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ज्योतिषियों का कहना है कि रक्षाबंधन 30 की रात और 31 की सुबह मना सकते हैं। इसमें भी सभी जानकारों ने अपनी ज्योतिषीय गणना में शुभ मुहूर्त को लेकर अलग-अलग तर्क दिया है।

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

धर्म कर्म डेस्क। रक्षा बंधन कब मनाया जाएगा। इस साल भी मतभेद बना हुआ है। ये त्योहार सावन महीने की पूर्णिमा पर मनाते हैं, लेकिन इस बार पूर्णिमा 30 और 31 अगस्त, दोनों ही तारीखों में रहेगी।काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी बताते हैं कि ज्योतिष ग्रंथों में कहीं नहीं लिखा कि भद्रा पुच्छ में रक्षाबंधन करें, इसलिए जब भद्रा काल पूरी तरह खत्म हो जाए तभी राखी बांधनी चाहिए। इस तरह 30 अगस्त की रात 8.58 से 31 की सुबह 7.37 तक रक्षाबंधन किया जा सकता है।

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अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रारहित काल में बांधी जाती है भाई की कलाई पर राखी

रक्षाबंधन को भाई-बहन के प्रेम और सदभाव के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं जिसके बदले में भाई अपनी बहन को भेंट देता है एवं आजीवन उसकी रक्षा का वचन भी देता है। अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रारहित काल में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। 

श्रावण पूर्णिमा तिथि और रक्षाबंधन 2023 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि लगने साथ ही  भद्रा लग जाएगी जो रात को 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। वहीं दूसरी तरफ श्रावण पूर्णिमा 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। 30 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त रात 9 बजकर 01 मिनट से लेकर 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है।

ऐसे बांधें भाई को राखी
वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार वह प्रमुख स्थान है जहां से सकारात्मक ऊर्जा आपके घर के भीतर प्रवेश करती है,जो आपकी और भाई की समृद्धि के लिए मददगार हो सकती है। रक्षाबंधन के दिन मुख्य द्वार पर ताजे फूलों और पत्तियों से बनी बंधनवार लगाएं और रंगोली से घर को सजाएं। पूजा के लिए एक थाली में स्वास्तिक बनाकर उसमें चंदन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई, और कुछ ताज़े फूलों के बीच में एक घी का दीया रखें। 

इस मंत्र को बोलते हुए भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें राखी

दीपक प्रज्वलित कर सर्वप्रथम अपने ईष्टदेव को तिलक लगाकर राखी बांधें और आरती उतारकर मिठाई का भोग लगाएं। फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं। इसके बाद उनके सिर पर रुमाल या कोई वस्त्र रखें। अब भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का तिलक लगाकर उसके हाथ में नारियल दें। इसके बाद  “येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:” इस मंत्र को बोलते हुए भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें। 

भाई की आरती उतारकर मिठाई खिलाएं और उनके उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करें। इसी दिन देवताओं, ऋषियों और पितरों का तर्पण करने से परिवार में सुख शान्ति और समृद्धि बढ़ती है। प्राणी इस दिन नदियों, तीर्थों, जलाशयों आदि में पंचगव्य से स्नान और दान-पुन्य करके आप ईष्ट कार्य सिद्ध कर सकते हैं। 

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