प्रभात सिंह चन्देल
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
सोनभद्र। शहर के चका चौंध व कल कारखानों की जहर उगलती चिमनियों से कोसों दूर प्रदूषण मुक्त सुदूर अंचल में बसे गांव का स्वच्छ सुन्दर वातावरण निकलने वाले से दूर स्वच्छ वातावरण सुगंधित एवं ताजी जीवन को अनायास ही अपनी ओर खींचती है ग्रामवासियों का परिवार की तरह आपस में मेल जोल व एक साथ रहना तथा एक-दूसरे को यथासंभव सहयोग करने हेतु सदैव तत्पर रहना हमारे ग्रामीण जीवन शैली का हिस्सा है।
ग्राम्य जीवन की सुंदरता में इंद्रधनुषी रंग बिखेरते हमारे उत्सव गीत नृत्य भजन व संगीत साधना व मनोरंजन के अनुपम व अनूठे साधन हैं प्रातः व सायंकाल को लोग चौपाल अथवा किसी प्रांगण आदि पर एकत्र होकर विभिन्न विषयों पर चर्चा परिचर्चा में एक दूसरे का सुख दुःख बांटने के साथ ही लोक नाट्य व गायन की प्रस्तुति से अपना बहलाते थे जो बदलते युग के साथ हमारे समाज से धीरे धीरे विलुप्त होता जा रहा है जरूरत है इसे सहेजने व सँजोने की युग परिवर्तन के इस दौर में हम अपनी लोक परम्परा को छोड़कर आधुनिकता को स्वीकार कर रहे हैं जो हमारे संस्कृति समाज व देश के लिए शुभ संकेत नही है।
गांधी के बताए मार्ग पर चलने के लिए बच्चों को प्रेरित करते हुए प्रकृति, संस्कृति व पर्यावरण की सुरक्षा पर दिया जोर
आज का अग्रणी समाज परम्परागत खान पान, रहन सहन को पिछड़ापन की उपाधि देता हैं। बडी़ बडी बिल्डिग खडी़ करना, अत्याधुनिक सुख-सुविधा युक्त जीवन को ही वह विकास मानता है। जो किसी भी प्रकार से सही नहीं है। उक्त विचार जनपद के ख्यातिलब्ध साहित्यकार, चिन्तक व बनवासी सेवा आश्रम के अध्यक्ष पंडित अजयशेखर ने जीवनशाला मनबसा विद्यालय म्योरपुर में बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा। साथ ही साथ श्री शेखर ने कहा की हमारा देश संबन्धों रिश्तों का देश है, गांव में किसी जाति धर्म का हो हम सब रिश्तों में बंधे है आज सब टूटकर बिखर रहा है हम गांधी के विचारों को भूल रहे हैं।
जब जनपद सोनभद्र में कल कारखाने लगाए गए तो रहवासियों को लगा कि यहां विकास हो रहा है परन्तु इस विकास से हमारी भावी पीढी़ विकलांग पैदा हो रही है हमारे यहां का लाह, चिरौंजी, महुआ, हर्रा, बहेरा एवं लाखों वनस्पति व जड़ी बूटियां विलुप्त होने के साथ ही पर्यावरण पूरी तरह नष्ट हो गया आज पुनः हमें गांधी विचारों पर चलने की आवश्यकता है।
उक्त अवसर पर प्रधानाचार्य कमलेश भाई, मीनासिंह, मारकडेय गुरूजी, रामेश्वर यादव, विनय प्रताप देवनाथ भाई समेत सैकडो बच्चे उपस्थित रहे।