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नई व्यवस्था में पॉवर ऑफ अटॉर्नी यदि ब्लड रिलेशन (माता, पिता, भाई-बहन आदि) में होगी तो एक हजार रुपए स्टाम्प खर्च ही आएगा। यदि ब्लड रिलेशन नहीं है तो हर पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर संपत्ति के बाजार मूल्य की तुलना में पांच फीसदी स्टाम्प ड्यूटी (दस्तावेज पंजीयन की तरह) देनी होगी।मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इस अहम प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। इसे सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। अचल संपत्ति के लिए किसी के नाम मुख्तारनामा (पावर ऑफ अटार्नी) करना अब आसान नहीं होगा। इस पर रजिस्ट्री की तरह से ही स्टांप शुल्क अदा करना होगा। उधर परिवार के सदस्यों को इससे मुक्त रखा गया है। यदि परिवार के सदस्य आपस में मुख्तारनामा करते हैं तो उन्हें पांच हजार रुपये अदा करने होंगे। मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इस अहम प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। इसे सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है।

मुख्तारनामों में हो रहे धोखाधडी को रोकने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया -स्टाम्प राज्य मंत्री रविन्द्र जायसवाल

स्टांप एवं पंजीयन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) रवींद्र जायसवाल ने बताया कि मुख्तारनामों में हो रहे करापवंचन को रोकने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। परिवार से अलग किसी व्यक्ति को अचल संपत्ति बेचने का अधिकर देने के लिए मुख्तारनामा किया जाता है। हालांकि इसका पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है लेकिन विलेख की प्रमाणिकता के लिए लोग इसका पंजीकरण कराते हैं। इसमें तगड़ा खेल हो रहा था। 

पावर आफ एटार्नी पर लगेगा पूरा स्टाम्प शुल्क‚

नियामानुसार जहां पांच से कम लोगों के नाम मुख्तारनामा होता था वहां मात्र 50 रुपये का स्टांप शुल्क देय होता था। अब यह नहीं होगा। इसे रोकने के लिए सरकार ने कदम उठाया। अब ऐसे मुख्तारनामों में बैनामों की तरह ही संपत्ति के बाजार मूल्य के हिसाब से स्टांप शुल्क लगेगा। कैबिनेट के सामने रखे इस प्रस्ताव में दूसरे राज्यों का भी उदाहरण दिया गया। जैसे महाराष्ट्र मध्य प्रदेश और बिहार में यही व्यवस्था है। दिल्ली में पावर ऑफ अटार्नी पर 3 प्रतिशत स्टांप शुल्क लगता है।

परिवार के सदस्य इससे बाहर‚ इन पर मात्र पांच हजार रुपये

परिवार के सदस्यों जैसे पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्रवधु, पुत्री, दामाद, भाई, बहन, पौत्र पौत्री, नाती, नातिन को परिवार का सदस्य माना गया है जिन्हें बाजार मूल्य पर स्टांप नहीं देना होगा। इसके लिए केवल पांच हजार रुपये शुल्क फिक्स किया गया ह

आखिर इसकी क्यों पडी आवश्यकताǃ

मुख्तारनामों के पंजीकरण की संख्या प्रदेश में लगातार बढ़ रही है। दरअसल भू संपत्ति की अवैध खरीद फरोख्त का ऐसा खेल प्रदेख में खेला गया कि सरकार को यह कदम उठाना पड़ा। खास तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में यह खेल हो रहा था।

गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर आदि जिलों में आलम यह था कि संपत्ति की खरीद फरोख्त के लिए एक दूसरे के नाम मुख्तारनामा कराया जाता। मात्र 50 रुपये का स्टांप लगाकर यह काम होता। उसके बाद संपत्ति को आगे बेच दिया जाता। स्टांप मंत्री के मुताबिक पांच सालों में प्रदेश के निबंधन कार्यालयों में 102486 विलेख पंजीकृत कराए गए। गाजियाबाद में तो यह बड़ा खेल सामने पर कई अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई। उत्तराखंड की सीमा से सटे जिलों में वहां के रीयल एस्टेट कारोबारी यही गड़बड़झाला कर रहे थे।

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अब यह लगेगा स्टांप
कैबिनेट के फैसले में मुख्तारनामे पर नियम 23 खंड (क) के तहत स्टांप शुल्क देने को मंजूरी दी है। इसके मुताबिक इस समय रजिस्ट्री करने पर महिला को दस लाख की राशि तक के बैनामे पर 4 तथा पुरुष को 5 प्रतिशत स्टांप शुल्क देना पड़ता है। विकसित क्षेत्र में यह शुल्क 7 प्रतिशत है।

मंत्रियों की आपत्ति के बाद रूका लोक एवं निजी संपत्ति विरुपण निवारण विधेयक

प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में मंत्रियों की आपत्ति के बाद उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरुपण निवारण विधेयक -2023 को मंजूरी नहीं मिल सकी। मंत्रियों ने विधेयक में शामिल नियमों और शर्तों पर आपत्ति जताते हुए आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उसे मुफीद नहीं बताया।

….यह विधेयक फिलहाल गया ढंडे बस्ते में

गृह विभाग की ओर से कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक-2021 की धारा 2, 5 और 6 में संशोधन करने के लिए उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक – 2023 लाने का प्रस्ताव रखा गया। इसके तहत निजी एवं सरकारी संपत्ति पर बिना अनुमति किसी भी प्रकार का विज्ञापन प्रकाशित करने, दीवार लेखन करने, पोस्टर या बैनर लगाने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ आर्थिक दंड का प्रावधान प्रस्तावित था।

कैबिनेट की बैठक के बाद आपत्ति ‚फिर से पेश करने का निर्देश

कैबिनेट बैठक में मंत्रियों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति, संस्था या राजनीतिक दल के नेता को फंसाने के उद्देश्य से बिना अनुमति के निजी या सरकारी संपत्ति पर लेखन, पोस्टर या बैनर लगा दिया तो जिम्मेदारी कैसे तय होगी। मंत्रियों का तर्क था कि इसमें आशंका है कि कोई किसी को फंसाने के लिए ऐसी हरकत कर सकता है। मंत्रियों ने यह भी तर्क दिया कि आगामी समय में लोकसभा चुनाव होना है। चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दल और प्रत्याशी निजी व सरकारी संपत्ति पर लेखन, पोस्टर बैनर लगाते ही हैं। सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों की आपत्ति के बाद इस प्रस्ताव को स्थगित कर दिया गया। गृह विभाग को मंत्रियों की शंकाओं का समाधान करते हुए पुनः विधेयक पेश करने के निर्देश दिए गए।

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