P.M जी जरा सही-सही :मन की बात’ कहिए कि हम क्या करें?
रामयश चौबे की रिर्पोट
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
जे पी नड्डा का बयान कि RSS की अब कोई जरूरत नही जब थी तब थी
चकिया‚चंदौली। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के बाद हार का ठीकरा सनातनियों पर फोडना प्रारम्भ कर दिया है जिसका सीधा असर देखने को मिल रहा है वही कहा जाय कि आखिर अपने आप को रोल माडल कहने वाले प्रधान मंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी आखिरकार अपने को गाड फादर समझने की भूल कर बैठे। जिसका परिणाम स्पष्ठ दिखाई दिया। वही कहा जाय तो आखिर क्या वजह थी कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने यहा तक कहा कि अब आर एस एस की कोई जरूरत नही है। जब थी तब थी।
हार के मुख्य वजह की बात करें तो देखे क्या थी मुख्य वजह-
देखा जाय तो हार की वजह तो कुछ और ही थी जिसमें –
- रोडवेज का किराया राजस्थान से यूपी का लगभग 2 गुना।
- महंगाई, भ्रष्टाचार।
- अहंकार।
- एट्रोसिटी एक्ट सुप्रीम कोर्ट के न्याय का गला घोटना।
- घटिया निर्लज्ज अहंकारी बिना वजूद के लोगों को टिकट देना।
- पुराने नेताओं को जिन्होंने भाजपा को मजबूत किया था टिकट काटना।
- उनका अपमान करना।
- टोल टैक्स।
- मुस्लिम महिलाओं की वोट मिल रही है इस धोखे में रहनाा।
- ब्राह्मणों की उपेक्षा करना।
- पुलिसिया तंत्र का जनता पर हावी होना प्रताड़ित करना।
- कानून व्यवस्था के नाम पर इच्छा अनुरूप बुल्डोजर चलवाना आदि मुख्य कारण है।
- सड़क पर चालान रेट आसमान पर पहुंचाना।
- टैक्स के नाम पर डकैत बन जाना व्यापारियों को लूटना।
सनातनी केवल चुनाव केलिए होते है ? बाकी जीत कार्यकर्ता की नही बल्कि राजनीति के चाणक्यों की क्यो ?
हम सनातनी केवल चुनाव केलिए होते है बाकी जीत कार्यकर्ता की नही चाणक्य जी दिलवाते है मीडिया कई मुद्दों पर प्रश्न किया तो साफ बोल देते है वह तो जुमला था । इससे लगता है कि जनता को मूर्ख समझते है। भाजपा पार्टी के सांसद चुनाव के बाद किसी भी जनमानस अगर उनके पास कोई व्यक्ति आया है तो 1 कप चाय भी नही पीला पाते, बिना मुहूर्त के शंकराचार्य जी के व्यक्तव्य को ठुकराते हुए अहंकार बस अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करना। प्रश्न करने वालों को इनके चमचे देशद्रोही गद्दार कहना। यह कारण है हारने के हम सनातनी करे तो करे क्या करें ?
जब लगा सच में आप बायोलॉजिकल नहीं बल्कि ऊपर वाले द्वारा भेजे गए फरिश्ते हैं
हुजूर, आपके कही सुनी बातों को सनातनी उद्घोष मानकर हमने अपने जिगरी दोस्त जुम्मन भाई के यहां जुमा-जुमा बिरियानी के रसास्वादन पर बुलडोजर चला दिया था और तौबा-तौबा कर लिया था लेकिन जब आपने दुश्मन के घर जाकर चरण-रज माथे लगाया और बिरयानी हलक के नीचे उतार लिया तब हमें यही हुआ कि आप सच में बायोलॉजिकल नहीं बल्कि ऊपर वाले द्वारा भेजे गए फरिश्ते हैं।
….जब कहा कि यदि ऐसा नहीं होगा तो फिर पूरी इंडिया, नहीं-नहीं भारत पर आफत आ जाएगी
क्योंकि दुश्मन के घर तो पानी पीना खतरे से खाली नहीं लेकिन हमने सोचा कि आपका इम्यून सिस्टम तो विश्व भर में तहलका मचा रहा है, सो आपका नाम जपकर मैंने भी हिम्मत जुटाई कि आपके रहते कौन बाल बांका कर सकता है? यही सोचकर अगले जुमे का इंतजार कर रहा था कि पाकिस्तान के पीएम नवाज़ शरीफ की माता जी का चरण स्पर्श कर लौटते ही फिर आपने डकार लिया और कहा कि पाकिस्तान हमारा जन्मजात दुश्मन है और इंडिया में रहने वाले उसके चेलों को यहां से भगाना है। आपने चेताया कि यदि ऐसा नहीं होगा तो फिर पूरी इंडिया, नहीं-नहीं भारत पर आफत आ जाएगी। गलती से ‘इंडिया’ निकल गया है, इसके लिए माफी चाहता हूँ क्योंकि इन दिनों ‘इंडिया’ शब्द से आप परहेज कर रहे हैं, सो आपके पद-चिह्नों पर चलते हुए हम भी इस शब्द को तोड़मरोड़ कर ‘इंडी’ ही बोलने लगे है।
अभी तो हम सनातनीयों ने चेताया है……………………………..
