काशी के विद्धानों ने बताया दिपावली पूजन का शुभ मुहूर्त, पढ़ें कब लग रहा है प्रदोष काल

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खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

धर्म कर्म डेस्क नई दिल्ली।

हिंदू धर्म में दिवाली के पर्व का खास महत्व होता है। दीपोत्सव का यह पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। पूरे भारत में इस पर्व का अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। इस दिन पूरा देश दीये को रोशनी से जगमगा उठता है। हिंदू धर्म में दिवाली को सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला त्योहार माना जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और सुख-समृद्धि के देवता भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि दिवाली के दिन ही प्रभु श्रीराम लंकापति रावण को हरा कर अयोध्या लौटे थे। 14 वर्ष का वनवास पूरा कर भगवान राम के लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरे अयोध्या को दीयों को रोशनी से सजा दिया था। तभी से पूरे देश में दिवाली मनाई जाती है। दीपोत्सव का यह पर्व पूरे पांच दिनों तक चलता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस साल दिवाली कब है और पांच दिन के दीपोत्सव पर्व की महत्वपूर्ण तिथियां क्या हैं

दिवाली 2023 कब है ?

दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 12 नवंबर 2023 की दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रही है। इसका समापन अगले दिन 13 नवंबर 2023, सोमवार की दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में वैसे तो उदया तिथि के आधार पर पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा रात में प्रदोष काल के समय करना शुभ होता है, इसलिए दिवाली 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी। 

सनातन धर्म के चार प्रमुख पर्वों में दीपावली का प्रमुख स्थान है। इसे कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। कार्तिक अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दिन में 2:12 बजे लग रही है जो 13 नवंबर को दिन में 2:41 बजे तक रहेगी।

दिवाली 2023 पर पूजा का शुभ मुहूर्त 

दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक है। वहीं लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशीथ काल मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक है। इस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने से जीवन में अपार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

प्रदोष काल का समय

धर्म शास्त्रों में दीपावली के पूजन में प्रदोषकाल अति महत्वपूर्ण होता है। कहा गया है-‘प्रदोषे पूज्येत लक्ष्मीं।’ इसमें स्थिर लग्न की प्रधानता बताई जाती है। प्रदोष काल मानक समयानुसार शाम 5:11 से 6:23 बजे तक रहेगा।

श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार लक्ष्मी-गणेश पूजन एवं खाता पूजन के लिए शुभ मुहूर्त (स्थिर लग्न) सायं 5:27 से 7:23 के बीच वृष लग्न में विशेष शुभद होगा। इसके अलावा प्रातः 06:41 से लेकर 08:58 तक वृश्चिक लग्न, दिन 12:51 से 02:22 तक कुंभ लग्न व रात्रि 11:55 से 2:09 तक सिंह लग्न विद्यमान रहेगा।

कार्तिक अमावस्या दीपावली अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है। तिथि विशेष पर किसी कार्य को किया जाए तो वर्ष भर उसमें सफलता मिलती है।

सोमवती अमावस्या

इस बार उदयातिथि में अमावस्या 13 नवंबर को मिल रही है। तिथि विशेष पर सोमवार होने से इसका मान सोमवती अमावस्या का है। इसमें स्नान-ध्यान, व्रत-दान के साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे सौभाग्य कामना से पूजन का विधान है।

काली पूजा

अमावस्या के दिन बंगीय समाज के लोग निशिथ काल में मां काली की विधिवत पूजन करते हैं। इस बार कार्तिक अमावस्या मध्य रात्रि में 12 नवंबर को मिल रही है। महाकाली पूजा 12 की रात की जाएगी।

दिवाली कैलेंडर 2023

धनतेरस10 नवंबर
नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली)12 नवंबर
दिवाली12 नवंबर
गोवर्धन पूजा 14 नवंबर
भाई दूज 15 नवंबर

लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखने वाली 6 बातें

  • 1. दिवाली पूजा के लिए कमल पर बैठी हुई माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति खरीदनी चाहिए. खड़े हुए गणपति की मूर्ति नहीं खरीदें.
  • इस बात का ध्यान रखें कि मूर्ति का रंग उतरा हुआ या धुंधला न हो. मूर्ति में माता लक्ष्मी और गणेश जी के आंख, कान, नाक आदि सही से बने हों.
  • 3. मूर्ति प्रसन्नता की मुद्रा वाली होनी चाहिए, जो आपके घर के सुख और समृद्धि को बढ़ाने वाली साबित हो. रौद्र रूप या तेजहीन मूर्ति को न खरीदें.
  • 4. पूजा के लिए मूर्ति को खंडित नहीं होना चाहिए. शास्त्रों में खंडित मूर्ति की पूजा वर्जित है. ऐसे में ध्यान रखें कि आप जो लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति खरीद रहे हैं, वे कहीं से भी टूटी-फूटी न हो.
  • 5. मूर्ति के चयन में रंगों का भी ध्यान रखना चाहिए. आप उन मूर्तियों को ही खरीदें, जिनका रंग लाल, गुलाबी या पीला हो. काले, भूरे, मटमैले रंग की मूतियां न लें.
  • 6. दिवाली पूजा के लिए गणेश जी की वह मूर्ति लें, जिसमें उनकी सूंड़ बाईं तरफ मुड़ी हुई हो. दाईं सूंड़ वाली मूर्ति की पूजा में सभी नियमों का ध्यान रखना होता है. पूजा में गलती होने पर गणेश जी अप्रसन्न हो जाते हैं.

