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नई दिल्ली। हर साल दिवाली के दो दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. भाई दूज के दिन सभी बहनें अपने भाइयों को टीका करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि 2024 में भाई दूज की वास्तविक तारीख क्या है।

पांच दिन के दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस के साथ होती है. इस बार दीपावली का पर्व 5 दिन का नहीं, बल्कि 6 दिन का रहेगा. इसकी वजह है कार्तिक अमावस्या का दो दिन पड़ना, जिस कारण दिवाली एक नहीं, बल्कि दो दिन मनाई गई. इस दीपोत्सव पर्व का समापन भैया दूज यानी भाई दूज पर होता है. भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस दिन व्यापारी वर्ग के लोग चित्रगुप्त पूजा भी करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज तका पर्व यमराज और उनकी बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है.

2 या 3 नवंबर, भाई दूज कब है? (Bhai dooj kab hai 2024)

हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज मनाया जाता है. यम द्वितीया स्नेह, सौहार्द व प्रीति का प्रतीक है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 2 नवंबर 2024 की रात 8:21 पर शुरू हो जागी और इसका समापन 3 नवंबर 2024 को रात 10:05 पर होगा।

  • ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, साल 2024 में भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर को ही मनाया जाएगा.

भैया दूज का शुभ मुहूर्त कब है? (Bhai dooj 2024 muhurat)

भाई दूज पूजा का शुभ मुहूर्त (Bhai dooj puja time) – भाई दूज पूजा का समय 3 नवंबर सुबह 11 बजकर 45 मिनट से लेकर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.

भाई दूज तिलक लगाने का मुहूर्त (Bhai dooj tilak muhurat)

भाई दूज पर तिलक लगाने का समय 3 नवंबर की दोपहर 1:10 मिनट से दोपहर 3:22 मिनट तक है. ऐसे में 3 नवंबर को भाई को तिलक करने के लिए 2 घंटे और 12 मिनट का शुभ मुहूर्त मिल रहा है.

भाई दूज क्यों मनाते हैं? (Bhai dooj kyu manate hai)

पौराणिक मान्यता है कि अगर बहनें भाई दूज के दिन शुभ मुहूर्त में भाइयों को तिलक करती हैं, तो भाइयों की उम्र लंबी होती है और भाई-बहन दोनों के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है. साथ ही भाई-बहन के रिश्ते में मधुरता आती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमराज की बहन यमुना ने अपने भाई को आदर सत्कार के साथ अपने घर आंमत्रित किया था और भोजन कराया था.

यमराज के वरदान अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके, यम की पूजा करेगा, मृत्यु के बाद उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा. यमुना को सूर्य देव की पुत्री माना जाता है. ऐसी मान्यता हैं कि यमुना देवी सभी कष्टों को दूर करती हैं, इसलिए यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करना और यमुना-यमराज की पूजा करना फलदायी माना जाता है.

पूजा शुरू करने से पहले क्यों किया जाता है आचमन? क्या है इसका महत्व, सही विधि, जानें शुभ दिशा और मंत्र

कैसे करते हैं आचमन?

  • आचमन करने के लिए सबसे पहले पूजा स्थान पर पूजा की सभी सामग्री को एकत्रित करें.
  • अब तांबे के एक पात्र में पवित्र गंगा जल भर लें, यदि गंगाजल ना हो तो साफ पानी में कुछ बूंदें गंगाजल के मिला लें.
  • अब इस तांबे के पात्र में छोटी सी आचमनी रखें.
  • इस जल में तुलसी की पत्ती अवश्य डालें.
  • मन ही मन भगवान का ध्यान करते हुए आचमनी से जल लेकर अपनी हथेली पर रखें.
  • मंत्रों का जाप करते हुए इस पवित्र जल को 3 बार ग्रहण करें.
  • आचमन ग्रहण करने के बाद अपने हाथों को माथे और कान पर स्पर्श कराएं.

चित्रगुप्त पूजा कैसे करें कब है इस वार की तिथि (Chitragupta Puja Kaise)

चित्रगुप्त पूजा के लिए प्रातः काल में पूर्व दिशा में एक चौक बनाएं। उस पर चित्रगुप्त भगवान की फोटो की स्थापना करें। उनके सामने एक घी का दीपक जलाकर फूल, रोली, हल्दी, चन्दन और मिष्ठान्न से उनकी विधि विधान पूजा करें। इस दिन पूजा में कलम भी जरूर रखें। फिर सफेद कागज पर हल्दी लगाएं और उसपर “श्री गणेशाय नमः” लिखें। फिर इस कागज के नीचे की तरफ अपना नाम, पता और डेट लिखनी है और दूसरी तरफ आय-व्यय का विवरण देना है। फिर अपना हस्ताक्षर करें। इस कागल को पर कम से कम 11 बार “ॐ चित्रगुप्ताय नमः” लिखें। साथ ही चित्रगुप्त जी से विद्या,बुद्धि और लेखन का वरदान भी मांगें। भगवान को अर्पित की हुई कलम को अपने पास संभालकर रखें और जरूरी कार्यों में इसका प्रयोग करें।

चित्रगुप्त पूजा 2024 तिथि व मुहूर्त (Chitragupta Puja 2024 Date And Time)

