बसपा सुप्रिमों मायावती ने इस सीट…. से उतारा मैदान में ‚जताया भरोषा
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
वाराणसी। डा० इन्दु काशी हिन्दू विश्व विद्यालय में इंग्लिस की असिस्टेंट प्रोफेसर है। वे BHU में नियुक्ति से पहले लखनऊ के सैनिक स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाती थीं । डॉ. इंदु पहली बार कोई चुनाव लड़ रही हैं। वे पब्लिक कनेक्ट बनाने में माहिर हैं। पूर्वांचल के घोषित प्रत्याशियों में एक नया नाम खासा चर्चा में है। ये नाम है-डॉ. इंदु चौधरी। आजमगढ़ जिले की लालगंज सुरक्षित सीट से बहुजन समाज पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है। बसपा सुप्रिमों ने इन्दु पर जताया है अपना भरोषा।
दे रही नुक्कड़ सभाओं में तीखे तेवर वाले भाषण
सीधे घरों में जाकर मां-बहनों से मुलाकात कर उन्हें अपनी बातों से प्रभावित करती हैं। बाहर नुक्कड़ सभाओं में तीखे तेवर वाले भाषणों से आम लोगों की बात रखती हैं। डॉ. इंदु बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। सबसे पहले वह तब चर्चा में आईं जब बीएचयू में ज्वॉइन किए हुए उन्हें महज कुछ ही दिन हुए थे।
समय – समय पर उठाती रही है शोषण सम्बंधी मामलें
जानकार बताते हैं कि जातिवाद के आधार पर सामान बाहर फेंके जाने का मामला उठाकर उन्होंने हलचल मचा दी थी। यह मामला पुलिस तक पहुंचा था। इसके बाद से वह नियुक्तियों में आरक्षण, रोस्टर के अनुपालन व शोषण संबंधी मुद्दों को समय-समय पर उठाती रही हैं।
इन्दु का यह रहा है पारिवारिक पृष्ठ भूमि
अंबेडकर नगर की रहने वाली डॉ. इंदु के पिता रेलवे में टीटीई थे। उनकी स्कूली शिक्षा लखनऊ के एक कॉन्वेंट स्कूल में हुई। स्नातक, परास्नातक और पीएचडी लखनऊ विश्वविद्यालय से किया। बीएचयू में नियुक्ति से पहले लखनऊ के सैनिक स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाती थीं। डॉ. इंदु के पति महेंद्र प्रताप सिंह इंजीनियर हैं।
डॉ. इंदु ने 2021 में ‘बहुजन शक्ति’ नाम से एक संगठन इनके सोशल मीडिया पर है फालोवर
सामाजिक कार्यों में रुचि रखने वाली डॉ. इंदु ने 2021 में ‘बहुजन शक्ति’ नाम से एक संगठन बनाया। इसके जरिये गांवों में जातिवाद, ऊंच-नीच और रूढ़ियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने लगीं। कुछ ही दिनों में सोशल मीडिया पर उनके फॉलोअर बढ़ने लगे।
राजनीति में खुद को साबित करने और मायावती के भरोसे पर खरा उतरने की सबसे बड़ी परीक्षा
मार्च में लालगंज से बसपा की सिटिंग सांसद संगीता आजाद ने बसपा छोड़ भाजपा की सदस्यता ले ली, तो बसपा सुप्रीमो मायावती की नजर डॉ. इंदु चौधरी पर गई। मायावती ने 21 मार्च को डाॅ. इंदु को बुलवाया और तीन अप्रैल को पार्टी प्रत्याशियों की घोषित तीसरी सूची में उन्हें प्रत्याशी बनाने का एलान कर दिया। साहित्य की शिक्षक डॉ इंदु के सामने राजनीति में खुद को साबित करने और मायावती के भरोसे पर खरा उतरने की सबसे बड़ी परीक्षा है।
जातिवाद-भेदभाव के खिलाफ बोलती हैं, बहुजन समाज के हितों की करती हैं बात
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन था। लालगंज सीट बसपा के कब्जे में थी। तब बसपा प्रत्याशी संगीता आजाद ने भाजपा से मैदान में उतरीं नीलम सोनकर को 1,61,597 मतों के अंतर से हराया था। भाजपा ने फिर नीलम को मौका दिया है। पर, संगीता आजाद बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गईं।
बसपा से जुड़ने के बाद वह सामाजिक समस्याओं की लड़ाई और ले जायेंगी आगे
डॉ. इंदु सावित्री बाई फुले इंटरनेशनल अवॉर्ड (यूएसए) और डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल अवॉर्ड (यूके) हासिल कर चुकी हैं। कहती हैं, बसपा से जुड़ने के बाद वह सामाजिक समस्याओं की लड़ाई और आगे ले जाएंगी।