भारत सरकार ने 26 जनवरी 1963 को मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित कर इंडियन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 के तहत मोर या किसी भी पक्षी को मारने या किसी प्रकार की क्षति पहुंचाने वाले पर 7 साल की सजा तक का प्रावधान निर्धारित किया है।
- राष्ट्रीय पक्षी को क्रूरता से पकड़ कर बाँधने का वीडियो सोशल मीडिया पर हुआ वायरल
- जंगली पशुओं पक्षियों को पेट की आग तृप्त करने व प्यास बुझाने को लेकर गांव/बस्तियों की ओर करना पड़ रहा है पलायन जिनपर शिकारियों की पैनी नज़र होने को इंकार नहीं किया जा सकता।
- जनपद चन्दौली के चकिया कोतवाली अन्तर्गत मुजफ्फरपुर गांव का मामला।
- जनपद के अभयारण्य क्षेत्र मे नही है सुरक्षित वन्य जीव।
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
नौगढ़‚चंदौली। काशी वन्य जीव प्रभाग रामनगर के चंद्रप्रभा वन्य जीव बिहार क्षेत्र मे स्वतंत्र विचरण करने वाले वन्य जीवों के जीवन पर आफत मंड़राता देख भी क्षेत्रीय वन अधिकारी बी के पांडेय की सैद्धांतिक सहमति पर शिकारियों को क्लीन चीट मिल जा रहा है।
शिकारियोँ की शिकारी निगाहों के शिकार हो रहे विलुप्त हो रहे जंगली जानवर
चन्द्रप्रभा वन्य जीव बिहार क्षेत्र में पल बढ कर धमा चौकड़़ी मचाते हुए दर्शकों का मन मोह रहे चीता‚ हिरन‚ चीतल ‚भालू ‚जंगली सुअर,मोर ईत्यादि विभिन्न प्रजातियों के वन्य जीवों को चन्द्रप्रभा बांध मे पानी का टोंटा होने से प्यास बुझाने के लिए गांवों की ओर पलायन करना व दिनों दिन सिमट रहे जंगलों का साम्राज्य से रहने मे हो रही कठिनाई का फायदा उठाने मे शिकारियोँ की निगाहें बनी हुई है।
मुख्य आकर्षण वन्य जीवों की चहलकदमी एवं राष्ट्रीय पक्षी मोर का नृत्य एवं चिड़ियों का कलरव
प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार राजदरी देवदरी जलप्रपात पर पर्यटको का हुजूम उमड़ता रहता है।
जिनका मुख्य आकर्षण वन्य जीवों की चहलकदमी एवं राष्ट्रीय पक्षी मोर का नृत्य एवं चिड़ियों का कलरव रहता है।
जिसे देख हर आंखें मंत्रमुग्ध हो जाती है।
क्षेत्रीय वन अधिकारी बी के पांडेय की सहमति पर आरोपी को छोड़े जाने का मामला आया सामने
वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए बने राष्ट्रीय कानून को भी धता बतलाते हुए राष्ट्रीय पक्षी मोर के साथ क्रूरता के साथ हत्या करने की नीयत पाले एक व्यक्ति का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के बाद वन विभाग ने उसे पकड़ कर वन रेंज कार्यालय लाया।जहां पर कुछ देर तक बैठाए जाने के बाद क्षेत्रीय वन अधिकारी बी के पांडेय की सहमति पर आरोपी को छोड़ दिए जाने का मामला प्रकाश में आ रहा है।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act ) आखिर है क्या ?
भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 भारत सरकार ने सन् 1972 ई0में इस उद्देश्य से पारित किया था कि वन्यजीवों के अवैध शिकार तथा उसके हाड़-माँस और खाल के व्यापार पर रोक लगाई जा सके।
इसे सन् 2003 ई0में संशोधित किया गया है और इसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम २००२ रखा गया जिसके तहत इसमें दण्ड तथा जुर्माना और कठोर कर दिया गया है। 1972 से पहले, भारत के पास केवल पाँच नामित राष्ट्रीय पार्क थे।वर्तमान में भारत में 101 राष्ट्रीय उद्यान हैं।अन्य सुधारों के अलावा, अधिनियम संरक्षित पौधे और पशु प्रजातियों के अनुसूचियों की स्थापना तथा इन प्रजातियों की कटाई व शिकार को मोटे तौर पर गैरकानूनी करता है।
यह अधिनियम जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को संरक्षण प्रदान करता है|
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act 1972 in Hindi) में 66 धाराएं हैं और इसमें 6 अनुसूचियां हैं जो उनमें से प्रत्येक के तहत रखी गई प्रजातियों के लिए विभिन्न प्रकार की सुरक्षा प्रदान करती हैं। जो अलग-अलग तरह से वन्यजीवन को सुरक्षा प्रदान करता है।