[smartslider3 slider=”8″]

★प्रत्याशी-फरियाद

सलिल पांडेय

वोट, वोट, वोट, वोट, वोट‚वोट‚वोट‚वोट‚वोट वोट, वोट, वोट, वोट, वोट‚वोट‚वोट‚वोट‚वोट

वोटर यक्ष-प्रश्न?-
अरे क्या वोट-वोट-वोट लगाए हो?
चाहते क्या हो?
साफ-साफ-साफ बताओ ना ?

प्रत्याशी-फरियाद-
अपना वोटवा तू हमका जरूर दैई दे
और बदले में तू हमसे रुपईय्या लै ले
मेरे बाप, मेरे मालिक, मेरे भईया, मेरे हुजूर, मेरे सब कुछ
हमसे ज्यादा तू न कुछ पूछताछ कर
जल्दी तू हां में जवाब दै दे
और बदले में दारू-कबाब लै ले
तोरे पऊवां पडू अब जल्दी गठजोड़ कई लै
और बदले में तू आधा एडवांस लै ले
चाहे जैसे भी हमका जिताई भर दे

[smartslider3 slider=”7″]

दिल्ली तू अपने फिर नाम कई ले

ग्राम प्रधानी के चुनाव में मोहन-जोदड़ो हड़प्पा की खुदाई से निकले सामानों जैसा यह फ़ार्मूला देश की प्रधानी के लिए होने वाले चुनाव तक हाथ-पांव फैला रहा है। ग्राम प्रधानी में जिस प्रत्याशी ने इसे जीत का महामंत्र समझा और आत्मसात किया, वह अंगद के पांव की तरह सिंहासनारूढ़ है। वह शान यह भी बघारता रहता है कि हर बार वही झंडा फहराएगा।

★180 डिग्री कोण का साष्टांग दण्डवत

लोकसभा चुनाव के लिए बिगुल ही नहीं इस समय नगाड़ा, दुंदुभि, शंख, ढोल-तासा, बैंड-बाजा बजना शुरू हो गया है। अधिकांशतः टिकट रेवड़ी-नानखटाई की तरह बंट गए हैं। जहाँ बंट गए हैं, वहां प्रत्याशी की कमर 90 डिग्री कोण की स्टाइल में हो गई है। प्रचार के पथ को धर्मपथ समझ कर वोटरों का घर तो मन्दिर तथा वोटर साक्षात परमब्रह्म परमेश्वर दिख रहा है। सामने पड़ते 90 डिग्री से 180 डिग्री कोण में होते भी देखा जा रहा है। भारतीय संस्कृति के साष्टांग दण्डवत ज्ञान को अमलीजामा पहनाते हुए वोटर के कदम भगवान के कदम समझ कर चरणों में मत्था घिसना श्रद्धालु प्रत्याशी का लक्षण तो चुनाव तक होता ही है।

★मन ही मन में

टाइमबाउंड इस श्रद्धा से किस्मत चटकने का तरीका मानकर मन-ही-मन यह सोचते भी दिखते हैं प्रत्याशी कि 'चुनाव में तो गधे को बाप' बनाना पड़ता ही है। 50-60 दिन लोटपोट से कुछ बिगड़ता नहीं क्योंकि फिर तो 5 साल मूलधन के साथ चक्रवृद्धि ब्याज मिलने की गारंटी भी तो है!

बहरहाल, चुनाव में वोटों की बरसात के लिए मौसम वाले घाघ कवि की जगह चुनावी मौसम के घाघ-पुरुष बनने-बनाने का मार्केट इन दिनों नम्बर-वन पर है।

[smartslider3 slider=”4″]