विधि

दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि

  • दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि पूर्वक की जाती है। 
  • इस दिन सबसे पहले कलश पर तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें। 
  • इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का ध्यान करें। 
  • ध्यान के पश्चात गणेश जी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत अर्पण करें। 
  • फिर दोनों प्रतिमाओं को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं। 
  • इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें। 
  • स्नान कराने के उपरांत लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को टीका लगाएं। माता लक्ष्मी और गणेश जी को हार पहनाएं। 
  • इसके बाद लक्ष्मी गणेश जी के सामने बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आभूषण रखें। 
  • फिर पूरा परिवार मिलकर गणेश जी और लक्ष्मी माता की कथा सुनें और फिर मां लक्ष्मी की आरती उतारें।

पूजा सामग्री

लाल वस्त्र के आसन पर लक्ष्मी-गणेश, कुबेर-इंद्र की प्रतिमा या यंत्र स्थापित कर पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें। भगवती लक्ष्मी की प्रसन्नता व कृपा प्राप्त करने के लिए बेल की लकड़ी, बेल की पत्ती व बेल के फल से हवन करना चाहिए। इसके अलावा कमल पुष्प व कमल गट्टा से किया गया हवन विशेष फलदायी होता है।

मंत्र

“ओम् श्रीं श्रियै नम:, “ओम् श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, “श्रीं ह्रीं श्रीं, “ओम महालक्ष्म्यै नम: इन मंत्रों से पूजन करने से महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। दीपावली पर श्रीसूक्तम का 16 बार पाठ और बेल की लकड़ी पर देशी घी से हवन लक्ष्मी कामना पूर्ण करने वाला है।

दिवाली के दिन करें यह टोटका, बन जाएंगे मालामाल!

इस दिन तिजोरी में कुछ खास चीजें रखना बेहद शुभ माना जाता है.कहा जाता है इससे माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहती है.आइये जानते है काशी के ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज से दीपावली पर तिजोरी में कौन सी चींजे आपका धन बढ़ा सजती है.

  • नोटों की गड्डी रखना:इस दिन तिजोरी में नोटों की गड्डी रखना बेहद शुभ माना जाता है.इससे आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन सम्बंधित परेशानियां भी दूर होती है.
  • लाल कपड़े का उपाय: इस दिन तिजोरी में लाल कपड़े के सिक्का,सुपारी और गुलाब के पंखुरी को माता लक्ष्मी को अर्पण करने के बाद तिजोरी में रखना शुभता का प्रतीक माना जाता है.इससे माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है.
  • कौड़ी रखना: इस दिन तिजोरी में कौड़ी रखना भी बेहद शुभ माना जाता है.इससे माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है.
  • पीपल के पत्ते का उपाय: दीपावली के दिन पीपल के पत्ते पर ॐ लिखकर उसे तिजोरी में रखने से आर्थिक तंगी दूर होती है और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है.

जानें, दीपावली पर देवी लक्ष्मी के साथ विष्णु जी की पूजा क्यों नहीं होती

वर्ष में केवल दीपावली ही एकमात्र ऐसा मौका है जब लक्ष्मी जी के साथ उनके पति विष्णु जी की पूजा नहीं की जाती। इस संबंध में धर्म-पुराणों में लिखा है कि भगवान विष्णु चातुर्मास के दौरान निद्रालीन होते हैं और दीपावली के बाद देव उठनी एकादशी पर ही जागते हैं। चूंकि दीपावली चातुर्मास के दौरान आती है, अत: उनकी निद्रा भंग न हो, इसीलिए दीपावली के दिन उनका आह्वान-पूजा नहीं की जाती। कार्तिक पूर्णिमा के दिन जब भगवान विष्णु नींद से जागते हैं, तब उस दिन देव दीपावली मनाई जाती है।

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यह खबर धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषाशास्त्र पर आधारित है Khabari post.com इसके सत्यता की पुष्टि नहीं करता है