सलील पांडेय
- 9 जून ’24 समय 7:15 सायं तदनुसार धनु लग्न दिस्य भाव में।
- लग्न से चतुर्थ राहु।
- लग्नेश से 6ठें भाव मेंनक्षत्र : पुनर्वसु
लग्नेश धनु का स्वामी वृहस्पति
- ★फलादेश : ‘दिस्य भाव’ में किए गए कार्य में स्थिरता की कमी।
- ★लग्न से चतुर्थ राहु से सुख में कमी
- ★लग्नेश से 6ठें भाव के कारण शत्रुवृद्धि।
- ★धनु का स्वामी वृहस्पति के कारण बुद्धिमत्ता से कार्य किया जाए तो अवरोधों एवं अशुभ प्रभावों पर नियंत्रण होता है।
- ★किस तरह सरकार सफल हो : इसके लिए गुरु वृहस्पति को अनुकूल किया जाना आवश्यक।
- ★अपने से अधिक उम्र के लोगों को सम्मान देने से गुरु वृहस्पति अत्यंत प्रसन्न होते हैं और प्रतिकूल दिन अनुकूल होने लगते हैं।
- ★इसके लिए वाणी पर नियंत्रण आवश्यक होता है। मनसा-वाचा-कर्मणा तालमेल रखना चाहिए। कहना कुछ और करना कुछ का त्याग कर देना चाहिए।
- ★राजा बलि ने वामन दैत्य गुरु शुक्र के द्वारा वामन बने विष्णु को अपमानित करने के बजाय उन्हें आदर दिया। जिसके चलते विष्णु प्रसन्न हुए और ‘बलि के दान’ की महिमा आज तक मांगलिक कार्यक्रमों में प्रयुक्त होता है। बलिदान शब्द वहीं से प्रयोग में शुरू हुआ।
- ★गुरु वृहस्पति को अनुकूल करने के लिए पूर्वजों की कमी निकालने की जगह उनके योगदान की चर्चा करनी चाहिए।