खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
नौगढ‚चंदौली। पर्यटन स्थल औरवाटांड़ में पाया गया रॉक पेंटिंग भीमबेटका ( मध्य प्रदेश स्थित युनेस्को विश्व विरासत स्थल )की याद दिला रहा है।वहीं प्राकृतिक चट्टानों पर किया गया चित्रण धार्मिक संकेतों को इंगित कर रही हैं।
उक्त विचार उपजिलाधिकारी कुंदन राज कपूर ने सोमवार को नवनिर्मित औरवाटांड़ जल प्रपात का भ्रमण कार्यक्रम के दौरान ब्यक्त किया। उन्होने कहा कि भारत में पहाड़ी गुफाओं का संबंध आदि काल से है। यह कभी ऋषि-मुनियों के लिए यज्ञ स्थली रहे तो कभी राजाओं और सुल्तानों की सेना के लिए एक पड़ाव। गुफाओं के अंदर चित्रित की गई उत्कृष्ट चित्रण व शिल्पकारी हमें भारत के इतिहास से संपर्क साधने का मौका देती हैं। इन गुफाओं का रहस्यमयी होना हमेशा से शोधकर्ताओं के लिए एक शोध का विषय रहा है। आज भी लोग इन गुफाओं के बारे में जानने के लिए लालायित रहते हैं। ऐसी ही एक जगह है भीमबेटका जो अपने गुफाओं के लिए विश्वविख्यात है।
मध्यप्रदेश के भोपाल से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भीमबेटका में आज सैकड़ों अद्भुत गुफाएं हैं, जो आदि-मानव द्वारा बनाए गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए के लिए प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि इनका संबंध ‘मध्य पाषाण’ काल से है। वही उन नजारों को यहाँ औरवाटांड़ देख एक अद्भुत नजारों से रूबरू हुआ।
भावी पीढ़ी को पेंटिंग से मानव विकास के संभावित आरंभिक स्थल को जानने का मिलेगा अवसर
उपजिलाधिकारी ने कहा कि भावी पीढ़ी को पेंटिंग से मानव विकास के संभावित आरंभिक स्थल को जानने का अवसर मिलेगा।
बताया कि सभी चित्र पुरापाषाणकाल से मध्य पाषाण काल के समीप का प्रतीत हो रहा है। उन्होने कहा कि जहाँ केवल मध्यप्रदेश के भोपाल से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भीमबेटका में आज सैकड़ों अद्भुत गुफाएं हैं, जो आदि-मानव द्वारा बनाए गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए के लिए प्रसिद्ध हैं।
भीमबेटका का संबंध महाभारत के भीम से माना गया
कहा जाता है कि इनका संबंध ‘मध्य पाषाण’ काल से है। यहां की दीवार, लघुस्तूप, भवन, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार कालीन मंदिर हजारों साल पुराने हैं। भीमबेटका का संबंध महाभारत के भीम से माना गया है। यहां की अधिकतर गुफाएं पांडव पुत्र भीम से संबंधित हैं। भीमबेटका का उल्लेख पहली बार भारतीय पुरातात्विक रिकॉर्ड में 1888 में बुद्धिस्ट साइट के तौर पर आया है। गौरवशाली इतिहास होने की वजह से भीमबेटका गुफाओं को 2003 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी गई।
औरवाटांड़ झरना अपनी प्राकृतिक भब्यताओ के साथ ही लोककथाओं व कहानियों से हो सकता है जुडा
जो उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिन्ह हैं।जंगलों में स्वछंद विचरण करने वाले हिंसक व अहिंसक जीव जंतुओं में बाघ जंगली सुकर कुत्ता कछुआ ईत्यादि का चित्रण किए जाने के साथ ही नृत्य संगीत आखेट घोड़ो व हाथियों की सवारी को भी दर्शाया गया है।बताया कि स्वदेशी संस्कृतियों में झरने सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्व से भरे पड़े हैं। जिसमें औरवाटांड़ झरना अपनी प्राकृतिक भब्यताओ के साथ ही लोककथाओं व कहानियों से जूड़ा हो सकता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता इन्द्रियों को मंत्रमुग्ध कर देती है। सूक्ष्म वातावरण में विविध वनस्पतियों व जीवों को उत्पन्न होने का अवसर मिलता है। पारिस्थितिकी तंत्र के पोषण में गिरते हुए झरने के पानी का अहम योगदान है।