WhatsApp Image 2023-08-12 at 12.29.27 PM
Iqra model school
WhatsApp-Image-2024-01-25-at-14.35.12-1
jpeg-optimizer_WhatsApp-Image-2024-04-07-at-13.55.52-1
srvs_11zon
Screenshot_7_11zon
WhatsApp Image 2024-06-29 at 12.
IMG-20231229-WA0088
WhatsApp Image 2024-07-26 at 15.20.47 (1)
previous arrow
next arrow

सम्पादक की कलम से

हर साल मई के दूसरे संडे को ही क्यों मनाते हैं मदर्स डे, कैसे और कब हुई थी इसकी शुरुआत ?

हर साल मई के दूसरे रविवार को हमारी माताओं को सम्मान देने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है। इस साल मदर्स डे 12 मई को मनाया जा रहा है। यह सभी माताओं के लिए एक विशेष दिन है। अपने बच्चों की सफलता में हर मां का अतुलनीय और निस्वार्थ योगदान होता है।

ʺसबने बताया कि, आज मां का दिन है,
कौन बताएगा कि वो कौन सा दिन है, जो मां के बिन है
‘‘

उसके होंठो पर कभी बददुआ नहीं होती
बस एक मां जो कभी खफा नहीं होती.

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चकिया‚चंदौली। मां और बच्चे का रिश्ता सबसे खास, सबसे अलग और सबसे प्यारा माना जाता है। कहते हैं यह वो रिश्ता है जो बाकी सभी रिश्तों से बड़ा होता है और हर रिश्ते से नौ महीने पहले ही शुरू हो जाता है। मां के प्रेम, त्याग और समर्पण को सेलिब्रेट करने का ही दिन है मातृ दिवस. हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है।इसकी शुरुआत कैसे और कब हुई? मदर्स डे 50 से भी ज्यादा देशों में मनाया जाता है।चलिए आइए इस तरह के तमाम सवालों के जवाब इस खबर के जरिए जानते हैं।

वह मां ही है जिसके रहते जिंदगी में कोई गम नहीं है…दुनिया साथ दे या न दे…मां का प्यार कभी कम नहीं

आज का दिन दुनिया की हर मां के लिए समर्पित है। हर साल मई के दूसरे रविवार को हमारी माताओं को सम्मान देने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है। इस साल मदर्स डे आज यानी 12 मई को मनाया जा रहा है। यह सभी माताओं के लिए एक विशेष दिन है। लेकिन क्या आप लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि मदर्स डे क्यों मनाते हैं, इसकी शुरुआत कैसे हुई और हम इसे हर साल मई के दूसरे संडे को ही क्यों मनाते हैं। चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए इन सभी सवालों के जवाब देते हैं।

कैसे और कब हुई शुरुआत

दरअसल, मदर्स डे की शुरुआत 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका में हुई थी। 1907 में, संयुक्त राज्य अमेरिका की निवासी एना जार्विस ने अपनी दिवंगत मां के प्रति प्यार और सम्मान जताने के लिए मदर्स डे की शुरूआत की थी। 

हर साल मई के दूसरे संडे को ही क्यों मनते हें मदर्स डे

एना जार्विस ने अपनी मां के देहांत के बाद मदर्स डे को अमेरिका में एक मान्यता प्राप्त अवकाश बनाने के लिए अभियान चलाया था, जिसमें वह 1914 में सफल हुईं। इसके बाद 1914 में, तत्कालीन यू.एस. राष्ट्रपति विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को, जिस दिन अन्ना की मां की मृत्यु हुई थी, मदर्स डे के रूप में नामित किया, जिससे यह नेशनल होली-डे बन गया।इस दिन सिर्फ मां को नहीं बल्कि, हर उस महिला को धन्यवाद दिया जाता है, जो हमारे जीवन में मां की भूमिका निभाती हैं, हमारा ख्याल रखती हैं और हमारी चिंता करती हैं।

ग्रीक और रोमन काल से मनया जा रहा मदर्स डे

मदर्स डे से जुड़ी एक कहीनी यह भी है कि इसकी जड़ें प्राचीन ग्रीक और रोमन काल से चली आ रही हैं। प्राचीन यूनानी और रोमन लोग अपनी-अपनी संस्कृतियों के सभी देवताओं की देवियों की पूजा करते थे। जानकारी के अनुसार यूनानी और रोमन लोग मातृ देवियों – रिया और साइबेले का सम्मान करने के लिए मातृ दिवस को त्योहारों की तरह मनाते थे। रिया एक ग्रीक देवी और रोमन देवी-देवताओं की मां थीं। साइबेले एक रोमन देवी और मातृ देवी है, वह रिया देवी, मातृत्व और मातृ प्रवृत्ति से जुड़ी हुई है।

मदर्स डे की शुरूआत सन् 1900 से हुई थी

इस साल 12 मई, रविवार (Sunday) के दिन मदर्स डे मनाया जा रहा है. 50 से ज्यादा देशों में मदर्स डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने की की शुरूआत सन 1900 के शुरूआती सालों में अमेरिका से हुई थी. एक अमेरिकी महिला एना जार्विस ने 1905 में अपनी मां की मृत्यु के बाद इस दिन को मनाने की शुरूआत की जिसके बाद वेस्ट वर्जिनिया में 1908 में इस दिन को औपचारिक तौर पर सेलिब्रेट किया जाने लगा।

माँ के लिए कुछ खास चीजे अनायास ही याद आ ही जाती है–

मां के लिए मैं क्या लिखूं,मां ने तो खुद मुझे लिखा है।

कौन है वह जो यहां नहीं मिलता
सब कुछ मिल जाता है लेकिन मां नहीं मिलती
मां के जैसा है कोई कहां
मां सब कुछ है यहां।  

मैंने कभी भगवान को नहीं देखा है,
लेकिन मुझे इतना यकीन हे की,
वो भी मेरी मां की तरह होगा। . 

दवा न असर करें तो नजर उतारती है,
एक मां ही है जो कभी नहीं हार मानती है।

और मै सिर्फ इतना कहना चाहूँगा कि माँ पर लिखने के लिए जगह कम पड सकती है लेकिन लेखनी नही रूक सकती । क्यों कि उसका हर एक लम्हा एक किताब के बराबर होता है। अन्त में सिर्फ यही कहना चाहूँगा कि –

मां के लिए मैं क्या लिखूं,
मां ने तो खुद मुझे लिखा है।

khabaripost.com
sardar-ji-misthan-bhandaar-266×300-2
bhola 2
add
WhatsApp-Image-2024-03-20-at-07.35.55
jpeg-optimizer_bhargavi
1002375393
Screenshot_24
previous arrow
next arrow

.