विशेष रिपोर्ट
मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी /भोलानाथ मिश्र
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद से 4 मार्च , 1989 को पृथक हो कर सोनभद्र नया सृजित जनपद सोनभद्र बना । सृष्टि के
आरंभ के प्रतीक महामंगलेश्वर पर्वत से हम बोल रहे हैं।
स्वाधीनता के अमृतकाल 2024 में 19वीं बार लोकसभा चुनाव का साक्षी
देखते है कुछ सांसदों की खट्टी मिठी यादें‚ कब – कब हुआ था मतदाताओं की आशाँओं पर तुषाराघात
- 2004 में हमारे इस क्षेत्र से चुने सांसद लालचंद कोल स्ट्रिंग आपरेशन दुर्योधन में पकड़े गए थे , उनकी सदस्यता सदन से समाप्त कर दी गई थी।
- संसद की गरिमा पर कालिख पोतने जैसा काम हमारे ही कोंख में पले एक और सांसद नरेंद्र कुशवाहा ने किया था । सदन के नेता प्रणव मुखर्जी , विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी और लोकसभा अध्यक्ष रहे सोमनाथ चटर्जी ने दोनों सांसदों की लोकसभा सदस्यता समाप्त की थी ।
- इस घटना से शर्म से हम रॉबर्ट्सगंज लोकसभा क्षेत्रवासी झुक गए थे।
- मेरे दामन में तीसरी बार सियासत ने कलंकित करने का निंदनीय कार्य किया। इतना ही नहीं जब दुद्धी से निर्वाचित विधायक रामदुलार गोंड को दुराचार के एक पुराने मामले में न्यायालय से दंडित हो कर जेल जाना पड़ा और उनकी विधानसभा सदस्य का समाप्त हो गई एवं मतदाताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया ।
लोकसभा क्षेत्र में पहले राजनीति अपराधीकरण‚अब अपराधी भी कर रहे राजनीति
अब लेाकसभा चुनाव के साथ ही उप चुनाव होने जा रहा है । असर दार लोग अलग अलग प्रदेशों , जिलों से आकर खनिज संपदाओं अनियंत्रित दोहन कर रहे हैं । दुर्भाग्य से हमारे इस लोकसभा क्षेत्र में पहले राजनीति अपराधीकरण हुआ । अब अपराधी भी राजनीति कर रहे है ।
सोनभद्र आदिवासी जनसंख्या की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा जिला
सोनभद्र आदिवासी जनसंख्या की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा जिला हैं ।
छत्तीसगढ़ , बिहार , मध्यप्रदेश और झारखंड से हमारी सीमाएं सटी और विकास की भागीरथी से कटी हुई हैं । जहर उगलते कल कारखाने हमारे पर्यावरण को विरूपित कर दिए है ।
जल , वायु ,भूमि , वन्य जीव , भूमि ध्वनि आदि प्रदूषण चिंता जनक
लगभग 5 लाख आदिवासी अरण्य और इतने ही नगरीय सभ्यता में रहने वाले नागरिकों को गगरी भर प्रदूषण
रूपी हलाहल पीना पड़ रहा है । ताप विद्युत गृहों के ऐस डेक ( कोयले के राख का बांध ) से राख रिसती रहती है । चिमनियों से निकलने वाले धुएं से 40 किमी की परिधि में धुंध छाई रहती है । वनस्पतियों पर बुरा प्रभाव दिखता है । खनन क्षेत्र , क्रशर बेल्ट ,और हजारों वाहनों के साइलेंसर से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण प्रदूषण गहरा गया है । जल , वायु ,भूमि , वन्य जीव , भूमि ध्वनि आदि प्रदूषण चिंता जनक है ।
