किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 का मुख्य उद्देश्य विधि से संघर्षरत बच्चों तथा देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की बाल मैत्री प्रक्रिया के तहत उनके सर्वोतम हित को
ध्यान में रखते हुए उनकी समुचित देखरेख, पुनर्वास, संरक्षण, उपचार एवं विकास सुनिश्चित करना हैं ।
अवधेश द्विवेदी
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चकिया/चंदोली । बुधवार को मानव संसाधन एवं महिला विकास संस्थान व विशेष किशोर पुलिस इकाई के संयुक्त तत्वावधान में जनपद चन्दौली के पुलिस लाइन सभागार में बाल संरक्षण मुद्दे व संबंधित कानूनों विशेषकर किशोर न्याय अधिनियम व POCSO अधिनिर्णय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
यूनिसेफ के मंडल सलाहकार ने PPT के माध्यम से दी जानकारी
कार्यशाला का शुभारंभ चन्दौली सदर के क्षेत्राधिकारी राजेश कुमार राय के द्वारा किया गया और कार्यशाला मे उपस्थित सभी प्रतिभागियों का परिचय हुआ। इसके बाद यूनिसेफ के मंडल सलाहकार अनिल कुमार यादव के द्वारा किशोर न्याय ( देख -रेख एवं संरक्षण ) अधिनियम 2015 , और POCSO अधिनियम 2012 के बारे में विस्तृत रूप से PPT के माध्यम से बताया कि आज के समय मे बच्चों के ऊपर अपराध हो रहे हो या बच्चों के द्वारा किया जा रहा अपराध में हमे क्या क्या करना चाहिये इसको ध्यान में रखना अति आवश्यक है।
जेजे एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत अभियोग में एसबीआई रिपोर्ट समय से किशोर न्यायालय में करें रिर्पोट पेश
क्योंकि बच्चों के मामले में हम सभी बाल कल्याण पुलिस अधिकारी व बच्चों से संबंधित सभी अधिकारीगण को संवेदनशील होना पड़ेगा। जेजे एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत अभियोग में बाल आचार्य का एसबीआई रिपोर्ट समय से किशोर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए जिससे बाल एबचारियों के मामले में सुधार एवं न्याय दिलाया जा सके।
चाइल्ड फ्रेंडली विलेज बनाने के लिए किया जा रहा पहल
बाल श्रम, बाल तस्करी, बाल एवं यौन शोषण से संबंधित मामले को ग्राउंड लेवल पर काम हो सके सस्था के निदेशक भानूजा शरण लाल द्वारा बताया गया कि संस्था पिछले आठ दस वर्षो से बच्चों के शिक्षा संरक्षण के संबंध में कार्य कर रही है संस्था के द्वारा ग्राम स्तर पर चाइल्ड फ्रेंडली विलेज बनाने के लिए पहल किया जा रहा है। जिससे की बच्चों की सुरक्षा किया जा सके।
POCSO अधिनियम:
- परिचय:
- POCSO अधिनियम 14 नवंबर, 2012 को लागू हुआ, जो भारत के अनुसमर्थन के परिणामस्वरूप अधिनियमित किया गया था।
- इस विशेष कानून का उद्देश्य बच्चों के यौन शोषण और यौन उत्पीड़न के अपराधों को संबोधित करना है, जिन्हें या तो विशेष रूप से परिभाषित नहीं किया गया या पर्याप्त रूप से दंड का प्रावधान नहीं किया गया है।
- यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को बच्चे के रूप में परिभाषित करता है। अधिनियम अपराध की गंभीरता के अनुसार सज़ा का प्रावधान करता है।
- बच्चों के साथ होने वाले ऐसे अपराधों को रोकने के उद्देश्य से बच्चों के यौन शोषण के मामलों में मृत्युदंड सहित अधिक कठोर दंड का प्रावधान करने की दिशा में वर्ष 2019 में अधिनियम की समीक्षा तथा इसमें संशोधन किया गया।
- भारत सरकार ने POCSO नियम, 2020 को भी अधिसूचित कर दिया है।
कार्यशाला में इनकी भी रही मौजूदगी
इस कार्यशाला मे बाल कल्याण समिति के पदाधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई से किशन वर्मा (संरक्षण अधिकारी) मौजूद रहे, राम जी धुसिया, चाइल्ड लाइन से इंद्रजीत सिंह, शहनाज बानो, गणेश प्रसाद विश्वकर्मा, रीता मौर्य, गुलाब, जितेंद्र, अशोक, शिवम, मुकेश कुमार इत्यादि लोग उपस्थित रहे।