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धर्म कर्म डेस्क
जीवित्पुत्रिका व्रत : पुत्र के दीर्घायु, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए महिलाएं जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) करती हैं. अश्विन मास (Ashwin maas) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका (Jivitputrika Vrat) व्रत किया जाता है. जीवित्पुत्रिका व्रत को जिउतिया या जितिया व्रत भी कहते हैं. हरितालिका तीज की तरह यह व्रत भी निर्जला रखना पड़ता है. इस बार 18 सितंबर को जितिया व्रत (Jitiya Vrat) पड़ रहा है. जानें इस व्रत की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में।
सनातन धर्म में संतान प्राप्ति और उनकी मंगल कामना के लिए कई तरह के व्रत और पर्व का जिक्र किया गया है। इन्हीं में से एक है जीवित्पुत्रिका या जितिया पर्व। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जितिया व्रत किया जाता है। इस साल ये व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा। हर साल महिलाएं अपनी संतान की सुख समृद्धि और दीर्घायु होने की कामना के साथ ये व्रत रखती हैं। मान्यता है कि जितिया व्रत करने से संतान की लंबी उम्र होती है और उनके जीवन में किसी भी प्रकार की विपदा नहीं आती है। जितिया व्रत के दिन व्रत रखकर संध्याकाल में अच्छी तरह से स्न्नान किया जाता है और पूजा की सारी वस्तुएं लेकर पूजा की जाती है। साथ ही व्रत कथा जरूर पढ़ा जाता है। व्रत कथा के बिना जितिया पूजा अधूरी मानी जाती है।
जीवित्पुत्रिका व्रत शुभ मुहूर्त
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 17 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर होगी और 18 सितंबर दोपहर 4 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार जितिया का व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा और इसका पारण 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा।
जितिया व्रत कथा को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का महत्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि उत्तरा के गर्भ में पल रहे पांडव पुत्र की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्य कर्मों से उसे पुनर्जीवित किया था। तब से महिलाएं आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को निर्जला व्रत रखती हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान श्री कृष्ण व्रती स्त्रियों की संतानों की रक्षा करते हैं।