मिर्जापुर से सलिल पांडेय की रिर्पोट

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ऐसे तमाम सुझाव प्रबुद्धजनों द्वारा प्राप्त हो रहे हैं। परीक्षण कराकर इसे अमल में लाया जाए तो नगरपालिका चमक उठेगी

प्रबुद्धजनों के सुझाव

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

मिर्जापुर। वाह्य सुव्यवस्था के लिए पहले आंतरिक सुव्यवस्था की जरूरत होती है।
●जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शरीर के अंदर कूड़ा-करकर जैसे हालात खत्म किए जाते हैं, तभी प्रभावशाली जीवन होता है।

●पालिका सेवा के दौरान पान-बीड़ी-सिगरेट पीने वाले कर्मियों को शासन की मंशा से कड़ाई के साथ पेश आया जाए।
●सामाजिक और शासकीय सन्दर्भों में भी यही सिद्धांत लागू होता है।
●आन्तरिक अव्यवस्था सारे प्रयासों को विफल कर देती है।

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सन्दर्भ नगरपालिका परिषद के लिए

●चेयरमैन श्यामसुंदर तथा 38 सभासदों ने 27 मई को नगर को सुव्यवस्थित करने की शपथ ली है।
●इसके लिए नगरपालिका की आंतरिक सुव्यवस्था प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए।
●आंतरिक सुव्यवस्था के लिए परिषद में कार्यरत कर्मचारियों की कार्यप्रणाली बेहतर होनी चाहिए।
●लगभग 300 स्थाई कर्मचारी तथा 900 संविदा कर्मचारियों की नगरपालिका में अनेक कर्मचारी नगरपालिका को निजी सम्पत्ति मानते हैं, उनपर पैनी नजर रखनी होगी।
●अनेक कर्मचारी लोकल होने के कारण राग-द्वेष से युक्त होकर परिषद की छवि धूमिल करते हैं।
●अनेक कर्मचारी जनता के साथ अभद्रता तथा असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हैं।
●उदाहरण के फलस्वरुप जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के मामले में एक कर्मचारी का ‘मैं तो चमड़ी उधेड़ कर पैसा लेता हूं, तब प्रमाणपत्र देता हूँ’ का डायलॉग प्रशासन से लेकर उत्तर प्रदेश सरकार तक पहुंच गया।
●इस स्थिति में जिला प्रशासन को भृकुटि टेढ़ी करनी पड़ी और दो कर्मचारियों को ‘बैड इंट्री’ की मार झेलनी पड़ी।
●उदण्ड कर्मचारी अपने राजपत्रित अधिकारियों के आदेशों का उल्लंघन कर यह चैलेंज देते हैं कि वे अधिकारी का आदेश नहीं मानेंगे।
●उदाहरण स्वरूप वर्तमान ईओ द्वारा हेल्थ विभाग में पटल परिवर्तन के लिए 21 मार्च को आदेश दिया गया, जिसे संबन्धित लिपिकों ने यह कहकर मानने से इनकार कर दिया कि ईओ उनका पटल परिवर्तन नहीं कर सकते।
●इस अनुशासन हीनता के लिए D कम्पनी नाम से कुख्यात एक रिटायर्ड कर्मी का उकसावा देना सुनाई पड़ा।
●जिला प्रशासन की सख्ती के बाद लगभग 25 दिनों बाद पटल परिवर्तन का आदेश अंततः प्रभावी हुआ।
इसके बाद लगभग 150 जन्म तथा मृत्यु प्रमाणपत्र आवेदन की फाइलें रिटायर्ड कर्मी तथा 200 फाइलें कार्यरत कर्मी के घर से मंगानी पड़ी।
●पालिका की कोई पत्रावली किसी कर्मी के घर पर नहीं रहनी चाहिए क्योंकि इससे सौदेबाजी की गंध आती है।
●नगरपालिका में लंबे अरसे से कलेक्ट्रेट के एक लिपिक के हाथों रिमोट कंट्रोल को खत्म किया जाना चाहिए ।
●कलेक्ट्रेट का लिपिक खुद जूनियर होकर मुख्यालय पर तैनाती हासिल किए है तथा सीनियरों को तहसील में धकियाने में सफल है।
●पालिका के कतिपय कर्मियों को अनुशासनहीन बनाने में कलेक्ट्रेट के उक्त लिपिक का हाथ है।
●उक्त लिपिक पर यह भी आरोप है कि नगरपालिका संबन्धित कोई आदेश शासन से या जिला प्रशासन से होता है तो पालिका पर प्रभाव जमाने के लिए उस आदेश की गोपनीयता भंग भी करता है।
●उक्त कर्मी कतिपय कर्मियों को खदान का पट्टा दिलाकर अन्य कर्मचारियों को प्रलोभित भी करता है कि वह जो चाहेगा, प्रशासन से करा देगा।
●नगरपालिका के दागी कर्मचारी जो पूर्व में निलंबित, दण्डित या सजा पाने के बाद कोर्ट से स्थगन लिए हैं, उन्हें किसी भी हालत में गंभीर पदों पर नहीं रखना चाहिए।
●नगरपालिका का भाग्य-विधाता साबित करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों को बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के उच्च अधिकारियों के घर जाने को कदाचार और कपटपूर्ण कार्य माना जाए।
●मलाईदार सीट के लिए पैरवी को नजरअंदाज किया जाए तथा विधिक कार्रवाई की जाएं
●रिटायर्ड कर्मी विभिन्न अनुभागों में कई-कई घण्टे कुंडली मारकर डेरा डाले रहते है, उन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
●ऐसे कर्मी यह साबित करते हैं कि अभी भी वे पालिका की सेवा में हैं।
●ऐसा साबित कर जनता को भरमाते हैं तथा पैसा वसूलते हैं।
●अनेक पम्प आपरेटर पालिका से वेतन लेकर ड्यूटी नहीं करते तथा पम्प हाउस के आसपास के किसी नागरिकों को पम्प चलाने की जिम्मेदारी दिए हुए हैं।
●इसी की वजह से पम्प हाऊस की मशीनें प्रायः जल जाती हैं।
●इन पम्प हाऊसों पर सीसी टीवी कैमरा लगना चाहिए।
●पूर्व में जलकल विभाग द्वारा डिजिटल पद्धति से पम्प चालू करने का जो कार्य शुरू किया गया था, उसमें आने वाली खामियों को दूर कर लागू किया जाना चाहिए।
●निर्माण कार्यों में पेटी कांट्रेक्टर सिस्टम समाप्त किया जाना चाहिए।
●बड़ी कार्यदायी संस्थाओं, मसलन सिंचाई, पीडब्लूडी, आरईडी आदि में कई कई करोड़ के काम में व्यस्त ठीकेदार अपने फर्म का इस्तेमाल सिर्फ कमीशनबाजी के लिए करते हैं। इस प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए।