Khabari Post National News Network Chakia Chandauli. Varanasi News | Chandauli News | Uttar Pradesh | Bollywood | Films | Celebrity | TV Serials | Entertainment | Web Series | Latest Web Series and more
◆देखते-देखते उनकी अर्धांगिनी शक्ति का हरण कर लिया इसी क्रूर काल ने
सलिल पाण्डेय
चटपट दुनियां छोड़ देवलोक चली गईं स्थायी विश्राम के लिए
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
मिर्जापुर। डॉ विश्राम एक ऐसा नाम जिसके सुनते ही सुकून और अपनत्व की तरंगें उन्हें जानने वाले हर शख्स के मन में उठने लगती है। किसी ने अपनी दुःखभरी दास्तां सुनाई तो ऐसा कभी होते नहीं लोगों ने सुना कि दुःखभरी कहानी का समाधान और निराकरण डॉ विश्राम नहीं करते रहे हों।
उप जिलाधिकारी रह चुके डॉ विश्राम इन दिनों विंध्याचल मंडल के अपर आयुक्त के पद पर
मिर्जापुर जिले के सभी तहसीलों में उप जिलाधिकारी रह चुके डॉ विश्राम इन दिनों विंध्याचल मंडल के अपर आयुक्त के पद पर हैं। लगभग तीन वर्ष पूर्व वे सोनभद्र में भी सेवारत रहे हैं। इन्हीं जिलों में नहीं जिस भी जिले में ये तैनात रहे, वहां उनकी मधुर शैली की मिठास से लोग-बाग भरपूर तृप्त होते रहें हैं।
जनता-जनार्दन के दुःख को अपना दुःख समझने वाले डॉ विश्राम केजीवन में दुःखों का बना एक बड़ा पर्वत
प्रशासनिक सेवा में आमजन के दुःख को अपना मानने वाले विरले ही मिलते हैं लेकिन डॉ विश्राम त्रेतायुग के मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के दूत श्री हनुमान जी के ‘राम काज कीन्हें बिनु मोहिं कहाँ बिश्राम’ के कथन में आए ‘विश्राम’ शब्द को अपना नाम सार्थक करने में इसलिए भी उद्यत देखे जाते रहे क्योंकि धर्मशास्त्र जनता को ही वास्तविक जनार्दन मानता है। जनता-जनार्दन के दुःख को अपना दुःख समझने वाले डॉ विश्राम के वैयक्तिक जीवन में दुःखों का एक बड़ा पर्वत बन गया। माता सती के प्राण-त्याग के बाद देवों के देव महादेव पर्वतों में श्रेष्ठ कामाख्या पीठ पर जा विराजे, कुछ उसी तरह जन-जन के दुःखों के पर्वत पर महाकाल ने डॉ विश्राम को पदारूढ़ कर दिया तथा 10 जून को महादेव के दिन सोमवार को साधारण नहीं बल्कि महादुःख दे दिया। अचानक यमदूत धोखे से डॉ विश्राम के घोड़े शहीद स्थित सरकारी आवास में घुसे तथा उनकी पत्नी को सदा-सदा के लिए उनसे विलग कर चल दिए।
यमदूत चटपट उनकी पत्नी की जिंदगी का अपहरण करने में हो गए सफल
यमदूतों को पता था कि साधारण से साधारण के प्रिय डॉ विश्राम घर पर नहीं हैं : विधि की सत्ता तो सर्वोपरि है। यमदूतों को पता था कि डॉ विश्राम ब्रह्मांड की राजधानी मां विन्ध्यवासिनी की नगरी में नहीं हैं, वे प्रदेश की संवैधानिक राजधानी लखनऊ में हैं। क्रूर काल को एहसास था कि डॉ विश्राम अपनी अर्धांगिनी के साथ रहेंगे तो यमदूतों की हिम्मत नहीं पड़ेगी कि वे कुछ कर पाएंगे तथा डॉ विश्राम के पास निवेशित जन-जन की शुभकामनाओं की शक्ति के आगे कुछ भी नहीं किया जा सकता लिहाज़ा यमदूत चटपट उनकी पत्नी की जिंदगी का अपहरण करने में सफल हो गए। उनकी पत्नी को सांस लेने में दिक्कत हुई। मंडलीय अस्पताल ले जाया गया लेकिन एक बार फिर मंडलीय अस्पताल प्राण बचाने का अस्पताल नहीं साबित हो सका।
जैसे ही आखिरी सांस लेने की खबर आई नागरिकों के मुंह से ‘ए क्या हो गया, कैसे हो गया?’ शब्द और वाक्य निकलने लगे
डॉ विश्राम की पत्नी सरकारी अस्प्ताल में आखिरी सांस लेने की खबर द्रुत गति से चारों ओर फैल गई। प्रशासन से लेकर आम नागरिकों के मुंह से ‘ए क्या हो गया, कैसे हो गया?’ शब्द और वाक्य निकलने लगे। मंडलीय अस्पताल में ऑक्सीजन प्राब्लम के केस ज़्यादा बिगड़ जा रहे हैं, यह गंभीर चिंता की बात करते लोगों को सुना गया जबकि कोरोना काल में नेचुरल ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की थी।
बहरहाल लखनऊ से रात 12:30 पर आए डॉ विश्राम पत्नी का पार्थिव शरीर लेकर अपने गृहगांव हंडिया (प्रयागराज) ले गए। उस समय अस्प्ताल पर डीएम प्रियंका निरंजन तथा ADM शिव प्रसाद शुक्ल सहित भारी संख्या में जुटे प्रशासनिक तथा आम नागरिक शोक, चिंता और अवसाद की स्थिति में थे। कष्ट की स्थिति यह है कि डॉ विश्राम का 9 वर्ष का बेटा और 17 वर्ष की बेटी मातृ-छाया से वंचित हो गईं। इस उम्र के बच्चों की पीड़ा फिलहाल अकथनीय है।