कल कारखाना काल बनेगा , सोनभद्र भोपाल बनेगा
प्रदूषण आदि 22 लाख आबादी के लिए खतरा बना हुआ है । जल , जमीन , जन , जानवर , जंगल , वन्य जीव , संरक्षित क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित है । इसी लिए कहा जाता है , कल कारखाना काल बनेगा , सोनभद्र भोपाल बनेगा ।
मतदाताओं को कठपुतली समझकर सह मात का खेल शुरू
18 वीं लोकसभा चुनाव के सियासी शतरंज पर माफिया मतदाताओं को कठपुतली समझकर सह मात का खेल खेलना शुरू कर दिए है । किसानों , आदिवासियों , व्यापारियों , बेरोजगारों, नौजवानों की समस्याओं से न तो कोई मतलब है न ही यहां के लोगो की समस्याओं का समाधान है।
आखिर क्या है राजनीतिक दलों की स्थिति
राजनीतिकदलों की स्थिति यह है कि जिला अध्यक्ष , जन प्रतिनिधि या संगठन प्रमुखों की
नकेल लखनऊ , दिल्ली में है ।यहां किसी को कोई भी निर्णय करने का अधिकार नही है । जिला प्रशासन लखनऊ से गवर्न होता है ।
लोकतंत्र में कौन बड़ा , लोक बड़ा कि तंत्र
गोपाल चुनाहे की कही पंक्तियां 49 साल बाद भी याद आ रही है _ लोकतंत्र में कौन बड़ा है , लोक बड़ा के तंत्र बड़ा है , प्रश्न , खड़ा है ,प्रश्न खड़ा है ? ‘
इस बार इंडिया और एनडीए गठबंधन के बीच मुकाबला होने जा रहा है । मतदाता तपती दोपहरी में 1 जून को मतदेय स्थलों पर लाइन में वोट डालने जायेंगे ।
आखिर क्या है विडम्बना ?
राजनीतिक लोकतंत्र में परिवार बाद अलग अलग रूपों में पांव पसार चुका है । अपने ही परिवार के गिने चुने लोगो को राजनीतिक दल टिकट देने में संकोच नहीं करते ।’ माई , धिया गवनहर , बाप पूत बजनिहा’ ।
राजनीतिक दलों का , राजनीतिक दलों के लिए , राजनीतिक दलों के द्वारा संचालित राजनीतिक तंत्र में भारत के 98 करोड़ मतदाता मोहरों की तरह है ।दुर्भाग्य है डेढ़ अरब आबादी वाले भारत में एक आदमी दो -दो जगह से चुनाव लड़ता है । जीतने पर एक स्थान से इस्तीफा देगा फिर वहां उपचुनाव होगा । धन और श्रम व्यर्थ हो जाएगा।यह काम सभी दल कर रहे है या कर चुके हैं ।
आइए और महामंगलेश्वर पर्वत से हमें निहारिए । प्रकृति की अनुपम छटा नजर आएगी । इसीलिए करता हूं सोनभद्र मेरी ऋषि भूमि है । इसे कभी द्वितीय काशी तो कभी गुप्त काशी कहा गया है । मेरे प्राकृतिक सौंदर्य , नदी जंगल , झरनों वनस्पतियों , खनिज स्म्पदाओ और पहाड़ों ने ऋषि मुनियों को अपनी ओर आकर्षित किया , परिणाम स्वरूप उन्होंने इस स्थल को तपस्या
और साधना का केंद्र बनाया ।
सोनभद्र की मेरी इसी कोख से एक से बढ़कर एक लाल मेरा नाम रौशन कर रहे है ।
दुद्धी तहसील के असनी गांव में जन्में पंडित राम गुलाम द्विवेदी , इसी तहसील के पद्मश्री मोहम्मद हनीफ शास्त्री आदि से मेरी प्रतिष्ठा बढ़ी ।
अब मुझे बाहुबलियों , माफियाओं से हमारे मतदाता बचाए ।
एक जून को पहले मतदान बाद में जलपान करे । मतदान करने के लिए कोई भी एक मान्य पहचान आई डी प्रूफ लेकर जाय और सही जनप्रतिनिधि को चुनने हेतु अपने मताधिकार का प्रयोग करें।