भोजपुरी कवि हरिद्वार प्रसाद विह्वल की रचनाओं को देश ही नहीं विदेशों में भी हो रहा है गायन
नौगढ।भोजपुरी व हिन्दी साहित्य में लोकगायन शैली बिरहा के राष्ट्रीय कवि हरिद्रार प्रसाद विह्वल की रचित भोजपुरी बनारसी रस धारा व लोरिक काब्य की रचना कर काशी की परंपरा व बीर लोरिक की जीवनगाथा का प्रकाशन होने के बाद जल्द ही लोरिक गाथा तथा बोध की बारह कहानियां प्रकाशनाधीन हैं।
वर्ष 2015 मे तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वरिष्ठ नागरिक सम्मान से किया था सम्मानित
बीर श्रृगांर हास्य करूण व वीभत्स रस मे कहानियो को कवि हरिद्रार प्रसाद विह्वल ने शिक्षाप्रद भी बनाया है।
जनपद के सहजौर गांव मे कवि हरिद्रार प्रसाद विह्वल का जन्म 1 जुलाई 1940 को हुआ था।प्रारंभिक शिक्षा काल में ही इन्हें शब्दों को जोड़कर कविता रचने की मन में जागृत ललक ने भोजपुरी लोकगीत गायन क्षेत्र में इनकी रचनाओं को काफी बुलंदियां हासिल हुयी।
जिससे वर्ष 2015 मे तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उ.प्र. वरिष्ठ नागरिक सम्मान से कवि हरिद्रार प्रसाद विह्वल को सम्मानित किया।फिर राष्ट्रीय बिरहा अकादमी सम्मान पत्र वर्ष 2016 मे पाने वाले बिरहा के राष्ट्रीय कवि को नौगढ बिरहा महोत्सव सम्मान व गूंज सम्मान ईत्यादि से नवाजा गया।
पेशे से शिक्षक रह चुके मृदुभाषी स्वभाव के लगभग 80 वर्षीय राष्ट्रीय कवि की रचित करीब 2000 रचनाओं का संगीतमय गायन 200 से अधिक बिरहा लोकगीत कलाकार कर रहे हैं।
जिला परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालय सहजौर तहसील (मुगलसराय)वर्तमान पं.दीनदयाल उपाध्याय नगर से सेवानिवृत्त सहायक अध्यापक ^^विह्वल** को अब तक अनेकों मंच पर लोककवि के रूप में सम्मानित किया जा चुका है।
कालांतर में राजा महाराजाओं द्रारा किसी स्थान का किए गए नामकरण के महत्व पर भी अपनी रचना वहां की धरोहरों व वर्तमान जन जीवन के साथ ही मिट्टी जलवायु समीपवर्ती नदी या किसी विरासत से जोड़कर उकेरने वाले कवि की प्रासंगिकता बयां करती है कि आखिरकार अमुख स्थान का अमुख नाम क्यो पड़ा।
गुरु द्रौड़ व बीर एकलव्य की विश्लेस्णात्मक विवेचन की रचना कर गुरु और शिष्य के संबंध को मार्मिकता प्रदान कर वर्तमान परिवेश में गुरु व शिष्य के मनोभाव मे आयी कमी के कारणों को भी उल्लेखित किया है।
विह्वल की इस रचना को जल्द ही राष्ट्रीय चेतना प्रकाशन द्रारा गुरू द्रोण की परिस्थितियों व बीर धनुर्धर एकलब्य से गुरु दक्षिणा मे अंगुठा मांगे जाने के कथ्य को प्रकाशित करने जा रहा है।
देश ही नहीं बल्कि भोजपुरी भाषी विदेशो में भी राष्ट्रीय कवि की रचनाओं को इनके शिष्यों द्रारा निरंतर मंचों पर अभिब्यक्त किया जा रहा है।