
त्रिनाथ पांडेय की रिर्पोट
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चकिया‚चन्दौली। वाह क्या ही जमाना आ गया है । सही काम हो रहा हो तो तीन बार कैंसिल और गलत काम हो जाय तो यह तो सभी के सामने ही तो हुआ है। और अगर प्रार्थना पत्र दिया जाय तो एक के बाद के बाद दूसरा ‚दूसरे के बाद तीसरा और अनगिनत कोई काहे का फर्कǃ आप प्रार्थना पत्र देते रहो। कहने को तो योगी जी के सरकार में करप्सन पर पूरी तरह से वैन है। लेकिन लगता है कि पूरी तरह से वैन नही बल्कि पूरी तरह से मोहकमा कही न कही से लिप्त ही है। हाँ यह दीगर बात हो सकती है कि ʺराजा को पता नही मुसहर बन वाट लिए‘‘ वाली कहावत चरितार्थ हो रही हो। जी हाँ हम बात कर रहे है पुरानाडीह ग्राम सभा के कोटे के आवंटन की।
जानिए पूरी दास्तान पुरानाडीह ग्राम सभा के कोटे के आवंटन की
पुरानाडीह कोटे का आवंटन की बैठक सर्व प्रथम 21 अक्टूबर सन् 2024 को पुरानाडीह में कराई गई थी जिसमें घाल मेल को देखते हुए भगदड की स्थिति हो गई और मजबूरन बैठक को निरस्त करना पडा। दूसरी बार बैठक 12 नवम्बर सन् 2024 ई को कुण्डा हेमैया पंचायत भवन में हुई जिसका मामला कुछ यू था कि एक पक्ष की महिलाओं को लाईन से बेलाइन कर भगा दिया गया और गिनती पूरी नही हो पाई। जिसके कारण उसे भी निरस्त कर दिया गया। इसके बाद तीसरी बैठक 03 जनवरी सन् 2025 को पंचायत भवन कुंडा हेमैया में आयोजित हुई जिसमें तो प्रशासन ने जैसे ठान ही लिया था कि अबकी बार का कोटे का आवंटन किये बिना नही रहेंगे। और भारी पुलिस फोर्स ‚ प्रशासन की देख देख में दोनों पक्षों के लोगो को लाईन में खडा करा कर उनकी पात्रता की जांच की गई। जिसमें एक पक्ष की एक न सुनी गई। आखिरकार प्रशासन ने कोटे का आवंटन के लिए ओमप्रकाश का चयन कर ही लिया।
किस प्रकार से एक के बाद एक घटे घटनाक्रम……….
आखिरकार जिस पक्ष को अयोग्य घाेषित किया गया उस पक्ष की महिलाओं ने काफी हो हल्ला मचाया पर उनकी एक न सुनी गई। थक हार कर दूसरे पक्ष ने प्रार्थना पत्र उपजिलाधिकारी को दिनांक 07 जनवरी सन् 2025 को दिया ‚ जिसमें दूसरे ग्राम सभा के अन्त्योदयकार्ड व फर्जी आधार कार्ड लगाने का जिक्र किया गया। जिस पर भी कार्यवाही नही किये जाने के बाद पुनः प्रार्थन पत्र नोटरी हलफनामा के साथ दिनांक 23 जनवरी सन् 2025 को उपजिलाधिकारी को ही दिया गया जिसमें जिस वाहन से फर्जी मतदाता बनाकर लाये गये थे उसके ड्राइवर /गाडी मालिक ने उनके विषय में यह बहलफ बयान किया कि उसे बिहार से मतदाताओं को लाने के लिए कहा गया था जिन्हे वह बिहार राज्य के भभुआ जिले से 5 किलोमीटर अंदर से अपने वाहन से 15 -20 की संख्या में लेकर अर्धरात्रि आया और उन्हे छोडकर चला गया।जिन्हे भी खुली बैठक में लाइन में खडा कर गिनती कर दी गई और कोटे का आवंटन कर दिया गया। लाख सर पीटने के बाद भी दूसरे पक्ष की एक न सुनी गई। जब कही भी सुनवाई नही हुई तो सम्पूर्ण समाधान दिवस दिनांक 15 फरवरी को पुनः इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया गया।
खंड विकास अधिकारी ने आखिर क्यों दिया क्लिनचिट
आखिरकार खंड विकास अधिकारी चकिया को जांच के लिए दिया गया और उन्होने अपनी आख्या में तो जैसे क्लिन चिट ही दे दी और आख्या भी दे दिया कि जो प्रार्थना पत्र में जिक्र किया गया है कि अन्त्योदय कार्ड मुजफ्फरपुर का है और जिनका मकान पुरानाडीह में है वे भी खुली बैठक में पुरानाडीह में मतदान कर सकते है जो कही से भी समीचीन प्रतीत नही होता। आखिरकार कार्ड मुजफ्फरपुर ग्रामसभा का और बैठक कोटे के आवंटन के लिए पुरानाडीह ग्राम सभा की वे कैसे भाग ले सकते है। आखिरकार कार्यवाही क्यों नही की जा रही है।
दूसरे पक्ष के विकास यादव ने शिकायती प्रार्थना पत्रों पर कार्यवाही न किये जाने के बाद सी एम पोर्टल के साथ ही साथ आ र टी के तहत भी सूचना के लिए आन लाइन आवेदन किया है। जिसपर रिपोर्ट आनी बाकी है। सब मिलाकर मामले की गम्भीरता को देखते हुए निस्पक्षतापूर्ण जांच की जानी चाहिए जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाय और सभी पक्ष जांच से संटुष्ट रहे।