरुणा झां, नेपाल के सांसद विनोद चौधरी, मॉरीशस से बालाजी, रोमानिया से विजय मेहता, सिंगापुर के पुरुषोत्तम कुमार सहित युगांडा, रोमानिया, मंगोलिया, भूटान, श्रीलंका, नार्वें समेत 40 देशों के करीब 200 लोगों का समूह आया है।”

उन्होंने बताया,” हम लोग रामजन्मभूमि पथ पर दोपहर में पहुंचे हैं। जहां से रामलला के दरबार में दर्शन किया है। अब राम मंदिर का जलाभिषेक किया जाएगा। पूरे कार्यक्रम को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का निर्देशन और पूज्य संतों का मार्गदर्शन मिलेगा। कार्यक्रम में मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास और लोकेश मुनि का आशीर्वाद रहेगा। कलश पूजन वैदिक मंत्रोच्चार के बीच होगा।

इन 13 देशों के राजदूत रहे शामिल
कार्यक्रम में अल्बानिया के राजदूत देवेंद्र पाल सिंह, फिजी के राजदूत कमलेश शशि प्रकाश, रोमानिया विजय मेहता, मंगोलिया ज्ञान बोर्ड, भूटान के किमजोंग दारजिक, सूरीनाम अरुण कुमार, मोंटीनीग्रो डॉ. जैनेश दरबारी, तूआलू के डॉ. दीपक जैन, कामरास के एस. गंजू, ग्रीस एलेकजेंडर वाड्रेश, कोपॉवर्ड के संजय कुमार दीवान के अलावा हम्फी और कंबोडिया के राजदूत शामिल थे। सभी राजदूत उन देशों के हैं, जो भारत में कार्यरत हैं।