अभी तो हम सनातनीयों ने चेताया है अगर अपने दिमाग से अहंकार नही निकालेंगे तो पूरे देश से ऐसे गायब हो जायेंगे जैसे गधे के सिर से सींग।
आखिर नोटा को वोट में बदलने का क्यों नही किया गया कार्य ?
हर तरफ लोग नोटा नोटा चिल्ला रहे थे। जो पांच हजार से बीस हजार से ज्यादातर वोट हर सीट पर नोटा को मिला। अमितशाह जी जिनकी पहुंच 1 सीट पर सीमित है ऐसी पार्टियों से गठबंधन करते रहे। इन्हे 6 साल से नोटा क्रांतिकारियों की क्या समस्या है बात करने का समय नहीं मिला। नही तो यदि नोटा समर्थकों से बात किए होते तो जो सीटेंआज दस से पन्द्रह हजार वोटों से हारे है वह जीत में बदल गई होती। अगर देखा जाय तो ऐसी सीटों की संख्या सौ के आस पास है ।
बेरोजगारों ने ले डूबा‚आखिर वे बेचारे करते तो क्या करतें ?
सीटों का घटना अहंकार वस प्रताड़ित व्यक्तियों की उपेक्षा है।इसका खामियाजा तो भुगतना ही था अब भुगतो।हर तरफ रोजगार की मारा मारी लगी हुई हैं बेरोजगारो कि कभी बात ही नही हुई। सवाल पूछने पर लाठीचार्ज करवाते हो उसका परिणाम कौन भुगतेगा ? और ये अंधभक्त दल्ले हैं जो हम सनातन धर्मियों को ही बेवजह लांछन लगा रहे है। कभी अपने गिरेबान मे झांककर देखे भी हैं क्या विकास के नाम पर लुटबाजारी चरम सीमा पर पहुंच गई। अब अपनी करनी की ठिकरा किसी और पर फोडने से अच्छा हैं विकास पर ध्यान दो वर्ना तुम्हारा विनाश तय हैं। अभी तो EVM प्रभु कि प्रभुत्व में चल रहे हैं आप लोग आगे कौन सी माया कि छत्र छाया में रहेंगे।
तब आपका पक्का सनातनी स्वरूप बड़ा सुहावना लगता है जब…..
आपका पक्का सनातनी स्वरूप बड़ा सुहावना लगता है। लेकिन जब कभी मजार पर गोल टोपी लगाकर आरजू-मिन्नत वाला फोटो दिखाई पड़ता है तो आंख फाड़कर देखते हैं कि वही आप हैं या दूसरे आप हैं जो हम सब चेताते हैं कि ‘सम्हल जाओ, वरना राम मंदिर फिर ध्वस्त हो सकता है और टनों वजन का बनारसी ताला लग सकता है।’ और भी खतरों से अवगत कराते रहते हैं। सो, आपके प्रति दिली दीवानगी के चलते हमारा कान खड़ा हो जाता है।
लेकिन हुजूर, जब तीसरी बार गुणा-भाग में किसी ‘बाबू’ के चार परसेन्ट ‘दुश्मन-आरक्षण’ की रट पर आप मौनी बाबा हो जाते हैं तब हमारी बुद्धि काम नहीं करती। जरा सही-सही :मन की बात’ कहिए कि हम क्या करें? जुम्मन भाई की बिरयानी का लुफ्त लेंǃ