वर्ष 1857 में झूरी सिंह के गले में फांसी का फंदा तो 1942 में नरेश का अग्नि-स्नान

WhatsApp Image 2023-08-12 at 12.29.27 PM
Iqra model school
WhatsApp-Image-2024-01-25-at-14.35.12-1
jpeg-optimizer_WhatsApp-Image-2024-04-07-at-13.55.52-1
srvs_11zon
Screenshot_7_11zon
WhatsApp Image 2024-06-29 at 12.
IMG-20231229-WA0088
WhatsApp Image 2024-07-26 at 15.20.47 (1)
previous arrow
next arrow

सलील पांडेय

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

मिर्जापुर। ब्रिटिश हुकूमत से कराहते देश की मुक्ति-आंदोलन में जब बहादुर शाह जफर, तात्या टोपे, नाना साहब और झांसी की रानी ने बिगुल बजाया तो वर्तमान विंध्याचल मण्डल के गोपीगंज इलाके में आजादी के कतिपय दीवाने पहुंचे जहां क्रांतिकारी भोला सिंह, रामकरन सिंह तथा कुंवर उदवन्त सिंह ने उनका स्वागतं किया जिसपर मिर्जापुर में तैनात रहे तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट विलियम रिचर्ड म्योर घबड़ा गया ।

क्रांतिकारी को धोखे से चढ़वा दिया फांसी पर तो दूसरे क्रांतिकारी ने सर धड़ से किया अलग

समझौते के लिए धोखे से बुलवाकर इन्हें फांसी पर चढ़वा दिया । म्योर के इस धोखे से तिलमिलाए परऊपुर के क्रांतिकारी झूरी सिंह ने 4 जुलाई 1857 को म्योर का सिर कत्ल सिर धड़ से अलग करके किया । झूरी सिंह को भी फांसी के फंदे पर झुलाया गया । आजादी के लिए जब दूसरी बार बिगुल बजा और असहयोग आंदोलन शुरु हुआ तब जे एन विल्सन, बैरिस्टर युसूफ इमाम, हनुमान प्रसाद पांडेय, उपेन्दोनाथ बनर्जी, विन्देश्वरी प्रसाद मालवीय, मौलवी अब्दुल हमीद, परमानन्द पंजाबी, मुंशी चंद्रिका प्रसाद, मास्टर गंगा प्रसाद, कन्हैयालाल मिस्त्री, सालिक राम खत्री आदि को तत्कालीन कलेक्टर ने गिरफ्तार कर जेल में यातना दी । इस गिरफ्तारी का मिर्जापुर के साथ भदोही तथा रावर्ट्सगंज एवं दुद्धी तक में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई ।

वकीलों ने जला दी अपनी डिग्री और कूद पड़े आंदोलन में

तमाम वकीलों ने अपनी डिग्री जला दी और आंदोलन में कूद पड़े । इस कड़ी में चुनार क्षेत्र भी जब कूद पड़ा नरोत्तम सिंह, विश्राम सिंह, पदुम प्रसाद सिंह, डॉ सरयू प्रसाद, शीतलादीन, गयाप्रसाद सिंह को गिरफ्तार किया गया । रावर्ट्सगंज में गंगाप्रसाद जायसवाल, महादेव चौबे कृष्णदत्त को यातना झेलनी पड़ी । इन लोगों को मिर्जापुर के जेल में इतना पीटा गया कि वे जेल से छूटने के बावजूद चलने में असमर्थ तो रहे लेकिन आंदोलन का अलख जगाते रहे । इतिहास के पन्नों में इस क्षेत्र के साहस की अनेक गाथाएं है । अत्यंत दुरूह दुद्धी, म्योरपुर मुड़ी सेमर और गोहड़ा ग्राम से अनेक सेनानी पकड़े गए और इनके घर तथा पशुओं की नीलामी कर दो गईं ।

शहीद नरेश चंद का अग्नि-स्नान

17 अगस्त 1942 का दिन । कुछ जोशीले युवकों ने पहाड़ा स्टेशन पर धावा बोल दिया । जिसमें अलग अलग हिस्सों किरियात, भरपूरा, बबुरा क्षेत्र के लोग भदोही के खमरिया क्षेत्र के 18 वर्षीय नरेश चंद के पहुंचे । नरेश चंद बी एल जे इंटर कालेज के छात्र थे। स्टेशन के रिकार्ड रूम में आग लगाई गई । लेकिन इसी आग में नेतृत्व कर रहे नरेश जल कर मर गए। आजादी के लिए शहीद होने वालों में 22 वर्ष के कश्मीर सिंह का नाम भी आदर के साथ लिया जाता है । इसके अलावा कुछ दिनों के अंतराल पर 24 अगस्त 1942 को 200 लोगों ने भैसा स्टेशन में भी आग लगा दी । यहां गोलियां चली थी जिनमें कई सेनानी मारे गए थे । जिन्हें श्रद्धांजलि आवश्यक है ।

khabaripost.com
sardar-ji-misthan-bhandaar-266×300-2
bhola 2
add
WhatsApp-Image-2024-03-20-at-07.35.55
jpeg-optimizer_bhargavi
1002375393
Screenshot_24
previous arrow
next arrow