खबरी पाेस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली।हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है जो ‘कौमार्य परीक्षण’ का प्रावधान करती हो। ऐसा परीक्षण अमानवीय है।एक महिला आरोपी का ‘कौमार्य परीक्षण’ करना असंवैधानिक, लिंगभेदी और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है।

पुलिस या न्यायिक हिरासत में महिला बंदी या आरोपी का कौमार्य परीक्षण संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने 1992 में केरल में हुई नन अभया की हत्या के मामले में दोषी ठहराई गईं सिस्टर सेफी की याचिका पर पारित आदेश में मंगलवार को यह टिप्पणी की। सिस्टर सेफी ने CBI की तरफ से कराए गए उसके ‘कौमार्य परीक्षण’ को असांविधानिक घोषित करने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि पुलिस या न्यायिक हिरासत में महिला बंदी या आरोपी का कौमार्य परीक्षण संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। 

सेफी ने आरोप लगाया था कि CBI ने उसका जबरन कौमार्य परीक्षण कराया और रिपोर्ट लीक कर दी

केरल की एक विशेष सीबीआई कोर्ट ने 2020 में सिस्टर सेफी समेत अन्य को दोषी ठहराया था। निचली कोर्ट ने कहा था कि नन की कुल्हाड़ी मारकर तब हत्या कर दी गई, जब उसने फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को आपत्तिजनक स्थिति में देखा। सेफी ने आरोप लगाया था कि सीबीआई ने 2008 में उसका जबरन कौमार्य परीक्षण कराया और रिपोर्ट लीक कर दी थी।

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