अनिल द्विवेदी
जिस दिन ब्राह्मण समाज एकजुट हो जायेगा, फिर अपने आप दशा बदल जायेगा सुदर्शन महाराज
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चकिया‚चंदौली। नगर पंचायत के लक्ष्मी लान में ब्राह्मण समाज का होली मिलन समारोह आयोजित किया गया। जिसमें जिले के सभी जगहों से ब्राह्मणजनों ने अपनी सहभागिता दर्ज करायी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विजय त्रिपाठी ने किया । वहीं मुख्य अतिथि के रूप में आयुष विभाग के मंत्री दयाशंकर मिश्र (दयालु गुरु) रहे।
सबसे पहले भगवान परशुराम के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
ब्राह्मणों की एकता दिखाई नही देती जिसे दिखने की जरूरत – सुदर्शन महाराज
प्रयागराज से भगवान परशुराम अखाड़े के महंत सुदर्शन महाराज ने कहा कि ब्राह्मणों की एकता दिखाई नही देती जिसे दिखने की जरूरत है। पूरे देश में विभिन्न जातीं धर्म संप्रदाय के लोग सगठन से छोटे-छोटे राज्य उन्नत कर सकते हैं , किंतु ब्राह्मण समाज कभी संगठित नहीं हो सकता है ।
ब्राह्मण समाज एकजुट होकर एक दूसरे का सहयोग करने लगे तो देश की दिशा ही बदल जायेगी
पूरे देश में एक एक राज्यों में ब्राह्मणों की संख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की संख्या दो करोड़ से ज्यादा है फिर भी ब्राह्मण संगठित नहीं है। और अगर यही ब्राह्मण समाज एकजुट होकर एक दूसरे का सहयोग करने लगे तो देश की दिशा ही बदल जायेगा।
मत भिन्नता भले ही हो, किंतु किसी एक घटनाक्रम पर हम सब एक
संगठन में बहुत ताकत है । समाज संगठन को लेकर कुछ लोग मंच से भ्रम फैलाते हैं कि समाज के लोग परस्पर टांग खींचते हैं। समाज कभी संगठित नहीं हो सकता….। आदि। यदि हम सकारात्मक सोच से देखेंगे तो हम पाएंगे कि हर समाज संगठित है । संगठन के बल पर ही वह उन्नति के पथ पर बढ़ता जा रहा है। समाज को संगठित करना यानि मेंढक तोलने जैसा है…। यह सब गलत है। 21वीं सदी है । देश बदल रहा है । यानि देशवासियों की सोच बदल रही है। नए-नए समाज का उदय हो रहा है। नाम व स्वरूप भले ही अलग हो , किंतु संगठनों के माध्यम से जनमानस संगठित हो रहा है। मत भिन्नता भले ही हो, किंतु किसी एक घटनाक्रम पर हम सब एक हैं ।
ब्राह्मण में राजा बदलने की क्षमता‚है तप में बल
महाभारत के शांति पर्व व अनुशासन पर्व में ब्राह्मणों के महत्व का बहुत ही विस्तार से वर्णन है । उसमें स्पष्ट कहा है – किसी भी राजा को ब्राह्मणों से विरोध नहीं करना चाहिए। ब्राह्मण में राजा बदलने की क्षमता है ब्राह्मण का तप ही बल है। तप ही शस्त्र है । ब्राह्मणों का विरोध करने पर कई राजनीतिक दलों की सरकारें पराजित हो चुकी है । ब्राह्मणों की हुंकार से राजा सदैव भयभीत रहता है ।
ब्राह्मणों की मंगल कामना और आशीर्वाद से सर्वत्र शांति , सुख और आनंद की होती है प्राप्ति
ब्राह्मणों की मंगल कामना और आशीर्वाद से सर्वत्र शांति , सुख और आनंद की प्राप्ति होती है। हमें हमारे ऋषि-मुनियों से सीख लेना चाहिए – इतिहास गवाह है । ऋषि – मुनियों में परस्पर विवाद कभी नहीं हुए । वशिष्ठ विश्वामित्र विवाद एक अपवाद है, परंतु जब विश्वामित्र ब्रह्मर्षि बने , उसके बाद दोनों ऋषियों में परस्पर अगाध आदर भाव रहा। मत भिन्नता होना अलग बात है, किंतु मनभेद कभी नहीं रहा ।
है संकल्प लेने की जरूरत हम न किसी ब्राह्मण की आलोचना करेंगे और न किसी की आलोचना सुनेंगे
हम ब्राह्मणों को तो सिर्फ इतना सा संकल्प लेना है कि ‘हम न किसी ब्राह्मण की आलोचना करेंगे और न किसी की आलोचना सुनेंगे ।’ ब्राह्मणों की एकता बस इसी मंत्र में निहित है । ब्राह्मणों की एकता उसी प्रकार दिखती नहीं है जिस प्रकार काठ में अग्नि ।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि दयाशंकर मिश्र दयालु गुरु आयुष मंत्री ने बताया कि ब्राह्मण समाज ने हर काल में समाज व देश को जागृत करने का काम किया है।
ब्राह्मण विश्व बंधुत्व की भावना रखने वाली विचारधारा
ब्राह्मण विश्व बंधुत्व की भावना रखने वाली विचारधारा है लेकिन ब्राह्मण समाज उपेक्षित महसूस कर रहा है। उन्होंने ब्राह्मणों को एकजुट होकर अपनी ताकत का एहसास कराने का आह्वान किया। ब्राह्मण समाज की दशा और दिशा बदलने का काम करता है। ब्राह्मण समाज को संगठित होकर अपनी एकता दिखानी होगी। ब्राह्मणों की एकजुटता प्रदेश और देश में राजनीतिक बदलाव लाती है।
कार्यक्रम में शामिल मुख्य अतिथि के तौर पर विधायक रावर्टसगंज भुपेश चौबे‚ शैलेन्द्र कवि, विजय त्रिपाठी , नागेंद्र प्रसाद द्विवेदी अध्यक्ष केंद्रित ब्राह्मण समाज, सदानंद दूबे वरिष्ठ समाजसेवी, सुरमुनि तिवारी, के एन पान्डेय सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
कार्यक्रम का संचालन आशुतोष कुमार मिश्रा ने किया।