चित्रगुप्त पूजा का त्योहार इस साल 3 नवंबर 2024, रविवार को मनाया जाएगा। चित्रगुप्त पूजा अपराह्न मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। द्वितीया तिथि का प्रारम्भ 2 नवम्बर 2024 को रात 8:21 पर होगा और इसकी समाप्ति 3 नवंबर 2024 को रात 10:05 पर होगी।

चित्रगुप्त पूजा कैसे करें (Chitragupta Puja Kaise Karen)

चित्रगुप्त पूजा के लिए प्रातः काल में पूर्व दिशा में एक चौक बनाएं। उस पर चित्रगुप्त भगवान की फोटो की स्थापना करें। उनके सामने एक घी का दीपक जलाकर फूल, रोली, हल्दी, चन्दन और मिष्ठान्न से उनकी विधि विधान पूजा करें। इस दिन पूजा में कलम भी जरूर रखें। फिर सफेद कागज पर हल्दी लगाएं और उसपर “श्री गणेशाय नमः” लिखें। फिर इस कागज के नीचे की तरफ अपना नाम, पता और डेट लिखनी है और दूसरी तरफ आय-व्यय का विवरण देना है। फिर अपना हस्ताक्षर करें। इस कागल को पर कम से कम 11 बार “ॐ चित्रगुप्ताय नमः” लिखें। साथ ही चित्रगुप्त जी से विद्या,बुद्धि और लेखन का वरदान भी मांगें। भगवान को अर्पित की हुई कलम को अपने पास संभालकर रखें और जरूरी कार्यों में इसका प्रयोग करें।

चित्रगुप्त पूजा कैसे करें (Chitragupta Puja Kaise Karen)

चित्रगुप्त पूजा के लिए प्रातः काल में पूर्व दिशा में एक चौक बनाएं। उस पर चित्रगुप्त भगवान की फोटो की स्थापना करें। उनके सामने एक घी का दीपक जलाकर फूल, रोली, हल्दी, चन्दन और मिष्ठान्न से उनकी विधि विधान पूजा करें। इस दिन पूजा में कलम भी जरूर रखें। फिर सफेद कागज पर हल्दी लगाएं और उसपर “श्री गणेशाय नमः” लिखें। फिर इस कागज के नीचे की तरफ अपना नाम, पता और डेट लिखनी है और दूसरी तरफ आय-व्यय का विवरण देना है। फिर अपना हस्ताक्षर करें। इस कागल को पर कम से कम 11 बार “ॐ चित्रगुप्ताय नमः” लिखें। साथ ही चित्रगुप्त जी से विद्या,बुद्धि और लेखन का वरदान भी मांगें। भगवान को अर्पित की हुई कलम को अपने पास संभालकर रखें और जरूरी कार्यों में इसका प्रयोग करें।

चित्रगुप्त पूजा 2024 3 नवंबर 2024,रविवार को शुभ मुहूर्त (Chitragupt Puja)

– सुबह 11:48 से दोपहर 12:32 तक
– दोपहर 01:10 से 03:22 तक
– शाम 05:43 से 07:20 तक
– शाम 07:20 से 08:57 तक

इस विधि से करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा (Chitragupt Puja Vidhi)

– 3 नवंबर, रविवार को की सुबह स्नान आदि करने के बाद पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त में भगवान चित्रगुप्त की पूजा शुरू करें।
– घर में किसी स्थान पर साफ-सफाई करें। लकड़ी के पटिए पर लाल कपड़ा बिछाकर इस पर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
– भगवान चित्रगुप्त को तिलक लगाएं-हार-फूल चढ़ाएं। दीपक लगाएं। इसके बाद एक-एक करके अन्य पूजन सामग्री भी चढ़ाएं।
– लिखने के काम वाली चीजें जैसे पेन की भी पूजा करें। सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखें।
– पूजा के बाद आरती करें। मान्यता है कि इस तरह भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है।

भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती

ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तनसुखदायी ।भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत, पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा, वामअंग साजै ॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभुअंतर्यामी ।सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन, प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥कलम, दवात, शंख, पत्रिका, करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवनमन मोहै ॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला, ब्रम्हाहर्षाये ।कोटि कोटि देवता तुम्हारे, चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥नृप सुदास अरू भीष्म पितामह, यादतुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं, इच्छितफल दीन्हा ॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
दारा, सुत, भगिनी, सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥बन्धु, पिता तुम स्वामी, शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आसकरूँ जिसकी ॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,प्रेम सहित गावैं । चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी, पापपुण्य लिखते ।
‘नानक’ शरण तिहारे, आसन दूजी करते ॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।भक्तजनों के इच्छित,फल को पूर्ण करे

देवताओं को बुलाने वाला मंत्र

आचमन के दौरान इन मंत्रों का जाप करना लाभकारी माना गया है. ‘ॐ केशवाय नम:, ॐ नाराणाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ हृषीकेशाय नम:. इन मंत्र का जाप करते समय अपने दाएं हाथ के अंगूठे से मुख पोछें और ॐ गोविंदाय नमः मंत्र का जाप करते हुए हाथ धो लें

ॐ भूर्भुवः स्वः दीपस्थदेवतायै नमः आवाहयामि सर्वोपचारार्थे गन्धाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि नमस्करोमि

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः‘ इस मंत्र का नियमित तौर पर जाप करें।

पूजा के बाद क्षमा याचना के लिए बोला जाने वाला मंत्र

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव!

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